बुधवार, 10 सितंबर 2025

ज्योतिष बिरादरी पर श्राप

ज्योतिष कार्य करने वालों के जीवन को अगर ध्यान से देखा जाए तो उनमें एक समानता देखने मे आती है कि अधिकतर ज्योतिषियो के पुत्र या तो होते ही नहीं हैं या होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं,उनसे दूर रहते हैं,कामयाब नहीं होते,जीवन मे ज़्यादा सफल नहीं होते या उनका वैवाहिक जीवन सही नहीं होता | 

ज्योतिष अनुसार ऐसा शनि का संबंध सूर्य अथवा पंचम भाव से होने से होता हैं गौर से देखा जाए तो इसमें एक बात स्पष्ट रूप से दिखती है कि सूर्य जो कि काल पुरुष की पत्रिका में पंचमेश अथवा संतान कारक बनता है और जातक विशेष का कर्म व लाभ दशमेश व लाभेष शनि से होता हैं जो यह दर्शाता हैं की कहीं कर्म व लाभ हेतु ईश्वर के मार्ग मे बाधा उत्पन्न करने के फलस्वरूप ऐसा होता हो हालांकि ज्योतिष अनुसार पुत्र का कारक गुरु ग्रह को माना गया है जो कालपुरुष पत्रिका मे नवम भाव अर्थात हमारे भविष्य को भी दर्शाता हैं तथा ज्योतिष का कारक सूर्य को ही माना गया है |

अभी पिछले कुछ दिन पहले ही एक ज्योतिषी का पुत्र दुर्घटना में ईश्वर को प्यार हो गया,कुछ समय पहले कानपुर के एक बड़े ज्योतिषी का पुत्र अपने हॉस्टल में मृत पाया गया था,इंदौर के जाने - माने ज्योतिषी का पुत्र युवावस्था में चला गया,विश्व विख्यात ज्योतिषी बीबी रमन का पुत्र युवावस्था में दुर्घटना का शिकार होकर ईश्वर को प्यारा हुआ,एक अन्य ज्योतिषी का पुत्र विवाह सुख से वंचित हैं पत्नी छोड़ कर चली गयी,एक अन्य का पुत्र विवाह करना नहीं चाहता,एक और ज्योतिषी हैं उनके दोनों बेटे उनसे दूर विदेश मे रहते हैं,कुछ ऐसे ज्योतिषी भी मिले हैं जिनके पुत्र अपने कैरियर मे कुछ ज़्यादा नहीं कर सके तो अब पिता के साथ ही ज्योतिष के कार्यक्षेत्र मे आ गए हैं |

हमारे अनुभव में ऐसे बहुत से ज्योतिषी आए हैं जिनकी केवल कन्या संतान ही हैं पुत्र नहीं हैं, पुत्रो का विवाह नहीं हुआ अथवा विवाह खराब हुआ या उनकी पत्नी उनसे अलग रह रही है | क्या यह सिर्फ एक संयोग है या वास्तव में कुछ ऐसा है जो ज्योतिष बिरादरी समझ या देख नहीं पा रही है | आप भी अपने आसपास के ज्योतिषियो को देखिए आपको ऐसे बहुत सारे उदाहरण देखने को मिल जाएंगे | क्या यह सिर्फ एक इत्तेफाक है अथवा ईश्वर हमसे इस रूप में कुछ कहने की कोशिश कर रहा है जो ज्योतिष बिरादरी मानना नहीं चाह रही है |

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