किस
नक्षत्र मे आरंभ करे व्यापार
प्राय:
देखने मे आता हैं की जब कोई जातक स्वयं का व्यापार करना चाहता हैं तो उसके सामने
दो बड़ी समस्याए आती हैं पहली की कौन सी वस्तु का व्यापार करे व दूसरी की व्यापार
कब आरंभ करे ज्योतिष द्वारा यह जाना जा सकता हैं किस जातक के लिए कौन सी वस्तु का
व्यापार लाभकारी रहेगा जिसके लिए प्रत्येक जातक की कुंडली का अध्ययन करना पड़ता हैं
| व्यापार कब आरंभ करे इसके लिए गोस्वामी
तुलसीदास अपने रचित ग्रंथ दोहावली मे लिखते हैं की श्रवण,धनिष्ठा,शतभीषा,हस्त,चित्रा,स्वाति,पुष्य,पुनर्वसु,मृगशिरा,अश्विनी,रेवती तथा
अनुराधा नक्षत्रो मे आरंभ किया गया व्यापार व दिया गया धन हमेशा धनवर्धक होता हैं जो
किसी भी अवस्था मे डूब नहीं सकता अर्थात इन नक्षत्रो मे आरंभ किया गया व्यापार कभी
भी जातक को हानी नहीं दे सकता हैं | इसी प्रकार शेष अन्य
नक्षत्रो मे दिया गया,चोरी गया,छीना
हुआ अथवा उधार दिया धन कभी भी वापस नहीं आता हैं अर्थात जातक को हानी ही प्रदान
करता हैं |
एक अन्य
श्लोक् मे कहा गया हैं की यदि रविवार को द्वादशी,सोमवार को एकादशी,मंगलवार को दशमी,बुधवार को तृतीया,गुरुवार को षष्ठी,शुक्रवार को द्वितीया तथा शनिवार को सप्तमी तिथि पड़े तो यह तिथिया सर्व
सामान्य हेतु हानिकारक बनती हैं अर्थात आमजन को इन तिथियो मे नुकसान ही होता हैं | अत: इन तिथियो मे कोई बड़ा सौदा अथवा लेन-देन नहीं करना चाहिए |
जातक की
अपनी राशि से जब चन्द्र का गोचर 3,6,12 भावो
से होता हैं तब जातक को अवस्य ही दुख तकलीफ,धनहानी जैसी परेशानियों
का सामना करना पड़ता हैं इसी प्रकार जब मेष राशि के प्रथम,वृष
के पंचम,मिथुन के नवे,कर्क के दूसरे,सिंह के छठे,कन्या के दसवे,तुला
के तीसरे,वृश्चिक के सातवे,धनु के चौथे,मकर के आठवे,कुम्भ के ग्यारहवे,तथा मीन के बारहवे चन्द्र होतो जातक हेतु घातक प्रभाव होता हैं जिससे जातक
को मृत्यु तुल्य कष्ट प्राप्त होते हैं अत: इन इन दिनो जातक को विशेष सावधान रहना
चाहिए |
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