९) चरणस्पर्श (साष्टांग प्रणाम ) करने का क्या प्रयोजन हैं ?
उ) भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में प्राचीनकाल से ही माता-पिता,गुरुओ आदि के चरण स्पर्श करने की परम्परा रही हैं | अथर्ववेद में मानवीय व्यव्हार को लेकर आचार संहिता का पूरा एक खंड दिया गया हैं जिसमे प्रात: काल इस प्रकार के नमन को प्रमुखता दी गयी हैं | मनुस्मृति में भी कहा गया हैं की जो व्यक्ति प्रतिदिन अपने बड़ो का चरणस्पर्श करता हैं उसकी आयु,बल,विद्या,यश व कीर्ति में सदा वृद्दि होती हैं | कही कही शास्त्रों में यह भी उल्लेख मिलता हैं की इस प्रकार चरणस्पर्श करने से सामने वाले के कुछ अच्छे संस्कार व गुण आ़प पर स्वयं ही आ जाते हैं| इसलिए जितना हो सके अपने बड़ो का चरणस्पर्श करना चाहिए |
१०) अन्न्प्रासन्न संस्कार का क्या महत्व हैं ?
उ) माता के गर्भ में रहने पर शिशु में मलिन भोजन के शुद्दिकरण और शुद्ध भोजन करने की प्रक्रिया ही अन्न्प्रासन्न संस्कार कही जाती हैं| शास्त्रों के अनुसार इस संस्कार में माता-पिता शुभ मुहूर्त में जौ और चावल की खीर बनाकर देवताओ को निवेदित कर चांदी की चम्मच से शिशु को चटाते हैं, इसके साथ ही एक मंत्र भी कहा जाता हैं जिसका अर्थ होता हैं की "हे शिशु ! जौ और चावल तुम्हारे लिए बलदायक और पुष्टकारी हो"| यह दोनों वस्तुए यक्ष्मानाशक और देवान्न होने के कारण पापनाशक हैं |
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