ऊपरी
बाधा संबंधी ज्योतिष योग
जीवन
के आपाधापी भरे माहौल मे कभी कभी व्यक्ति विशेष को कुछ असामान्य सी घटनाओ का सामना
करना पड़ता हैं यह घटनाए ना सिर्फ व्यक्ति विशेष के ऊपर प्रभाव डालती हैं बल्कि
उसके समस्त परिवार व आसपास के व्यक्तियों पर भी इनका प्रभाव होता हैं | सामान्य व्यक्ति अचानक अजीबोगरीब हरकते करने लगता हैं डॉक्टर उसका इलाज
नहीं कर पाते हैं व्यक्ति दिन प्रतिदिन सूखता चला जाता हैं अंजान भय से पीड़ित रहने
लगता हैं सामान्य जीवन नहीं जी पाता असामान्य व्यवहार करने लगता हैं किसी जानकार
व्यक्ति द्वारा यह बताने पर की इस पर किसी बाहरी शक्ति का साया हैं सब लोग
आश्चर्यचकित व असमंजस मे रह जाते हैं |
आखिर
ऐसा होता क्यूँ हैं ? क्या ऐसा सब के
साथ होता हैं ? ऊपरी हवाओ,भूत-प्रेत,आत्माओ आदि का प्रकोप किन-किन जातको पर हो सकता हैं | आइए यह जानने का प्रयास ज्योतिषीय दृस्टी से करते हैं |
1)यदि
लग्नेश निर्बलावस्था मे हो,नीच का
होकर पापग्रहों संग या दृस्ट हो तथा शुभग्रहों का लग्न लग्नेश दोनों पर प्रभाव ना
हो तो प्रेत बाधा हो सकती हैं |
2)शनि
चन्द्र की युति हो,अथवा चन्द्र शनि
के नक्षत्र मे हो तो भी प्रेतात्माए प्रभावित कर सकती हैं |
3)ग्रहण
के दिन का जन्म हो अथवा ग्रहण कुंडली के लग्न,6,8,12
वे भाव मे हो |
4)लग्नेश
नीच का होकर शनि,राहू या मंगल के
प्रभाव मे हो |
5)नीच
अथवा पक्षबल मे निर्बल चन्द्र,शनि-राहू
संग हो |
6)चन्द्र
और राहू का नक्षत्र परिवर्तन हो तथा चन्द्र,लग्न व लग्नेश सब पर पाप प्रभाव हो |
7)लग्न
पापकर्तरी मे हो तथा गुरु राहू संग हो,लग्नेश पीड़ित अथवा नीच का हो |
8)अष्टमेश
लग्न मे हो और लग्न व लग्नेश दोनों पाप प्रभाव मे हो |
9)राहू
राशिष निर्बल व पीड़ित होकर अष्टम भाव मे हो व लग्नेश पापकर्तरी मे हो |
10)
पंचम भाव मे सूर्य-शनि की युति,नीच का
चन्द्र सप्तम भाव मे,गुरु द्वादश,लग्न-लग्नेश
दोनों पीड़ित हो |
11)लग्नेश
पापकर्तरी मे हो,पंचमेश अष्टमेश मे
परिवर्तन हो तथा लग्न मे पाप ग्रह हो |
इस
प्रकार कुंडली मे ऐसे कई ग्रह योग देखे जा सकते हैं जो जातक विशेष को प्रेतबाधा का
शिकार बना सकते हैं जिनसे ऊपरी शक्तियाँ उस पर हमला कर सकती हैं |
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