यदि 12वे भाव का स्वामी 8वे होतो विपरीत राजयोग होता हैं जिसे सरल योग कहा
जाता हैं |
22/4/1916 23:50 न्यूयोर्क प्रस्तुत धनु लग्न की पत्रिका मे मंगल पंचमेश व
द्वादशेश होकर नीच अवस्था मे 8वे भाव मे हैं जिसपर चतुर्थ भाव से गुरु की दृस्टी
हैं जिससे मंगल का नीच भंग हो गया हैं वही लग्नेश पंचमेश के संबंध से राजयोग भी बन
गया हैं | गुरु हंस व
गाजकेसरी योग भी बना रहा हैं पत्रिका मे ऊंच नवमेश(सूर्य) संग कर्मेश(बुध) की युति
पंचम भाव मे होने से एक और राजयोग का निर्माण हो रहा हैं इस प्रकार यह कुंडली कई
मामलों मे श्रेष्ठ प्रतीत हो रही हैं |
गुरु(लग्नेश-चतुर्थेश) तथा चन्द्र पर शनि(द्वितीयेश-तृतीयेश) की दृस्टी,दशमेश बुध का अस्त होना व दूसरे भाव मे राहू का होना जातक
को ज़्यादा सफलता नहीं बता रहे हैं | यहाँ शुक्र मंगल के
नक्षत्र मे हैं और मंगल बुध के नक्षत्र मे हैं जो नवांश मे ऊंच का हो गया हैं | यजुर्वेद मे शुक्र को तथा सामवेद मे मंगल को संगीत हेतु प्रधानता दी गयी
हैं सामवेद सभी संगीतों का जनक माना व समझा जाता हैं संगीत से जुड़े सभी जातको की
कुंडली मे मंगल को बली ही पाया गया हैं (लता मंगेशकर,एम,एस सुबुलक्ष्मी,पंकज मलिक) आदि
की पत्रिका मे ऐसा देखा जा सकता हैं |
इस प्रकार स्पष्ट रूप से इस पत्रिका मे मंगल का नीच होना जातक को महान व
सफल कलाकार बना रहा हैं यदि इस मंगल को ना देखा जाये तो यह पत्रिका साधारण पत्रिका
बन जाती हैं जबकि यह जातक विश्व प्रसिद्द वोयलन कलाकार “यहूदी मेहुनिन” हैं यदि मंगल यहाँ विपरीत राजयोग ना बना रहा होता तो जातक इतनी ऊंचाई
कदापि नहीं पा सकता था |
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