बृहस्पति व शनि अपनी विशालता एवं धीमी गति के कारण पृथ्वी पर विशेष प्रभाव डालते हैं यही कारण है कि इन दोनों का गोचर पृथ्वी निवासियों को स्थाई रूप से प्रभावित करता है जब जब यह दोनों ग्रह युति बनाकर गोचर करते हैं इनका प्रभाव पृथ्वी पर उथलपुथल कारी होता है | ये जनधन की हानि कराते हैं,देशों में तनाव उत्पन्न करते हैं तथा सीमा पर संघर्ष को बढ़ाते हैं |
यह भी
देखा गया कि जब जब शनि और गुरु की युति धनु एवं मकर राशि में हुई तब तब एशिया के
देशों में तनाव अधिक हुआ है | 20 नवंबर 2020
को जब बृहस्पति मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो यह शनि से युति बनाते हुए गोचर
करेंगे जिसका प्रभाव इस प्रकार से होगा |
20 नवंबर 2020
से 6 अप्रैल 2021 तक मकर
राशि में इन दोनों ग्रहों की युति रहेगी |
14 सितंबर 2021
से 20 नवंबर 2021 तक मकर
राशि में फिर से इन दोनों ग्रहों की स्थिति रहेगी |
धनु एवं
मकर राशि में शनि गुरु की युति लगभग 60 वर्ष
में होती है |
पिछली
शताब्दी मे ये युति दो बार हुई है,जिसके निम्न
परिणाम रहे हैं |
सन 1900
से 1902 के बीच शनि और गुरु की धनु एवं मकर राशि में
युती जब थी तब चीन जापान एवं रूस के मध्य सीमा पर तनाव संघर्ष हुआ था |
दूसरी
बार धनु एवं मकर राशि में बृहस्पति शनि की युति 1960 और 1962
के बीच रही जिस दौरान भारत एवं चीन के मध्य संबंधों में तनाव हुआ जिसकी परिणति
युद्ध के रूप में हुई |
इस
प्रकार देखे तो एशियाई
देशों के लिए शनि एवं बृहस्पति की धनु मकर राशि में युति परेशानी उत्पन्न करती है
इसलिए इस बात की भी आशंका होती है कि इसबार
इस युति के दौरान भारत चीन एवं भारत पाकिस्तान के तनाव हो सकता है अथवा
अन्य देशों में भी युद्ध एवं तनाव की स्थिति बन सकती है अजरबैजान एवं आर्मीनिया का
युद्ध वर्तमान समय कई देशों के युद्ध का रूप ले सकता है इसके अलावा चीन अमरीका,ईरान
अमेरिका तथा अफ़ग़ानिस्तान की समस्या भी दोबारा उभर सकती है |
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