सोमवार, 24 जून 2024

वक्री शनि 2024 में कैसा प्रभाव देंगे

 


वैदिक ज्योतिष में शनि को सभी ग्रहों में सबसे संवेदनशील ग्रह माना जाता है ! शनि देव जातक के कर्मों के अनुसार उसका न्याय करते हैं ! उनको न्यायाधीश का दर्जा प्राप्त है ! शनि को लेकर अक्सर यह कहा जाता है कि जिससे वह नाराज हो जाएं उसे काफी कष्ट झेलने पड़ते हैं ! ऐसे में शनि की चाल भी काफी मायने रखती है !  फिलहाल शनि अपनी मूल राशि यानी कुंभ में स्थित हैं और 29 जून को इसी राशि में उल्टी चाल से चलेंगे यानी शनि वक्री हो जाएंगे ! 

शनि 29 जून 2024 की रात को 12 बजकर 35 मिनट पर अपनी ही राशि यानी कुंभ राशि में उल्टी चाल से चलने लगेंगे ! शनि इस वक्री अवस्था में 15 नवम्बर तक 139 दिन रहेंगे ! इस शनि के वक्री होने से जहां कर्क, कन्या सहित मकर राशियों के जातकों के जीवन में तूफान एगा वहीं, सिंह राशि के लिए यह समय बदलाव का होगा !

आइए, जानते हैं शनि की इस उल्टी चाल का 12 राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा :

मेष लग्न मे शनि दशम तथा एकादश भाव का स्वामी बनते है  जिस कारण ये इस राशि के एकादश भाव में वक्री हो रहे हैं जो की धन का भाव होता है ! इस लिहाज से शनि का वक्री होना मेष राशि के जातकों के लिए आर्थिक तौर पर काफी लाभदायक रहने वाला है ! मेष राशि वालों को इस दौरान अपने कैरियर और महत्वाकांक्षाओं का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ सकता है ! यदि यह मेहनत से न घबराते हुए कड़ी मेहनत करेंगे, तो सफलता इनके कदम चूमेगी ! इस वक्री शनि से इन्हे बेहतर परिणाम ही मिलेगा ! आकस्मिक धन लाभ होगा और इसके साथ-साथ कैरियर और बिजनेस में भी सफलता मिलने के योग बन रहे हैं ! लम्बे समय से रुके हुए काम पूरे होंगे और संतान का सुख भी मिल सकता है !   

वृष लग्न मे शनि नवम तथा दशम भाव का स्वामी बनता है | नवम स्थान से पिता व गुरुजनों तथा दशम भाव से कार्यक्षेत्र का विचार किया जाता है । इस राशि के दसवें भाव में वक्री हो रहे हैं और ऐसे में शनि की वक्री चाल इस राशि के जातकों के लिए आर्थिक तौर पर लाभकारी साबित होगी ! कैरियर में उन्नति के साथ साथ वरिष्ठ लोगों का साथ भी मिलेगा ! कैरियर और बिजनेस में तरक्की होगी ! इसके साथ-साथ पैतृक सम्पत्ति में लाभ के भी योग  बन रहे हैं !

मिथुन लग्न मे शनि अष्टम तथा नवम भाव का स्वामी होता है । इस शनि के वक्री होने से इस राशि वालों का भाग्य साथ देने में कंजूसी अथवा देरी कर सकता है । अष्टमेश होने से अचानक होने वाली कुछ घटनाएं भी हो सकती हैं । सुख को बनाए रखने के लिए आपको अधिक प्रयास करने पड़ सकते हैं । संचार और रिश्तों में कुछ देरी या बाधाएं आ सकती हैं ! परिवार के मामले में किसी विवाद में नहीं फंसेंगे, तो यह आपके लिए अच्छा होगा ! आपसी तालमेल के साथ निर्णय लेने की कोशिश के साथ साथ दूसरों को समझने और धैर्यपूर्वक बातचीत करने का प्रयास करेंगे तो शुभता प्राप्त होगी !

