चन्द्र –मन,भावुकता,मानसिकता,कल्पनाओ व भावनाओ का कारक ग्रह
चन्द्र भी सभी पत्रिकाओ अशुभ अवस्था मे पाया गया | यह चन्द्र कालपुरुष की पत्रिका मे चतुर्थ भाव का
स्वामी बनता हैं जो हमारे सुख-सुविधा,मकान व भू संपत्ति,वाहन,मानसिक शांति,मित्र आदि का भाव होता हैं |
बुध- यह ग्रह कारक के रूप मे हमारी बुद्दि,चपलता,ज्ञान व स्मरणशक्ति को दर्शाता हैं इसके
दूषित अथवा अशुभ होने पर ही जातक कुछ बुरा करने की सोच सकता हैं यह बुध भी सभी कुंडलियों मे
अशुभ पाया गया | कालपुरुष की पत्रिका मे यह बुध
तीसरे व छठे भाव का प्रतिनिधित्व करता हैं जो की साहस,पराक्रम,सहोदर तथा रोग,शत्रु,विवाद,ऋण,आदि को बताते हैं | जो जातक द्वारा विवाद ऋण,रोग आदि मे पड़ने पर अपनी ही हत्या
करने की साहस की पुष्टि करता हैं |
2)मंगल-शनि का विशेष संबंध हमने लगभग सभी
कुंडली मे पाया संभवत: इसका कारण कालपुरुष की कुंडली मे मंगल का लग्नेश (शरीर) व अष्टमेश (आयु)
होना तथा शनि का कर्मेश (काम इत्यादि) व लाभेष (लाभ व फायदा) होना हो सकता हैं जो
की जातक को अपने किए गए कर्म द्वारा उचित लाभ ना होने पर अपने शरीर की आयु को नष्ट
करने की प्रवृति को दर्शाता हैं | अन्य प्रकार से देखे
तो इन दोनों ग्रहो की दृस्टी भी कुंडली के 3-3 भावो पर पड़ती हैं
जिससे कुंडली के आधे भाव अथवा जीवन का आधा भाग प्रभावित होता हैं स्पष्ट हैं की यह
दोनों ग्रह जातक के जीवन के काफी बड़े हिस्से पर अपना नियंत्रण रखते हैं यदि इस हिस्से मे अशुभता अथवा असफलता ज़्यादा होतो जातक
हताश व निराश होकर अपना जीवन समाप्त कर सकता हैं |
3)राशियाँ-कर्क,वृश्चिक व मीन (सभी जल राशियाँ )
अधिकतर सभी पत्रिकाओ
मे दो अथवा दो से अधिक जल राशियाँ (कर्क,वृश्चिक
व मीन) प्रभावित अथवा पीड़ित थी चूंकि यह राशियाँ कालपुरुष की पत्रिका
मे चतुर्थ,अष्टम व द्वादश भाव को दर्शाती हैं जो भावनाओ,मानसिकताओ व मोक्षता को दर्शाते
हैं जिनसे जातक जल्दबाज़ी से भरा निर्णय लेने की और अग्रसर हो जाता हैं तथा अपने
जीवन को समाप्त करने की सोचता हैं ( विज्ञान भी यह मानता हैं की पूर्ण चन्द्र के
समय शरीर अथवा धरती पर जल तत्व बढ़ जाने के कारण आत्महत्या जैसी घटनाए ज़्यादा होती
हैं )
4)भाव –अष्टम,चतुर्थ व दशम
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