जैमिनी ज्योतिष पद्धति :
जैमिनी पद्धति के अनुसार व्यवसाय चयन हेतु कारकांश महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। (कारकांश आत्म कारक का नवमांश है) यदि कारकांश या उससे दसवां किसी ग्रह से युक्त न हो तो कारकांश से दशमेश की नवमांश में स्थिति से व्यवसाय ज्ञात किया जाता है।1) कारकांश में सूर्य राजकीय सेवा देता है और राजनैतिक नेतृत्व देता है।
2) पूर्ण चंद्र व शुक्र कारकांश में लेखक व उपदेशक बनाता है।
3) कारकांश में बुध व्यापारी तथा कलाकार का योग प्रदान करता है।
4) बृहस्पति कारकांश में जातक को धार्मिक विषयों का गूढ़ विद्वान व दार्शनिक बनाता है।
5) कारकांश में शुक्र जातक को सरकारी अधिकारी शासक व लेखक बनाता है।
6) कारकांश में शनि जातक को विख्यात व्यापारी बनाता है।
7) कारकांश यदि राहु हो तो मशीन निर्माण कार्य, ठगी का कार्य करने वाला जातक को बना देता है।
8) कारकांश का केतु से संबंध हो तो जातक नीच कर्म तथा धोखाधड़ी से आजीविका कमाता है।
9) कारकांश यदि गुलिक की राशि हो और चंद्र से दृष्ट हो तो व्यक्ति अपने त्यागपूर्ण व्यवहार से और धार्मिक कार्यों से जीविका अर्जित करेगा।
10) कारकांश में यदि केतु हो और शुक्र से दृष्ट हो तो धार्मिक कार्यों से आजीविका अर्जित करेगा।
11) कारकांश यदि सूर्य व शुक्र द्वारा दृष्ट हो तो जातक राजा का कर्मचारी बनता है।
12) कारकांश से तीसरे और छठे में क्रूर ग्रह हों तो जातक खेती व बागवानी का कार्य करता है।
13) कारकांश में चंद्र हो और शुक्र से दृष्ट हो तो वह रसायन विज्ञान द्वारा आजीविका अर्जित करता है।
14) कारकांश में चंद्र यदि बुध द्वारा दृष्ट हो तो जातक डॉक्टर होता है।
15) कारकांश में शनि हो या उससे चौथे में हो तो जातक अस्त्र-शस्त्र विद्या में निपुण होता है।
16) कारकांश से चौथे में सूर्य या मंगल शस्त्रों से जीविका प्रदान करता है।
17) कारकांश से पांचवें या लग्न में चंद्र व गुरु जातक को लेखनी द्वारा जीविका अर्जन प्रदान करते हैं।
18) कारकांश में पांचवें व सातवें में गुरु हो तो व्यक्ति सरकारी उच्च अधिकारी होता है।
19) कारकांश में यदि शनि हो तो जातक पैतृक व्यवसाय करता है।
20) कारकांश लग्न या उससे पंचम स्थान में अकेला केतु हो तो मनुष्य ज्योतिषी गणितज्ञ, कंप्यूटर विशेषज्ञ होता है।
21) कारकांश लग्न से पंचम में राहु हो तो जातक एक अच्छा मैकेनिक होता है।
22)यदि नवांश में राहु आत्मकारक के साथ हो तो जातक चोरी, डकैती से आजीविका चलाता है।
23) कारकांश लग्न से शनि चतुर्थ या पंचम हो तो जातक निशानेबाज होता है और यही आजीविका का साधन भी हो सकता है।
24) कारकांश से पंचम में शुक्र हो तो जातक को कविता करने का शौक होता है।
25) कारकांश से पंचम में यदि गुरु हो तो जातक वेदों और उपनिषेदों का जानकार और विद्वान होता है तथा यही जातक की आजीविका का साधन भी होता है।
26) कारकांश से पंचम में यदि सूर्य हो तो जातक दार्शनिक तथा संगीतज्ञ होता है।