बुधवार, 25 नवंबर 2020

नवदंपति की सोने की दिशा

 

स्त्री जातको के जीवन में विवाह के समय वास्तु शास्त्र बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है यह कहा जाता है कि स्त्री को सूर्य उदय से पहले उठकर अपना दाया पैर पहले ज़मीन पर रखना चाहिए तथा कुछ कदम पूर्व दिशा की ओर तथा फिर उत्तर दिशा की ओर चलना चाहिए क्योंकि पूर्व अच्छी सेहत तथा उत्तर दिशा परिवार में धन संपत्ति के लिए शुभ माना गयी है |

दिशा अनुसार वैवाहिक दंपति को इस प्रकार सोना चाहिए |

उत्तर दिशा में सोने से संपत्ति का नाश और दुर्भाग्य मिलता है |

दक्षिण दिशा में सोना शुभ होता है |

पश्चिम दिशा में सोने से आलसीपना तथा निंद्रा का प्रकोप बढ़ता है |

पूर्व दिशा में सोने से सर्दी,जुकाम तथा अन्य जल जनित बीमारियां होती हैं जिससे संतान उत्पत्ति में परेशानी होती है |

उत्तर पूर्व में सोने से विकलांग संतान होने का भय रहता है |

उत्तर पश्चिम सोने से वात जनित रोग हो सकते हैं |

दक्षिण पूर्व में सोने से गर्मी का प्रकोप बढ़ सकता है तथा दक्षिण पश्चिम में सोने से शुभता प्राप्त होती है |

नवविवाहित जोड़ें को हमेशा दक्षिण पश्चिम अथवा उत्तर पश्चिम में अपना शयन कक्ष बनाना चाहिए उन्हें भूल कर भी दक्षिण पूर्व में अथवा उत्तर पूर्व में शयनकक्ष नहीं बनाना चाहिए | शयन कक्ष में शीशे का प्रयोग नहीं करना चाहिए यदि ड्रेसिंग टेबल हो तो उसे रात्रि के समय किसी कपड़े से ढक देना चाहिए |

विवाहित स्त्री का उत्तर पूर्व में सोना उसे मुश्किल से संतान की प्राप्ति कराता है अथवा विकलांग संतान देता है क्योंकि यह दिशा विवाहित जीवन के लिए अच्छी नहीं मानी जाती |

शनिवार, 21 नवंबर 2020

बृहस्पति एवं शनि की मकर राशि मे युति 2020

 

बृहस्पति व शनि अपनी विशालता एवं धीमी गति के कारण पृथ्वी पर विशेष प्रभाव डालते हैं यही कारण है कि इन दोनों का गोचर पृथ्वी निवासियों को स्थाई रूप से प्रभावित करता है जब जब यह दोनों ग्रह युति बनाकर गोचर करते हैं इनका प्रभाव पृथ्वी पर उथलपुथल कारी होता है | ये  जनधन की हानि कराते हैं,देशों में तनाव उत्पन्न करते हैं तथा सीमा पर संघर्ष को बढ़ाते हैं |

यह भी देखा गया कि जब जब शनि और गुरु की युति धनु एवं मकर राशि में हुई तब तब एशिया के देशों में तनाव अधिक हुआ है | 20 नवंबर 2020 को जब बृहस्पति मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो यह शनि से युति बनाते हुए गोचर करेंगे जिसका प्रभाव इस प्रकार से होगा |

20 नवंबर 2020 से 6 अप्रैल 2021 तक मकर राशि में इन दोनों ग्रहों की युति रहेगी |

14 सितंबर 2021 से 20 नवंबर 2021 तक मकर राशि में फिर से इन दोनों ग्रहों की स्थिति रहेगी |

