सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक के समय को वार कहा जाता हैं जिससे उस दिन के स्वामी की गणना की जाती हैं | वार मुख्यत; सात माने जाते हैं जिन्हे रवि,सोम,मंगल,बुध,गुरु,शुक्र व शनि वारो के नाम से बुलाया जाता हैं,यह वार पृथ्वी से इन ग्रहो की दूरियो के अनुसार रखे गए हैं |
सूर्य (1),बुध (4),शुक्र (6),चन्द्र (2),मंगल (3),गुरु (5),शनि (7)
वार ज्ञात करने की गणितीय विधि इस प्रकार से हैं –
एक वर्ष मे सप्ताह निकालने पर एक
दिन तथा लीप वर्ष मे दो दिन शेष मिलते हैं (365/7 = 52 शेष 1) जिससे 100 वर्षो मे
5 दिन अधिक हो जाते हैं (100+24 लीप दिन /7=17 शेष 5)
आइये इसे
एक उदाहरण से सीखते हैं |
3 अप्रैल
2010 का वार क्या होगा ?
2000
वर्षो मे अधिक दिन =00
9 वर्षो
मे अधिक दिन (9/7)=02
लीप
वर्षो मे अधिक दिन =02
जनवरी
2010 के दिन (31/7)=03
फरवरी
2010 के दिन (28/7)=00
मार्च
2010 के दिन (31/7)=03
अप्रैल
2010 के दिन =03
कुल दिनो
का योग =13 जिसे 7 से भाग देने पर हमें 6 शेष मिला जो की सोमवार से गिनने पर
शनिवार का दिन हुआ |
प्रस्तुत
तरीके मे हम दिन सोमवार से ही गिनेंगे क्यूंकी एडी (एंटी डोमिनो) का आरम्भ सोमवार
से माना गया हैं,सोमवार
को 1,मंगल को 2,...........तथा
शनि को 6 गिना जाता हैं |
वार
निकालने का एक अन्य सूत्र इस प्रकार से हैं –इसके लिए हमे एक ध्रुवांक सारणी की
ज़रूरत पड़ती हैं |
क्रम माह
जन फर मा अ म जू जु अ सि अ न दि
1 समान्य 1 4
4 0 2 5 0 3 6 1 4 6
2
लीपवर्ष 0 3
3 0 2 5 0 3 6
1 4 6
1) सर्वप्रथम
दिये गए सन के दहाई अंक को 4 से भाग करे | (शताब्दी
वर्ष मे 100 को भी जोड़ेंगे)
2) भागफल
मे दिया गया वर्ष जोड़े (केवल दहाई)
3) इसमे दी
गयी तारीख जोड़े |
4) फिर
माह का ध्रुवांक जोड़े |
5) अब
इसमे 7 का भाग कर शेष को रविवार से गिने |
आइए इसे
एक उदाहरण से समझते हैं |
15-8-1947
का वार इस प्रकार देखेंगे ?
दहाई के
अंक 47 को 4 से भाग देने पर भागफल 11 आया
इसमे दिया
गया वर्ष 47 जोड़ा तो (11+47=58) आया
इसमे दि
गयी तारीख जोड़ने पर 58+15=73 आया
जिसमे
अगस्त माह का ध्रुवांक जोड़ने पर 73+3=76 आया
इसे 7 से
भाग देने पर 6 शेष आया जो की रविवार से गिनने पर शुक्रवार आया यानि 15-8-1947 को
शुक्रवार का दिन था |