सूर्य ग्रहण पर्व
कुरुक्षेत्र मे क्यू |
जिस प्रकार मानव
शरीर मे सभी अंग विशेष की एक निश्चित जगह मानी गयी हैं उसी प्रकार कुरुक्षेत्र को
वेदो के अनुसार पृथ्वी का हृदय बताया गया हैं ग्रहण के समय सूर्य की किरणे के
प्राप्त ना होने से प्राण शक्ति का ह्रास होता हैं जिससे हृदय रोग होने की संभावना
बढ़ जाती हैं ऐसे समय मे सांसारिक कार्य ना कर पुजा दान पुण्य ईश्वर उपासना कर
प्राण शक्ति बचाई जा सकती हैं इसलिए कुरुक्षेत्र मे सूर्य ग्रहण के समय धर्म
अनुष्ठान करना शुभ माना गया हैं |
वेदो के अनुसार
कुरुक्षेत्र के तालाब के जल मे सोमांश रहता हैं जिसके पान से आत्मबल प्राप्त कर
इंद्र ने वृत्रासुर का वध किया था |
ग्रहण काल मे “ॐ
नमो भगवते चन्द्र्प्रभ जिनेन्द्राय चंद्र महिताय चंद्र किर्ति मुख रंजनी स्वाहा”
इस मंत्र को ग्रहण के दिन रात्री मे जपने से श्रेष्ठ विद्या प्राप्त होती हैं |
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