शनिवार, 18 अक्टूबर 2025

ग्रह उपाय

जातक के जन्म कुण्डली में जो ग्रह अरिष्ट फल प्रदान करने के कारक है उनकी उग्रता को शान्त या उनकी कृपा प्राप्त करने के लिये हमारे ज्योतिष विज्ञान में पांच विधानों को प्रस्तुत किया गया है।

‎1. प्रार्थना (देव उपासना), 2. ग्रहों के शान्ति हेतु दान 3. व्रत (ग्रहों के कृपा प्राप्ति हेतु), 4. ग्रहों के प्रसन्नता हेतु मंत्रों का अनुष्ठान 5. ग्रहों से कृपा प्राप्त हेतु यज्ञ अनुष्ठान ।

‎इन पांचों विधानों के प्रयोग का यह उद्देश्य है कि अरिष्ट प्रदाता ग्रह देवता को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्रसाद को प्राप्त करना ।

‎ग्रह देवता से निवेदन करे कि हे प्रभु! मेरे पूर्व जन्म कृत् दुष्कृत्यों के कारण जो हम आपके क्रोध का भाजन बन रहे है, उसके लिये हम इस जन्म में शुभ कृत्य करने का संकल्प ले रहा हूं और शुभ क्रियमाण कर्म के रूप में आपकी सेवा में अपनी प्रार्थना प्रस्तुत कर रहा हूं। अपने चरणामृत और कृपा दृष्टि से प्रारब्ध जनित अरिष्ट फल को कम करते हुये उसे सहन करने की शक्ति हमें प्रदान करें।

‎छांदोग्य उपनिषद का यह मंत्र प्रमाण है कि

यदेव श्रद्धया जुहोति तदेव वीर्यवत्तारं भवेति ।

श्रद्धापूर्वक की गई प्रार्थना ही फलवती होती है, अतः भावना जितनी सच्ची, गहरी और श्रद्धापूर्ण होगी, उतना ही उसका सत्परिणाम भी होगा । - छांदोग्योपनिषद

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