बुधवार, 23 अगस्त 2017

मरेगा तो भाई गरीब ही


कुछ शब्द यू ही ...........आज अचानक बैठे बैठे देश मे बाढ़ से हुई तबाही को देखकर कुछ लिखने का मन हुआ जो जो विचार मन मे आते गए लिखता गया | आप सब भी पढे व अपने विचारो से हमें अवगत कराये |

सूखा पड़े या आए बाढ़
ज़मी डुबे - बहे मकान
आधी आए या तूफान
मरेगा तो भाई गरीब ही |

हो दंगा या कोई फसाद
आरक्षण हो या भ्रष्टाचार 
चाहे जिसकी हो सरकार  
मरेगा तो भाई गरीब ही |

जीएसटी हो या नोटबंदी
मय की हो चाहे पाबंदी
चाहे जैसी भी हो मंदी
मरेगा तो भाई गरीब ही |

जाए नौकरी या व्यापार
मौल खुले या घटे बाज़ार
महंगाई की पड़े जो मार
मरेगा तो भाई गरीब ही |

भूकंप आए या बादल फटे  |
पानी बरसे या बिजली गिरे
ठंड से तो कभी ताप से
मरेगा तो भाई गरीब ही

रेलो के भीड़ जाने पर
भगदड़ मे गिर जाने पर
आतंक से डर जाने पर
मरेगा तो भाई गरीब ही |

भूख से कभी प्यास से
नेताके विश्वास पे  
अच्छे दिन की आस से   
मरेगा तो भाई गरीब ही |


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