स्त्री जातको के जीवन में विवाह के समय वास्तु शास्त्र बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है यह कहा जाता है कि स्त्री को सूर्य उदय से पहले उठकर अपना दाया पैर पहले ज़मीन पर रखना चाहिए तथा कुछ कदम पूर्व दिशा की ओर तथा फिर उत्तर दिशा की ओर चलना चाहिए क्योंकि पूर्व अच्छी सेहत तथा उत्तर दिशा परिवार में धन संपत्ति के लिए शुभ माना गयी है |
दिशा
अनुसार वैवाहिक दंपति को इस प्रकार सोना चाहिए |
उत्तर
दिशा में सोने से संपत्ति का नाश और
दुर्भाग्य मिलता है |
दक्षिण
दिशा में सोना शुभ होता है |
पश्चिम
दिशा में सोने से आलसीपना
तथा निंद्रा का
प्रकोप बढ़ता है |
पूर्व
दिशा में सोने से सर्दी,जुकाम तथा अन्य जल जनित बीमारियां होती हैं जिससे संतान उत्पत्ति में परेशानी होती है |
उत्तर
पूर्व में सोने से
विकलांग संतान होने का भय रहता है |
उत्तर
पश्चिम सोने से वात जनित
रोग हो सकते हैं |
दक्षिण
पूर्व में सोने से गर्मी का प्रकोप बढ़ सकता है तथा
दक्षिण पश्चिम में सोने से शुभता प्राप्त
होती है |
नवविवाहित
जोड़ें को हमेशा दक्षिण पश्चिम अथवा उत्तर पश्चिम में अपना शयन कक्ष बनाना चाहिए
उन्हें भूल कर भी दक्षिण पूर्व में अथवा उत्तर पूर्व में शयनकक्ष नहीं बनाना चाहिए
| शयन कक्ष में शीशे का प्रयोग नहीं करना चाहिए यदि ड्रेसिंग टेबल हो
तो उसे रात्रि के समय किसी कपड़े से ढक देना चाहिए |
विवाहित
स्त्री का उत्तर पूर्व में सोना उसे मुश्किल से संतान की प्राप्ति कराता है अथवा
विकलांग संतान देता है
क्योंकि यह दिशा विवाहित जीवन के लिए अच्छी नहीं मानी जाती |
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