बुधवार, 19 सितंबर 2018

वाहन अनुसार ग्रह दशा का प्रभाव


सूर्य - सूर्य के 2 वाहन सिंह और अश्व बताए गए हैं यह दोनों जानवर ही राजसिकता,राजसी वैभव,संपनता तथा ऐश्वर्य का प्रतीक होते हैं ऐसे मे जब सूर्य दशा आती है तब जातक के जीवन में उसे राजसी वैभव,संपन्नता और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है परंतु सिंह में अहंकार और स्वाभिमान होने के कारण तथा अश्व मे स्वतन्त्रता की चाह होने के कारण ऐसा जातक स्वाभिमान तथा अहंकार पूर्ण आचरण करते हुए जीवन जीने की चाह रखता है अपनी मनमर्जी से निर्णय लेता है मेहनत से ज्यादा आशा परिणाम की करता है उसका स्वभाव आक्रामक होने लगता है वह शॉर्टकट अपनाने की जल्दबाजी करता है अपने अधीन लोगो से नियमों को पालन करवाने का उसका स्वभाव बन जाता है परंतु स्वयं वह किसी नियम का पालन करना नहीं चाहता |

चन्द्र – चन्द्र का वाहन केकड़ा बताया गया है जिसके शरीर की तुलना में पैर बड़े होते हैं इस चन्द्र दशा के दौरान अधिकांश जातक दिग्भ्रमित होकर अनिर्णय की स्थित मे रहते हैं करना कुछ चाहते हैं करते कुछ और हैं उन्हें निर्णय लेने में कठिनाई होती है एकाग्रता का अभाव होता है उनकी कल्पनाशीलता बढ़ जाती है जिससे उनकी योजनाएं तो अवश्य बनती है परंतु उनका क्रियान्वयन नहीं हो पाता ऐसे मे जातक अपने आपको औरों से अलग गुप्त रखना पसंद करते हैं |

मंगल - मंगल का वाहन मेढ़ा होता है जिसके कारण मंगल महादशा में जातक के स्वभाव में विचित्रता आ जाती है वह किसी भी बात पर तर्क-वितर्क अथवा कुतर्क करने लगता है जल्दबाजी में हर कार्य पूर्ण करता जाता है तथा बाद में पछताता है ऐसे में चोट लगने का भय बना रहता है जातक अलग हटकर कुछ करना चाहता है तथा उसके लिए विपरीत शैली भी अपनाता है उसमे सुनने से ज्यादा सब को सुनाने की प्रवृत्ति आ जाती है |

बुध - बुध का वाहन मनुष्य होता है कहीं-कहीं बुध का वाहन ऐसा सिंह बताया गया है जिसके मुंह पर कान के स्थान पर हाथी की सूंड लगी होती है बुको सबसे चतुर,चालाक,कपटी,अवसरपरस्त तथा वणिक ग्रह माना गया है एक सामान्य सा व्यक्ति भी बुध दशा आने पर मनी माइंडेड हो जाता है तथा बचत करने की प्रवृत्ति बना लेता हैं इस दशा मे जातक किस से कितना काम बनेगा इसी बात से वह मतलब रखना पसंद करता है उसकी मानसिकता सुरक्षित व संरक्षित करने वाली बन जाती है |

गुरु गुरु का वाहन मोर होता है जो कि सुंदर और गंभीर माना जाता है जमीन पर रहते हुए भी अवसर पाने पर आकाश पर उड़ता है ज्ञान योग्यता का अद्भुत संगम उसमें होता है परंतु अहंकार की भावना भी होती है अपनी योग्यता के सामने वह किसी को कुछ नहीं समझता परंतु अपनी कमजोरी को जानकर रोता भी है ऐसे में जातक सीखना और सिखाना चाहता है जातक दूसरों के लिए धन उपार्जन करता है स्वयं सम्मान पाने की इच्छा व कल्पना रखता है झूठी प्रशंसा करने वालों के द्वारा ठगा जाता है ऐसा जातक कान का कच्चा होने पर दूसरों की प्रशंसा ज्यादा करता है |

शुक्र - शुक्र  का वाहन बैल है जो बली एवं गर्वीला पशु होता है शुक्र महादशा में जातक संसार के प्रति आकर्षित होकर अपने जीवन यापन के लिए ऐश्वर्य की वृद्धि करता है जातक की पृष्ठभूमि और परिवेश में परिवर्तन आते जाते हैं वह जीवन के सभी भोग भोगने की इच्छा करने लगता है यदि वासनाओ के प्रति नियंत्रित रहता है तो यह दशा उसको बहुत सफलता प्रदान करती है परंतु अगर पथभ्रष्ट हो जाता है तो उसका पतन भी निश्चित हो जाता है |

शनिशनि का वाहन भैंसा है जो स्थिर मानसिकता एवं मंद मंद चलने वाला पशु माना जाता है इसमें चंचलता या उछलकूद दिखाई नहीं देती यह मान-अपमान,सुख-दुख से अप्रभावित निश्चित सा रहता है जातक मे आलस और लापरवाही विकसित होने लगती है जातक अपनी परिस्थितियों को बदलने में हिचकिचाता है तथा स्वयं को समायोजित करना पसंद करता है जल्दी से परिवर्तन स्वीकार नहीं करता अति परिश्रमी होते हुये मेहनत करता चला जाता है |

राहु - राहु का वाहन छोटा बकरा होता है जो बार-बार समूह से बाहर निकलकर आनंद लेना पसंद करता है अर्थात राहु दशा में जातक को यह पता नहीं चलता कि वह कार्य क्यों कर रहा है पर वह कार्य करता चला जाता है तथा लंबे समय तक उस विषय से जुड़ा रहता है राहु दशा में जातक उलझता ही जाता है तथा अपने भूतकाल को भुला नहीं पाता |

केतु - केतु का वाहन बड़ा बकरा माना गया है जो अनियंत्रित होकर व्यर्थ परिश्रम और भ्रमण करता रहता है इस दशा मे जातक का पृथकतावादी दृष्टिकोण उभरता है जातक सब चीजों से भागने का प्रयास करता है तथा उसकी जोखिम लेने की संभावना विकसित होने लगती है इस अवस्था में जातक बार-बार नई-नई स्थितियों की ओर जाने की सोचता है तथा वह भूतकाल में मिले सबक को याद नहीं रख पाता है |


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