४) पूजा से पूर्व स्नान की क्या आवश्यकता हैं ?
उ) सुषुप्त अवस्था में व्यक्ति के मुख से निरंतर लार बहती रहती हैं | अत: प्रात: स्नान किये बगैर कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए | प्रात: कालीन स्नान से अलक्ष्मी,कालकरणी,बुरे स्वप्न और विचार भी नष्ट हो जाते हैं जिनके होने से पूजा नहीं की जानी चाहिए इसलिए पूजा से पूर्व स्नान ज़रूर करना चाहिए|
५) पत्नी को वामांगी क्यों कहा जाता हैं तथा बाएं क्यों बिठाया जाता हैं ?
उ) पौराणिक आख्यानो के अनुसार ब्रह्माजी के दायें स्कंध से पुरुष और बाएं स्कंध से स्त्री की उत्पति हुई हैं |यही कारण हैं की स्त्री को वामांगी कहा जाता हैं और विवाह के बाद उसे पति के बाएं भाग की और बैठाया जाता हैं |यहाँ यह भी बात ध्यान रखने योग्य हैं की जब पुरुष प्रधान धार्मिक कार्य संपन्न किये जाते हैं तो उस समय पत्नी को दायें भाग की और बैठाया जाता हैं | इसके विपरीत स्त्री प्रधान धार्मिक संस्कारों में पत्नी पति के वाम अंग की और ही बैठती हैं |संस्कार गणपति में सिंदूरदान,भोजन,शयन और सेवा के समय पत्नी को हमेशा पति के वाम अंग की और ही रहना चाहिए |आशीर्वाद और ब्राह्मण के पैर पखारते समय भी पत्नी को पति के बाई और ही रहना चाहिए |
६)तिलक में विभिन्न द्रव्यों का क्या महत्व हैं ?
उ) विभिन्न द्रव्यों से बने तिलक की अलग अलग उपयोगिता और महत्व होता हैं |चन्दन का तिलक तरो- ताजगी व ठण्डकता प्रदान करता हैं |कुमकुम का तिलक तेजस्विता को प्रखर करता हैं |विशुद्ध मिट्टी का तिलक कीटाणुओ को दूर करता हैं तथा यज्ञ भस्म का तिलक सौभाग्य में वृद्धि करती हैं |
७)आचमन तीन बार क्यों कराया जाता हैं ?
उ) वेदों में आचमन तीन बार कहा गया हैं क्यूंकि तीन बार आचमन करने से शारीरिक,मानसिक और वाचिक तीनो प्रकार के पापो से मुक्ति मिल जाती हैं और अनुपम आदर्श फलो की भी प्राप्ति होती हैं |
८) सगोत्री विवाह वर्जित क्यों कहे गए हैं ?
उ) प्राचीन समय में सगोत्री विवाह इसलिए वर्जित माने गए हैं क्यूंकि एक तो इनसे दुसरे समाज व राज्यों से प्रसार नहीं हो सकता था तथा दूसरा एक ही गोत्र विवाह होने से व्यभिचार कर्म को भी बढावा मिल सकता था |आज के सन्दर्भ में कहे तो आधुनिक चिकित्सा भी यह स्पष्ट कर चुकी हैं की सगोत्र विवाह से उत्पन्न संतानों में आनुवांशिक दोष होने के सम्भावना ज्यादा होती हैं |इसलिए सगोत्री विवाह नहीं करना चाहिए .........................................जारी
3 टिप्पणियां:
सुन्दर जानकारी के लिए आभार।
चिट्ठाजगत में आप का स्वागत है। सार्थक और सफल लेखन के लिए शुभकामनाएं...
kishore ji
bahut hi upyogi rachna ... achi jaankari mili ...
aabhar aapka
vijay
एक टिप्पणी भेजें