धनु एवं मकर राशि में शनि गुरु की युति लगभग 60 वर्ष में होती है |

पिछली शताब्दी मे ये युति दो बार हुई है,जिसके निम्न परिणाम रहे हैं |

सन 1900 से 1902 के बीच शनि और गुरु की धनु एवं मकर राशि में युती जब थी तब चीन जापान एवं रूस के मध्य सीमा पर तनाव संघर्ष हुआ था |

दूसरी बार धनु एवं मकर राशि में बृहस्पति शनि की युति 1960 और 1962 के बीच रही जिस दौरान भारत एवं चीन के मध्य संबंधों में तनाव हुआ जिसकी परिणति युद्ध के रूप में हुई |

इस प्रकार देखे तो एशियाई देशों के लिए शनि एवं बृहस्पति की धनु मकर राशि में युति परेशानी उत्पन्न करती है इसलिए इस बात की भी आशंका होती है कि इसबार इस युति के दौरान भारत चीन एवं भारत पाकिस्तान के तनाव हो सकता है अथवा अन्य देशों में भी युद्ध एवं तनाव की स्थिति बन सकती है अजरबैजान एवं आर्मीनिया का युद्ध वर्तमान समय कई देशों के युद्ध का रूप ले सकता है इसके अलावा चीन अमरीका,ईरान अमेरिका तथा अफ़ग़ानिस्तान की समस्या भी दोबारा उभर सकती है |

 

गुरु का मकर राशि परिवर्तन - नक्षत्र अनुसार फल व उपाय

 

अश्वनी नक्षत्र अप्रैल 2021 से लाभ के योग बनेंगे तथा नवंबर से जनवरी के बीच हानि होने की संभावना है विदेशों से आपको व्यापार मिल सकता है,आपके मित्र एवं भाई बहनों को धन का नुकसान हो सकता है |

भरणी नक्षत्र में जन्मे जातकों को बड़ा मकान मिलने के योग हैं,स्त्री जातकों को संतान संबंधित सर्जरी हो सकती है अथवा युटेरस संबंधी रोग परेशान कर सकता है,होटल इंडस्ट्री के लोगों को लाभ मिलने की संभावना है |

कृतिका प्रथम चरण में जन्मे जातकों को धीरे-धीरे धन लाभ होगा,राजनीतिक जगत के लोगों को बोलने का ध्यान रखना चाहिए,आपस के लोगों से तनाव के कारण सेहत खराब हो सकती है |

उपाय के तौर पर दोनों नाक के नथुनो में सरसों का तेल डालना लाभदायक रहेगा |

कृतिका के दूसरे तीसरे चौथे चरण में जन्मे जातक उम्मीद से ज्यादा लाभ कमाएंगे परंतु घुटने में चोट लगने का योग भी बन रहा हैं |

रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातक यदि संगीत/पब्लिकेशन क्षेत्र से हैं तो उन्हें बहुत ज्यादा लाभ होगा कुछ एक को कंधे में दर्द की शिकायत भी हो सकती है |

मृगशिरा 12 चरण में जन्मे जातक तेजी से तरक्की करेंगे उनके घर मे संतान जन्म हो सकता है,कमर में दर्द की शिकायत भी हो सकती है कुछ लोग अपना स्थान परिवर्तन भी कर सकते हैं |

उपाय के तौर पर मंदिर में पीले फूल चढ़ाना शुभता देगा |

मृगशिरा तीसरे व चौथे चरण में जन्मे जातक को कर्ज लेना पड़ सकता है तथा उन्हे उनकी माता का स्वास्थ्य परेशानी देगा |

आर्द्र नक्षत्र में जन्मे जातकों को अपने कार्य क्षेत्र में बहस बाजी से बचना चाहिए,खर्चों में अधिकता रहेगी,त्वचा संबंधित रोग तथा फेफड़ों में इन्फेक्शन की शिकायत रह सकती है |

पुनर्वसु 1-2-3 चरण में जन्मे जातकों को तनख़ाह में बढ़ोतरी होगी,व्यापार से लाभ मिलेगा,पुश्तैनी संपत्ति मिल सकती है,बोलने से पहले 2 बार सोचना आपके लिए लाभदायक रहेगा |

उपाय - पीली कमीज पहना था मंदिर में 8 किलो आलू का दान करना लाभदायक रहेगा |

पुनर्वसु चतुर्थ चरण में जन्मे जातकों की आमदानी अच्छी होगी तथा आप साहस भरे निर्णय लेंगे |

पुष्य नक्षत्र में जन्मे जातक यदि राजनीति से जुड़े हैं तो वह काफी सफलता प्राप्त करेंगे आपकी आमदनी बढ़ेगी तथा आप आरामदायक जीवन गुजारेंगे |

अश्लेषा नक्षत्र में जन्मे जातक के लिए संतान भाग्य लेकर आएगी,मित्र एवं भाई बहन मदद करेंगे तथा आपका धार्मिक जीवन मे रुझान बढ़ेगा |

उपाय के तौर पर सोना पीले कपड़े में बांधकर अपने घर पर रखें |

मघा नक्षत्र में जन्मे जातक योग करना व ध्यान लगाना शुरु करेंगे,परिवार वालों से वाद-विवाद ना करे,मई जून के महीने यात्रा होने के योग बन रहे हैं |

पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातक के लिए अच्छा समय आ रहा है परंतु सेहत संबंधी दिक्कतें भी रहेंगी उच्च अधिकारियों की मदद करना तथा दान करना जीवन में लाभ देगा |

उत्तराफाल्गुनी प्रथम चरण में जन्मे जातक तीर्थ यात्रा पर जाएंगे तथा कार्यक्षेत्र में नाम कमाएंगे |

उपाय कुत्तों को रोजाना कुछ ना कुछ खिलाएं |

उत्तरा फाल्गुनी 2-3-4 चरण मे जन्मे जातक विवाह बंधन में बंध सकते हैं अथवा संतान की प्राप्ति भी हो सकती है |

हस्त नक्षत्र में जन्मे जातक के लिए स्वास्थ्य की देखभाल करना उचित रहेगा आप अपना कीमती समय संतान की पढ़ाई लिखाई और भविष्य बनाने में लगाएंगे |

चित्रा 1-2 चरण में जन्मे जातक को इस समय कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए,ध्यान लगाना तथा गुस्सा ना करना लाभदायक रहेगा,चल अचल संपत्ति लाभ देगी बच्चों द्वारा से गर्व प्राप्त होगा |

उपाय - पीले रंग का रुमाल अपने साथ रखें |

चित्रा तीन और चार चरण में जन्मे जातको को यात्राओं से लाभ होगा कुछ लोग नया व्यापार करेंगे भूमि संबंधित व्यवसाय में लाभ देगा |

स्वाति नक्षत्र में जन्मे जातक को जल्दी धन कमाने की इच्छा त्यागनी पड़ेगी गलत कामों से बचना पड़ेगा आपको परेशानी होगी धूम्रपान करना छोड़ दें तथा शाकाहारी बने,चोरी से स्वयं को बचाएं |

विशाखा 1-2-3 चरण में जन्मे छात्रों को कोर्ट संबंधी राहत मिलेगी,आपके पिछले गलतियां आपको काफी परेशानी देंगी,बड़े बुजुर्गों की सेवा करना लाभदायक रहेगा |

उपाय - अवैध संबंधों से बचें तथा बड़े बुजुर्गों की आज्ञा का पालन करें |

विशाखा चतुर्थ चरण में जन्मे जातक को परिवारिक लोगों से बहसबाजी से बचना चाहिए तथा दूरगामी परिणामों को सोच कर ही कोई निर्णय लेना चाहिए |

अनुराधा नक्षत्र में जन्मे जातक पूर्व में किए निवेशकों से लाभ कमाएंगे स्वास्थ्य में थोड़ी दिक्कतें आ सकती हैं वाहन चलाने में सावधानी रखें |

ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातक को मिले जुले परिणाम मिलेंगे,लेखकों एवं संचार व्यवसाय से जुड़े लोगों को काफी राहत मिल जाएगी |

उपाय - फिटकरी के पानी से दाँत साफ करें |

मूल नक्षत्र में जन्मे जातक के लिए यह गोचर शुभता नहीं देगा,आप आध्यात्मिक जीवन की ओर अग्रसर होंगे परंतु हृदय संबंधी रोग भी हो सकते हैं |

पूर्वषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातकों को धन की प्राप्ति होगी नया घर नई गाड़ी आने के योग है सिविल इंजीनियर फैशन डिजाइनर और संगीत से जुड़े जातको के लिए अच्छा समय रहेगा |

उत्तराषाढ़ा प्रथम चरण में जन्मे जातकों को अपनी आंखों का ध्यान रखना पड़ेगा,बोलने से पहले सोच विचार करना चाहिए विद्यार्थी वर्ग को शिक्षा में बाधा मिल सकती है |

उपाय - भगवान गणेश का हवन घर पर करना लाभदायक रहेगा तथा बागवानी करना भी शुभता देगा |

उत्तराषाढ़ा 2-3-4 चरणों में जन्मे जातकों को आत्मविश्वास में बढ़ोतरी मिलेगी तथा आध्यात्मिक रुझान बढ़ेगा परिवारिक जीवन सरलता से चलता रहेगा |

श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातकों को त्वचा संबंधित दिक्कतें हो सकती हैं तथा धूम्रपान करने का शौक लग सकता है किसी मित्र के द्वारा ठगे जाने के योग भी बनेंगे नौकरी मे तबादला हो सकता है |

धनिष्ठा नक्षत्र 1-2 चरण में जन्मे जातकों की यात्रा बढ़ेगी कार्यक्षेत्र में बहस बाजी से बचें संचार के क्षेत्र में कार्य कर रहे जातकों को लाभ मिलेगा |

उपाय - गुरु गायत्री का जाप करना लाभदायक रहेगा तथा मंदिर में पीले आमों का दान करने से शुभता  मिलेगी|

धनिष्ठा 3-4 नक्षत्र में जन्मे जातको की वाणी में शुभता आएगी नए स्थान में जाना हो सकता है स्त्री जातिकाओ को शिक्षा में बाधा मिलने के योग रहेंगे |

शतभिषा नक्षत्र में जन्मे जातकों को आय में वृद्धि होगी तथा कार्य क्षेत्र में परेशानी भी मिलेंगी अपनी आदतों में सुधार करने से आपको बहुत लाभ मिलेगा आप अपना अधिकतर समय यात्रा में गुजारेंगे |

पूर्व भाद्रपद के पहले तीन चरणों में जन्मे जातकों को संतान द्वारा लाभ प्राप्त होगा परंतु कुछ मित्र शत्रुतापूर्ण व्यवहार करेंगे,वैवाहिक जीवन में सुख प्राप्त होते रहेंगे |

उपाय - प्रत्येक शनिवार पीपल की जड़ में जल चढ़ाएं तथा गले में माला ना पहने |

पूर्व भाद्रपद चतुर्थ चरण में जन्मे जातकों के लिए यह समय बहुत अच्छा होगा प्रत्येक क्षेत्र से उनकी तरक्की होगी तथा वह आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ेंगे |

उत्तर भाद्रपद में जन्मे जातकों के लिए गुरु का यह गोचर प्रसिद्धि एवं नाम की प्राप्ति कराएगा तथा आपको निश्चित आमदनी होने लगेगी संतान पक्ष से खुशीयो की प्राप्ति होगी |

रेवती नक्षत्र में जन्मे जातकों की छोटी यात्राएं होंगी जिनसे उन्हें लाभ मिलेगा तथा आय के नए साधन भी मिलेंगे परंतु छोटी मोटी तकलीफे लगी रहेगी |