​कर्क लग्न मे शनि सप्तम तथा आठवें भाव का स्वामी होता है । शनि के इस राशि से आठवे भाव मे वक्री होने से आपको पारिवारिक मामलों और भावनात्मक मुद्दों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है ! इसके साथ आपको खुद का ध्यान भी रखना होगा कि आप भावनाओं में बहकर किसी अपने को ऐसे राज न बता दें, जिससे  आपको भविष्य में परेशानी हो ! पुरानी समस्याओं का समाधान निकालने का अच्छा समय है ! काम की सफलता के लिए बार-बार छोटी यात्राएं करनी पड़ सकती हैं |

सिंह लग्न से शनि छठे भाव तथा सप्तम भाव के स्वामी होते है । इस शनि के सप्तम भाव मे वक्री होने से इस राशि वालों को आत्मविश्वास और रचनात्मकता में कुछ कमी आ सकती है ! इससे निपटने के लिए आपको हनुमान जी की उपासना करनी होगी ! साथ ही यह समय ऐसा है कि आपको धैर्य रखने की जरुरत होगी ! सकारात्मक बने रहें और कड़ी मेहनत करते रहें ! आंतरिक शक्ति खोजने का अच्छा समय है ! यह समय आपको आध्यात्मिकता की ओर ले जाएगा ! स्थान परिवर्तन के योग भी बन रहे हैं । जीवनसाथी से विचारों में भिन्नता हो सकती है । धन का खर्च अधिक हो सकता है । आपको किसी कार्य को करने के लिए ऋण लेना पड़ सकता है।

कन्या लग्न के लिए शनि पंचम भाव तथा छठे भाव का स्वामी होता है | यह शनि इस लग्न मे छठे भाव मे वक्री होगा जिस कारण बनते कार्यों में बाधाओं या रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है । स्वास्थ्य का ध्यान रखना ज़रूरी होगा कोई पुरानी बीमारी छाती अथवा पेट संबंधी विकार हो सकते हैं । संतान संबंधी कोई विवाद अथवा कोई पुराना कर्जा फिर से खड़ा हो सकता हैं |

तुला लग्न से शनि चतुर्थ तथा पंचम भाव के स्वामी होते हैं । इस शनि के पंचम भाव मे वक्री होने से आपको घर के माहौल को अच्छा बनाए रखने के लिए घर के वातावरण को संतुलित करना पड सकता है । माता अथवा संतान के स्वास्थ्य में कोई कमी आ सकती है । शिक्षा के क्षेत्र में प्रयास अधिक करने पड़ सकते हैं ।

वृश्चिक लग्न के लिए शनि तृतीय तथा चतुर्थ भाव के स्वामी बनते हैं | शनि इस राशि के चौथे भाव में वक्री रहेंगे और वह इस भाव के स्वामी भी हैं ! कैरियर में लाभ होगा और नए बिजनेस प्लान बनाने पर कामयाब होंगे ! परिवार का सहयोग मिलेगा और आय के नए रास्ते खुलेंगे ! अचानक कहीं से धन लाभ हो सकता है ! जिस भी काम में हाथ डालेंगे, वहां मेहनत से आपको कामयाबी मिलेगी ! परिवार में खुशियों का माहौल रहेगा और कोई खुशखबरी भी मिल सकती हैं | मित्रों तथा सहयोगियों के सुख में कमी हो सकती है । गले तथा छाती से संबंधित समस्या भी हो सकती है ।

धनु लग्न के लिए शनि द्वितीय और तृतीय भावों के स्वामी होते हैं । इस शनि के तीसरे भाव मे वक्री होने से व्यर्थ की यात्राएं करनी पड़ सकती हैं । कुटुंब परिवार मे विचारों में भिन्नता होने से मतभेद होने की संभावना बनती है । पड़ोसियो से बहस बाजी हो सकती हैं |

मकर लग्न के लिए शनि लग्न और द्वितीय भाव के स्वामी बनते हैं । इस  शनि के दूसरे भाव मे वक्री होने से वाणी मे खराबी हो सकती हैं पर शनि लग्नेश भी हैं इसलिए वाणी पर नियंत्रण रखना अच्छा रहेगा । कुटुम्ब परिवार में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है । धन संचय के लिए अधिक प्रयास करने पड़ सकते हैं । बेवजह मानसिक परेशानी भी हो सकती है ।

कुम्भ लग्न के लिए शनि द्वादश और लग्न भाव के स्वामी होते हैं । शनि के लग्न मे वक्री होने से इस राशि वालों को मानसिक, आर्थिक तथा पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । बनते हुए कार्यों में रुकावटें आ सकती हैं खर्चें बढ़ सकते हैं । दशम भाव मे दृस्टी होने से कार्यक्षेत्र में बाधाओं का सामना भी करना पड़ सकता है ।

मीन लग्न के जातकों के लिए शनि एकादश तथा द्वादश भाव का स्वामी है | इस शनि के द्वादश भाव मे वक्री होने से खर्चें बढ़ सकते हैं । दाम्पत्य जीवन में भी स्थायित्व की कमी रह सकती है रुकी हुई विदेश यात्रा पुनः हो सकती हैं । लाभ प्राप्ति के लिए प्रयास दोगुने करने पड़ सकते हैं ।

 

कोई टिप्पणी नहीं: