मंगलवार, 2 नवंबर 2010

" ज्योतिष एवं दीपावली"

ज्ञान (प्रकाश) और साधना(दीपक) के द्वारा दिवाली  के दिन माँ लक्ष्मी की लक्ष्मी प्राप्ति हेतु पूजा,अर्चना की जाती हैं, आदिकाल से ही चंचला लक्ष्मी को अपने घर परिवार में बुलाने का उपक्रम दिवाली की रात्रि को किया जाता हैं इस विश्वास के साथ की माँ लक्ष्मी प्रसन्न  होकर साधक अथवा जातक को सम्पतिवान कर देंगी |

ज्योतिष के अनुसार सूर्य को राजा एवं चन्द्र को रानी का दर्जा दिया गया हैं अमावस की रात इन दोनों के मिलन की रात होती हैं (इसी प्रकार भगवान राम और सीता का मिलन भी इसी अमावस की रात में हुआ था ) चन्द्रमा मन के अतिरिक्त जनता का तथा सूर्य आत्मा,पद व मान का प्रतिनिधित्व करते हैं, अयोध्या की जनता ने शायद अपने सुर्यवंसी राजा राम के दर्शनों हेतु इसी कारण अमावश (जब सूर्य चन्द्र मिलते हैं ) का दिन चुना होगा | धरती पर अमावस का दिन सूर्य (आत्मा) व चन्द्र (मन) का आत्मरूप होना दर्शाता हैं जो की अध्यात्मिक दृष्टी से एक दुर्लभ संयोग हैं | यहाँ ये भी ध्यान दे की चन्द्र (उच्च) का वृष राशी में तृतीय अंश (सूर्य के कृतिका नक्षत्र में) में होना ही उसे उच्चता प्रदान करता हैं जो इस बात का घोतक हैं की बिना आत्मा के मन नहीं हो सकता इसलिए मन और आत्मा के भेद बताने की रात्रि हैं "दीपावली"

जहाँ  प्रकाश होता हैं वहां अन्धकार नहीं रह सकता हैं और जहाँ अन्धकार  नहीं होता वहां धन समृद्दी को आना ही पड़ता हैं वैसे भी वर्षा ऋतू के बाद कार्तिक मास ठण्ड की अधिकता दर्शाने लगता हैं जिससे दीपक  की गर्मी व आरोग्यता का आगमन जन साधारण हेतु लाभदायक हो जाता हैं |

दीप अथवा दिया (मंगल) तेल (शनि)के मिलने से प्रकाश (बिजली) जन्म लेती हैं जिसके बिना ये संसार चलायमान नहीं रह सकता | पीली लौ (गुरु) तथा सफ़ेद प्रकाश (शुक्र) व इनके योगो से हरा (बुध) व धुंआ राहू केतु का प्रतीक बनते हैं जो की दिवाली की रात्रि सम्पूर्ण नवग्रह व ब्रह्माण्ड की उपयोगिता ज्योतिष शास्त्र में सम्पूर्ण करते दिखाई देते हैं |  

2 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

ज्योति-पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

sanjeev ने कहा…

DOB- 12.11.1976
TIME- 2.45AM
PLACE- MUZAFFARPUR BIHAR
ABOUT FUTURE AND FAMILY