उपाय - विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना,हनुमान चालीसा पढ़ना लाभदायक रहेगा तथा अपने गुरु को पीले वस्त्र दान करना भी शुभता प्रदान करेगा |

गुरु का मकर राशि गोचर 2020

 

बृहस्पति आगामी 20 नवंबर को अपनी अग्नि तत्व की मूल त्रिकोण राशि धनु को छोड़कर पृथ्वी तत्व की राशि मकर में प्रवेश करेंगे,इस दौरान वे 22 जनवरी 2021 से 21 फरवरी 2021 तक अस्त रहेंगे तथा 29 जनवरी 2021 को सुबह 7:05 बजे सूर्य के अंश के बराबर होंगे,अपने इस गोचर में बृहस्पति 19 जून 2021 से 22 जून 2021 के बीच कुंभ राशि में तथा 16 अक्टूबर 2021 से 20 अक्टूबर 21 तक मकर राशि में स्तंभित अवस्था में भी रहेंगे |

20 नवंबर 2020 की सुबह 10:28 पर गुरु मकर राशि में प्रवेश करेंगे चंद्रमा उस समय श्रवण नक्षत्र में चल रहे होंगे जिससे मकर,सिंह व मीन राशि वालों को स्वर्ण मूर्ति होने से शुभ परिणाम,धनु कन्या और वृषभ राशि वालों को रजत मूर्ति होने से शुभता,वृश्चिक कर्क और मेष राशि वालों को ताम्रमूर्ति होने के कारण सामान्य फल तथा तुला,मिथुन और कुंभ राशि वालों को लोहमूर्ति होने से नकारात्मक परिणाम मिलेंगे |

धीमी गति से गोचर करने वाले ग्रहों का भ्रमण धरती पर बहुत सारी उत्सुकता को दिखाता है पिछले 1 वर्ष से बृहस्पति अपनी राशि में थे तथा शनि अपनी ही राशि में थे परंतु इस गोचर से शनि और गुरु एक ही राशि में आ जाएंगे |

भारतवर्ष के लिए गुरु आठवीं और ग्यारहवें भाव का स्वामी होकर नवे और 10वे भाव के स्वामी शनि से मिलेगा जिससे धर्मकर्माधिपति योग बनेगा | भारत की राशि के अनुसार देखे तो गुरु छठे और नवे भाव का स्वामी होकर 7वे व 8वे भाव के स्वामी शनि से मिलेगा | इन सभी के कारण गुरु का नीचभंग भी होगा |

गुरु के इस गोचर से भारतवर्ष पर निम्न प्रभाव देखने को मिलेंगे |

भारतवर्ष के लिए बृहस्पति का गोचर विशेष प्रभावी होता देखा गया है भारत की स्वतंत्र कुंडली में गुरु अष्टमेश व एकादशेश होकर छठे भाव में है ये तीनों ही भाव ऐसे हैं जो किसी देश के संबंध में आधारभूत क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं भारतवर्ष की नैसर्गिक राशि मकर है स्वतंत्रता की कुंडली में राशि कर्क व लग्न वृषभ है तथा बृहस्पति तुला राशि में स्थित है मकर राशि में गोचर की दृष्टि से देखें तो यह नैसर्गिक राशि मकर के ऊपर से स्वतन्त्रता का कुंडली में स्थित कर्क राशि चंद्रमा से सातवां तथा स्वतंत्रता की तुला राशि गुरु से चौथा गोचर होगा |

जहां तक दशाओं का संबंध है दिसंबर 2019 से भारत मे चंद्रमा की महादशा में शनि की अंतर्दशा चल रही है जो जुलाई 2021 तक रहेगी यह दशा शुभ नहीं कही जा सकती|

राजनीतिक परिपेक्ष में कहे तो लोकतंत्र का कारक शनि तथा लोकतांत्रिक मूल्यों का कारक बृहस्पति है विगत अशुभ गोचर अवधि में लोकतांत्रिक मूल्यों का ह्रास हुआ था उसके विरुद्ध जनता एक आवाज बनकर उभरेगी तथा धर्म जाति एवं धन का अनैतिक प्रयोग जो चुनाव में लिखा है उसका विरोध बढ़ेगा,राजनेताओं को समझ में आएगा कि इस प्रकार की राजनीति अब नहीं चलेगी इस गोचर अवधि में चुनाव होने से में सत्ता पक्ष की हानि हो सकती है|

अर्थव्यवस्था की बात करें तो बृहस्पति का मकर राशि का गोचर अर्थव्यवस्था के लिए ज्यादा अच्छा नहीं रहेगा जिससे मंदी बेरोजगारी एवं महंगाई जैसी समस्याएं नहीं सुलझ पाएगी,जनता की खरीदारी शक्ति में कमी होगी,सरकार के प्रयास नाकाफी साबित होंगे |

मौसम एवं प्राकृतिक आपदा - मकर राशि में गुरु के प्रवेश करने से शनि और गुरु की युति बनेगी जिससे मौसम एवं प्राकृतिक आपदा से संबंधित अप्रत्याशित घटना होने की आशंका बनेगी,इस अवधि में सदी में अधिकता तथा सर्दी में पडने वाली वर्षा की अधिकता के साथ-साथ बर्फबारी प्राकृतिक आपदा के कारण जनधन की हानि की आशंका भी रहेगी कोविड-19 नामक बीमारी के पुनः तेज होने की आशंका बन रही है |

मई और जून 2021 के महीने में जनहानि होने के योग बनेंगे पूर्व में देखें तो जुलाई 1962 में जब गुरु कुंभ राशि में वक्री था तथा शनि मकर राशि में वक्री हुए थे चीन में भारतवर्ष पर हमला किया था | इसी प्रकार जब शनि कन्या राशि में तथा वृषभ राशि में 1981 तथा 2001 में थे तो काफी जनहानी हुई थी इसी दौरान एड्स नामक बीमारी आरंभ हुई थी | 2001 में जब बृहस्पति मिथुन राशि में तथा शनि वृषभ राशि में थे तो अमेरिका में ट्विन टावर की घटना हुई थी |

 

गुरु का अष्टकवर्ग अनुसार गोचर

8 बिंदु से गुजर रहा होतो जातक विशेष को उच्च सम्मान अथवा मंत्री पद देता है |

7 बिंदु से गुजर रहा हो तो सभी क्षेत्रों में खुशियां प्रदान करता है |

6 बिंदु से गुजर रहा होतो धन लाभ,वाहन सुख अथवा गहने प्राप्त कराता है |

5 बिंदु से गुजरने पर शत्रुओ से विजय अच्छे मित्रों से मिलना बताता है |

4 बिंदुओं से गुजरने पर लाभ और हानि दोनों होती है |

3 दिन गरीबी,स्नायु रोग,कानो में दिक्कत तथा मानसिक परेशानी |

2 बिंदुओं से गुजरने पर संपत्ति का नाश,पत्नी की हानि,सरकार द्वारा दंड |

एक बिंदु गुजरने से शत्रुओं से परेशानी,रिश्तेदारों से दिक्कतें तथा प्रत्येक वस्तु में हानि मिलती है |

0 बिन्दु से गुजरने पर चिंता तथा पत्नी एवं संतान की हानि होती है |

यदि गुरु लग्न से अशुभ होतो मंदिर में जाकर दीपक जलाना शुभता देता है |

चंद्र राशि से अशुभ होने पर मंत्र जाप करना,हवन करना लाभदायक होता है तथा जन्म कालीन गुरु से गुरु का गोचर अशुभ होतो दान करना जरूरतमंद की सेवा करना शुभता देता है |