बृहस्पति आगामी 20 नवंबर को अपनी अग्नि तत्व की मूल त्रिकोण राशि धनु को छोड़कर पृथ्वी तत्व की राशि मकर में प्रवेश करेंगे,इस दौरान वे 22 जनवरी 2021 से 21 फरवरी 2021 तक अस्त रहेंगे तथा 29 जनवरी 2021 को सुबह 7:05 बजे सूर्य के अंश के बराबर होंगे,अपने इस गोचर में बृहस्पति 19 जून 2021 से 22 जून 2021 के बीच कुंभ राशि में तथा 16 अक्टूबर 2021 से 20 अक्टूबर 21 तक मकर राशि में स्तंभित अवस्था में भी रहेंगे |
20 नवंबर
2020 की सुबह 10:28 पर गुरु मकर राशि में प्रवेश करेंगे
चंद्रमा उस समय श्रवण नक्षत्र में चल रहे
होंगे जिससे मकर,सिंह व मीन राशि वालों को स्वर्ण मूर्ति होने से शुभ परिणाम,धनु
कन्या और वृषभ राशि वालों को रजत मूर्ति होने से शुभता,वृश्चिक
कर्क और मेष
राशि वालों को ताम्रमूर्ति
होने के कारण सामान्य फल तथा तुला,मिथुन और कुंभ राशि वालों को लोहमूर्ति होने से नकारात्मक परिणाम मिलेंगे |
धीमी
गति से गोचर करने वाले ग्रहों का भ्रमण धरती पर बहुत सारी उत्सुकता
को दिखाता है पिछले 1 वर्ष से बृहस्पति अपनी राशि
में थे तथा शनि अपनी ही राशि
में थे परंतु इस गोचर से शनि और गुरु एक ही राशि में आ जाएंगे |
भारतवर्ष
के लिए गुरु आठवीं और ग्यारहवें भाव का स्वामी होकर नवे और 10वे भाव के स्वामी शनि से मिलेगा जिससे धर्मकर्माधिपति योग
बनेगा |
भारत की राशि के अनुसार देखे तो गुरु छठे
और नवे भाव का
स्वामी होकर 7वे व 8वे भाव के स्वामी शनि से मिलेगा | इन सभी
के कारण गुरु का नीचभंग भी होगा
|
गुरु के इस गोचर से भारतवर्ष पर निम्न प्रभाव देखने को मिलेंगे |
भारतवर्ष
के लिए बृहस्पति का गोचर विशेष प्रभावी होता देखा गया है भारत की स्वतंत्र कुंडली
में गुरु अष्टमेश व एकादशेश होकर छठे भाव में है ये तीनों ही भाव ऐसे हैं जो किसी
देश के संबंध में आधारभूत क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं भारतवर्ष की नैसर्गिक
राशि मकर है स्वतंत्रता की कुंडली में राशि कर्क व लग्न वृषभ है तथा बृहस्पति तुला
राशि में स्थित है मकर राशि में गोचर की दृष्टि से देखें तो यह नैसर्गिक राशि मकर
के ऊपर से स्वतन्त्रता का कुंडली में स्थित कर्क राशि चंद्रमा से सातवां तथा
स्वतंत्रता की तुला राशि गुरु से चौथा गोचर होगा |
जहां तक
दशाओं का संबंध है दिसंबर 2019 से भारत मे चंद्रमा की महादशा में शनि की अंतर्दशा
चल रही है जो जुलाई 2021 तक रहेगी यह दशा शुभ नहीं कही जा सकती|
राजनीतिक
परिपेक्ष में कहे तो लोकतंत्र का कारक शनि तथा लोकतांत्रिक मूल्यों का कारक
बृहस्पति है विगत अशुभ गोचर अवधि में लोकतांत्रिक मूल्यों का ह्रास हुआ था उसके
विरुद्ध जनता एक आवाज बनकर उभरेगी तथा धर्म जाति एवं धन का अनैतिक प्रयोग जो चुनाव
में लिखा है उसका विरोध बढ़ेगा,राजनेताओं को
समझ में आएगा कि इस प्रकार की राजनीति अब नहीं चलेगी इस गोचर अवधि में चुनाव होने
से में सत्ता पक्ष की हानि हो सकती है|
अर्थव्यवस्था
की बात करें तो बृहस्पति का मकर राशि का गोचर अर्थव्यवस्था के लिए ज्यादा अच्छा
नहीं रहेगा जिससे मंदी बेरोजगारी एवं महंगाई जैसी समस्याएं नहीं सुलझ पाएगी,जनता
की खरीदारी शक्ति में कमी होगी,सरकार के प्रयास
नाकाफी साबित होंगे |
मौसम एवं
प्राकृतिक आपदा - मकर राशि में गुरु के प्रवेश करने से शनि और गुरु की युति बनेगी
जिससे मौसम एवं प्राकृतिक आपदा से संबंधित अप्रत्याशित घटना होने की आशंका बनेगी,इस
अवधि में सदी में अधिकता तथा सर्दी में पडने वाली वर्षा की अधिकता के साथ-साथ
बर्फबारी प्राकृतिक आपदा के कारण जनधन की हानि की आशंका भी रहेगी कोविड-19 नामक
बीमारी के पुनः तेज होने की आशंका बन रही है |
मई और
जून 2021 के महीने में जनहानि होने के योग बनेंगे पूर्व
में देखें तो जुलाई 1962 में जब गुरु कुंभ राशि में वक्री था तथा शनि मकर राशि में वक्री हुए थे चीन में
भारतवर्ष पर हमला किया था |
इसी प्रकार जब शनि कन्या
राशि में तथा वृषभ राशि में 1981 तथा 2001 में थे तो काफी जनहानी हुई थी इसी दौरान एड्स नामक बीमारी
आरंभ हुई थी |
2001 में जब बृहस्पति मिथुन राशि में तथा शनि वृषभ राशि में थे तो अमेरिका में ट्विन टावर की घटना हुई थी |
गुरु का अष्टकवर्ग अनुसार गोचर
8 बिंदु से गुजर रहा होतो जातक विशेष को उच्च
सम्मान अथवा मंत्री पद देता है |
7 बिंदु से गुजर रहा हो तो सभी क्षेत्रों में
खुशियां प्रदान करता है |
6 बिंदु से गुजर रहा होतो धन लाभ,वाहन सुख
अथवा गहने प्राप्त कराता है
|
5 बिंदु से गुजरने पर शत्रुओ से विजय व
अच्छे मित्रों से मिलना बताता है |
4 बिंदुओं से गुजरने
पर लाभ और हानि दोनों होती
है |
3 दिन गरीबी,स्नायु रोग,कानो
में दिक्कत तथा मानसिक परेशानी |
2 बिंदुओं
से गुजरने पर संपत्ति का नाश,पत्नी
की हानि,सरकार
द्वारा दंड |
एक बिंदु
गुजरने से शत्रुओं से परेशानी,रिश्तेदारों से दिक्कतें तथा प्रत्येक वस्तु
में हानि मिलती है |
0 बिन्दु से गुजरने पर चिंता
तथा पत्नी एवं संतान की हानि होती है |
यदि गुरु
लग्न से अशुभ
होतो मंदिर में जाकर दीपक जलाना शुभता
देता है |
चंद्र
राशि से अशुभ होने पर मंत्र जाप करना,हवन करना लाभदायक होता है तथा जन्म कालीन गुरु
से गुरु का गोचर अशुभ होतो दान करना जरूरतमंद की सेवा करना शुभता देता है |
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