राहु और केतु
हमेशा विपरीत दिशा में घूमते हैं | राहु और केतु
का 3,6,11 भाव में होना तथा उन पर गुरु की दृष्टि होना शुभ
फल प्रदान करता है इनके अतिरिक्त यदि यह किसी अन्य भाव में होते हैं और
उन पर शुभ ग्रह का प्रभाव नहीं होता तो उस भाव से संबंधित परेशानियां जातक के जीवन मे लगी रहती हैं
| राहु केतु चमड़ी से संबंधित परेशानियां,अपच तथा फूड प्वाइजनिंग जैसी बीमारी देते हैं |
राहु को विशोन्तरी दशा
मे 18 वर्ष तथा केतु को 7 वर्ष किए गए हैं |
राहू मिथुन व कन्या
राशि मे बोलने की बेहतरीन कला देता हैं जबकि केतू धनु व मीन मे अध्यात्म हेतु
शुभता देता हैं |
राहू जिस भाव मे जिस
ग्रह के साथ होता हैं उसके कारकत्वों को समाप्त कर देता हैं
जबकि केतू उस ग्रह व भाव से संबन्धित विरक्ति देता हैं |
राहु को ऐश्वर्य
कारक माना जाता है जबकि केतु को ज्ञान व मोक्ष कारक माना जाता है यह दोनों
ग्रह विदेश यात्रा अथवा जन्म स्थान से दूर रहना बताते हैं |
राहु मिथुन राशि मे पुनर्वसु नक्षत्र
में 23 मार्च 2019 से 28 सितंबर 2019 तक,आर्द्रा नक्षत्र में 29 सितंबर 2019 से 22 मई 2020 तथा
मृगशिरा नक्षत्र में 23 मई 2019 से 20 सितंबर 2020 तक रहेंगे जबकि केतु उत्तराषाढा नक्षत्र में 23 मार्च
से 25 मई 2019 तक,पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र
में 26 मई 19 जनवरी 2020 तक तथा मूल नक्षत्र
में 29 जनवरी 2020 से 20 सितंबर 2020 तक रहेगा |
राहु का वायु तत्व राशि मिथुन राशि में
जाना देश विदेश मे तूफानों व तेज हवाओ के द्वारा हानि
करवा सकता है जिससे संचार के साधनों में बुरी तरह से अशुभ प्रभाव पड़ सकता है तथा टेलीकम्युनिकेशन
डिपार्टमेंट अथवा नेटवर्क जगत को भारी नुकसान हो सकता है |
जब राहु मिथुन
राशि में जाएगा तो केतु धनु में शनि के साथ मिल जाएगा जो भारत वर्ष मे हथियारों से संबंधित कोई स्कैंडल बाहर निकाल
सकता है क्यूंकी धनु अग्नि राशि हैं तो बहुत से अग्निकांड बड़ी तेजी से होंगे जिससे पर्यटन क्षेत्र को बहुत ज्यादा नुकसान होने के संभावना रहेगी क्योंकि यह काल
पुरुष की कुंडली में नवा भाव होगा इस पर शनि केतु का प्रभाव होगा |
राहु की लिए दुर्गा
की तथा केतु के लिए गणेश जी की पूजा की जानी चाहिए |
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