सोमवार, 11 जनवरी 2016

आज कल के युवा और फास्ट फूड


आजकल की युवा पीढ़ी मे फास्ट फूड या जंक फूड खाने का क्रेज इतना ज़्यादा हो गया हैं की उन्हे घर पर बनने वाली कोई भी खाने की वस्तु पसंद नहीं आती हैं | अभिभावक स्वयं  भी फास्ट फूड खाने से परहेज नहीं करते तो जवान होती युवा पीढ़ी को कैसे रोकेंगे |आकर्षक सुविधाजनक व हर जगह आसानी से उपलब्ध होने वाले इन फास्ट अथवा जंक फूड्स को लोगो ने जितनी तेजी से अपनाया हैं उतनी ही रफ्तार से उन्हे इनसे होने वाले दुष्परिणामों से भी सामना करना पड रहा हैं | आज हमारी युवा पीढ़ी तेजी से कई लाइलाज बीमारियो जैसे कब्ज़,रक्तचाप,हृदय रोग,मधुमेह,कैंसर आदि का छोटी सी उम्र मे शिकार हो रही हैं तो इसके लिए हमारा अनुचित रहन सहन व भोजन के रूप मे फास्ट फूड का सेवन ही जिम्मेदार हैं आज हमारे घरो मे दूध कम सॉफ्ट ड्रिंक ज़्यादा प्रयोग होता हैं | पचास रुपये का दूध हमे महंगा व 70 रुपये का सॉफ्ट ड्रिंक हमे सस्ता लगता हैं |

फास्ट फूड जो की बिना रसायनिक पदार्थो के बनाए ही नहीं जा सकते वह हमारे शरीर मे जाकर हमारी स्वाद कोशिकाओ को भ्रमित कर देते हैं जिनसे वह अपनी प्राकृतिक शक्ति खो देती हैं और हमे भूख कम लगने लगती हैं जिससे हमारे शरीर की पूर्ति पूरी तरह से नहीं हो पाती और हम कई तरह से रोगो का शिकार होने लगते हैं | इन पदार्थो मे मिलाये जाने वाले रसायनो के पीछे बड़ी बड़ी कंपनियो के ये तर्क होते हैं की इनसे ये ज़्यादा समय तक ताज़ा रहते हैं |

फास्ट फूड मे अधिकतर वसा व कार्बोहाइड्रेट होते हैं जबकि प्रोटीन बिलकुल नहीं होता हैं जिससे बच्चो मे एक विशेष प्रकार के एंजाइम की कमी होने लगती हैं जो लीवर को अपना काम सही तरह से नहीं करने देती जिससे शरीर मे लौह तत्व व विटामिन की भी कमी हो जाती हैं और बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास रुक जाता हैं एक अन्य फ्लेवरिंग एजेंट “मोनो सोडियम ग्लूटामेट” का प्रयोग भी फास्ट फूड के बंद डब्बो मे किया जाता हैं जो मस्तिष्क की कोशिकाओ को नुकसान पहुंचाता हैं जिसके प्रभाव से दिल का तेज धड़कना,दमा व सिर दर्द रहने लगता हैं |बच्चे स्वाभाविक रूप से चिड़चिड़े,गुस्सैल और मोटे होने लगते हैं और कई बीमारिया उनके शरीर मे जन्म लेने लगती हैं  |

हमारे देश मे जहां उष्ण-आर्द्र मौसम रहता हैं उसमे प्राकृतिक व स्वाभाविक स्वाद वाली वस्तुए ही आहार के रूप मे खाई जानी चाहिए जिससे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियो का सामना करने से बचा जा सकता हैं पश्चिम देशो के देखादेखी उनके जैसे भोज्य पदार्थो (फास्ट फूड्स) को खाने से हम ना सिर्फ शारीरिक व मानसिक रूप से कमज़ोर होते जाएंगे बल्कि कई बीमारियो के शिकार भी बन जाएंगे वही अधिकांश फास्ट फूड्स किसी ना किसी तरह से मांसाहारी होते हैं जो हमारे देश की संस्कृति व संस्कारो के भी खिलाफ हैं |

आईए यह जानते हैं फास्ट फूड अथवा जंक फूड मे असल मे क्या क्या होता हैं और इनका  हमारे शरीर मे क्या क्या प्रभाव पड़ता हैं |

1)नूडल्स(मैगी)–दुनियाभर मे एक दिन मे सबसे ज़्यादा बिकने वाला यह पदार्थ नूडल्स जिसमे एक किलो मैदे मे 10-20 ग्राम अंडे की सफ़ेद ज़र्दी मिलाई जाती हैं जो की इस नूडल्स को मुलायम,चिकना व फुसफुसा बनाए रखती हैं जिससे यह अधिक समय तक खराब नहीं होता इससे संबन्धित व्यंजन बनाने मे एक अन्य पदार्थ “अजीनोमोटो”को इसमे मिलाया जाता हैं जो जैविक चर्बी से बना हुआ होता हैं जिसका सेवन हमें इसकी आदत लगवा देता हैं जिससे बार बार नूडल्स जनित व्यंजन खाना हम पसंद करने लगते हैं |

2)चिप्स व वेफ़र्स –आलू के बने चिप्स बाज़ार मे लगभग 50 से 80 गुना महंगी कीमत पर बहुराष्ट्रीय कंपनियो द्वारा बेचे जाते हैं इनके पैक मे इन्हे कुरकुरा बनाए रखने के लिए विशेष प्रकार की गैस भरी जाती हैं जो हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक होती हैं,वेफ़र्स मे अंडे मिलाये जाते हैं जिनसे ये हल्के,करारे व फुसफुसे बने रहते हैं |

3)जैम,जैली व चौकलेट –इन सभी पदार्थो मे जिलेटिन नामक तत्व मिलाया जाता हैं जो मुख्यत; मरे हुये जानवरो के विभिन्न अवयवो को उबालकर बनाया जाता हैं कई देशो मे इसे वहाँ की सरकारो ने प्रतिबंधित कर रखा हैं |

4)कोल्ड ड्रिंक्स –सभी कोल्ड ड्रिंक्स मे कई प्रकार के अम्ल यानि एसिडस जैसे कार्बोलिक एसिड,साइट्रिक एसिड मिलाये जाते हैं जो उनमे मिठास बढ़ाने के लिए तथा सोडियम बेंज़ोएट जैसे केमिकल उनमे ज़्यादा समय तक खराबी से बचाने के लिए प्रयुक्त होते हैं जो व्यक्ति को कई प्रकार के रोग दे सकते हैं |

5)पिज्जा व बर्गर-मैदे,अंडे व जिलेटिन आदि से बने यह पदार्थ तथा इनमे मिलाये जाने वाले अवयव जैसे चीज़,बेकिंग पावडर,अमोनिया इत्यादि हमारे शरीर को नुकसान ही पहुंचाते हैं लाभ नहीं |



कोई टिप्पणी नहीं: