जब कोई जातक अपनी आमदानी से ज़्यादा खर्च करता हैं तो उसे कर्ज़ लेना पड़ता हैं यह कर्ज़ बहुत से कारणो से
लेना पड सकता हैं आइए जानने का प्रयास करते हैं की जातक किन कारणो
से किस अवस्था मे कर्ज़ लेता हैं तथा उसको चुकाने के लिए क्या क्या कर सकता हैं |
प्रत्येक जातक अपने जीवन मे
कुंडली के 1 से 10 भावों द्वारा कमाता है कुंडली का 12वा भाव जातक का वो व्यय अथवा खर्चा बताता है जो किसी भी कारण
से हुआ हो अतः कुंडली के 1 से 10 भावों के लाभ को जोड़कर इस 12वे भाव द्वारा घटाया जाता है तब हमें सकल लाभ प्राप्त होता
है जो 11वे भाव से देखा जाता
है |
साधारणत: 2,10,11 भाव का अध्ययन
धन कमाने हेतु देखा जाता हैं | 6ठा भाव क्यों कब तथा किस हद तक कोई कर्जा लेगा,8वा भाव हानी,घाटे तथा आकस्मिक
लाभ हेतु तथा 12वा भाव खर्च खरीदारी तथा निवेश
आदि के लिए देखा जाना चाहिए अत: 6,8,12 भावो का अध्ययन खर्च,घाटे,हानि तथा कर्ज लेने हेतु देखा जाता है |
जब किसी भावेश का संबंध
6,8,12 भाव से होगा तो जातक
उनसे संबंधित कर्ज़ लेगा जैसे लग्नेश से संबंध हो तो जातक स्वयं के
स्वास्थ्य,साथी और खर्चे के लिए कर्ज लेगा,2रे भाव से संबंध हो तो परिवार,आंखों और अपने जीवन साथी के लिए कर्ज़ लेगा,5वे भाव से संबंधित हो तो बच्चों की शिक्षा,स्वयं के मनोरंजन या सट्टा आदि
के लिए कर्ज लेगा,12 वे घर का स्वामी
और शनि,चोरी गमन आदि से धन की हानि देते हैं
शनि 12वे भाव में तथा मंगल अथवा केतु
दूसरे भाव में हो तो जातक को धन अथवा कर्ज़ की तरफ से सावधान रहना चाहिए |
लग्नेश कर्ज लेने
वाले को तथा सप्तम भाव कर्ज़ देने वाले को दर्शाता है छठा भाव कर्ज बताता
है | कर्ज़ क्या है जातक को लाभ क्यूंकी कर्ज़ लेने
पर उसका धन बढ़ता है पर जातक को जो कर्ज दे रहा है उसके लिए छठा भाव 7 वें भाव
से 12वा है अर्थात उसका
धन घट रहा है खर्च हो रहा है अतः कर्ज लेने वाले हेतु लाभ तथा देने वाले हेतु खर्च
हुआ |
कर्ज़ चुकाने के लिए
12वा भाव प्रभावित होगा जो सप्तम
से 6ठा भाव हुआ अत: वह जातक जो इससे धन वापस ले
रहा है उसके लिए 12 भाव लेने वाला हुआ जिसने कर्ज़ दिया है अतः 6ठा भाव कर्ज़ देना तथा 12वा भाव कर्ज़ चुकाना दर्शाता है | कालिदास जी उत्तर कालामृत मे कर्ज़ चुकाने के लिए 12वा भाव देखने के लिए कहते हैं |
अष्टम भाव सप्तम
भाव से दूसरा है जो धन दर्शाता है जबकि सप्तम भाव कर्ज़ देने वाला बताता है यदि इस अष्टम भाव मे पाप ग्रह हुआ तो दिया कर्ज वापस आना
मुश्किल होगा |
2,6,10,11 भाव में शुभ
ग्रह पैसा दिलवाते हैं | 4,5,8,12
भाव में शुभ ग्रह कर्जा चुकाने में मदद देते हैं पापी ग्रह 2,10,11 भावो में होने पर धन कम करते हैं
तथा 4,5,8,12 भावो में होने पर खर्च बढ़ा कर कर्जा चुकाने नहीं देते |
जब लग्न अथवा लग्नेश का संबंध 6,8,12 भाव से होता हैं तब जातक स्वयं की
अथवा स्वयं के साथी,पत्नी की सेहत के लिए,व्यापार मे हुये घाटे के लिए कर्ज़ लेता हैं |
जब दूसरे भाव के स्वामी का अथवा दूसरे भाव का संबंध 6,8,12
से होतो जातक परिवार के लिए,पारिवारिक दायित्वों की
पूर्ति के लिए,अपनी
आँखों के
इलाज़ के लिए,अपना
धन बढ़ाने के लिए उधार अथवा कर्ज़ लेता हैं |
जब तीसरे घर
का स्वामी अथवा तीसरा भाव 6 8 12 भाव से संबंधित हो जाता है तो कर्ज जातक के भाई के
कारण (यदि पुरुष राशि में हो) और यदि स्त्री
राशि में हो तो बहन की वजह से लिया जाता है तीसरे भाव का स्वामी यदि
पुरुष राशि तथा मंगल स्त्री राशि में हो तो भाई बहनों के कारण कर्जा होता है यह कर्जा पड़ोसी की मदद
हेतु,छोटी-छोटी यात्राओं
पर,कोई कॉन्ट्रैक्ट लेने के लिए,किसी प्रकार के सर्टिफिकेट या डॉक्यूमेंट्स के लिए,गहने आदि के लिए भी हो सकता है जो की अंगूठी अथवा कड़े इत्यादि
हो सकते हैं यदि तीसरे का छठे भाव से संबंध हो तो कर्जा इन सभी के लिए लिया जाता है
यदि 8 और 12 से संबंध हो तो गहने को बेचा जा पड़ता है |
यदि चौथे भाव
और चंद्र 6,8,12 भावो से संबंधित हो
तो कर्ज़ माता अथवा जानवर जमीन आदि के लिए किया जाता है चतुर्थेश और मंगल 6,8,12 से संबंधित हो तो जातक जमीन अथवा इमारत बनाने
के लिए भी कर्जा लेता है यदि चतुर्थ भाव के स्वामी का छठे से संबंध होता
है तो जातक मकान के लिए कर्जा लेता है और 8 और 12 से संबंधित होता है तो प्रॉपर्टी
को बेचता है यदि छठे भाव के स्वामी का किसी भी शुभ ग्रह से संबंध ना हो और वह नवम भाव
में बैठा हो चतुर्थेश की दशा में संपत्ति को बेचा जाता है नीलाम किया जाता है अथवा
विरोधी के द्वारा कब्जा ली जाती है |
यदि पंचमेश,पांचवे भाव और गुरु 6,8,12 से संबंधित हो तो बच्चों की शिक्षा अथवा उनके जीवन से संबंधित उधार लिया
जाता है कहीं-कहीं मनोरंजन के लिए तथा सट्टा आदि के लिए भी उधार लिया जाता है |
यदि छठे भाव का
स्वामी शनि से संबंधित हो तो शत्रु की परेशानी के कारण,चोरी के कारण बीमारी के कारण उधार लिया जाता है गुरु यदि इन से संबंधित हो
तो अपने आप को इल्जाम से बचाने के लिए तथा गुरु मंगल सूर्य के संबंध होने से चुनाव
के कारण कर्जा लिया जाता है |
यदि सप्तमेश द्वितीयेश
दशमेश का संबंध 6,8,12 से हो जाए तो साझेदारी के कारण व्यापार में कर्ज़ लिया जाता है
परंतु यदि शुक्र और सप्तमेश का संबंध 6,8,12 से हो तो पत्नी के कारण यदि गुरु और सप्तमेश का संबंध 6,8,12 से हो तो अपने आप को इल्जाम से बचाने के लिए
अथवा अपने दूसरे बेटे के लिए कर्जा लिया जाता है |
यदि अष्टमेश
6,8,12 से संबंधित
हो और पाप ग्रह भी देख रहा हो तो उधार शत्रु बीमारी और परेशानी के कारण किया जाता है
|
यदि नवम भाव का
स्वामी और नवा भाव 6,8,12 से संबंधित
हो जाए तो पिता के कारण,पत्नी के भाई
के कारण अथवा पत्नी की बहन के कारण या पत्नी की यात्रा के कारण अथवा लंबी दूरी की यात्रा
के कारण अथवा उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए धन लिया जाता है |
यदि दशम भाव का
स्वामी और सूर्य 6,8,12 से संबंधित हो जाएं तो जातक अपने पिता के द्वारा लिए गए उधार को चुकाने के लिए तथा व्यापार
के लिए उधार लेता है |
यदि एकादशेश का
संबंध 6,8,12 से हो जाए
तो जातक अपने मित्र के कारण उधार लेता है यदि एकादशेश और मंगल का संबंध 6,8,12 से हो तो जातक अपने बड़े भाई के कारण उधार लेता
है यदि एकादशेश व सूर्य का संबंध 6,8,12 से हो जाए तो जातक अपने पिता के छोटे भाई
के लिए कर्जा लेता है यदि एकादशेश गुरु और शुक्र का संबंध 6,8,12 से हो जाए तो जातक अपने दामाद के कारण कर्जा
लेता है |
बारहवें भाव
का स्वामी जब शनि से संबंधित हो तब चोरी,धोखा या गुप्त शत्रुओं
की हरकत के कारण उधार लेना पड़ता है जिनका शनि बढ़वे भाव मे हो,मंगल अथवा केतु दूसरे भाव मे हो उन्हें बहुत ध्यान
से रहना चाहिए क्योंकि वह कोई-न-कोई गुप्त तरीके से धन का नुकसान कर लेते हैं जैसे
कि पुलिस अथवा इनकम टैक्स के कारण उनका धन नुकसान होता है विशेषकर जब शनि मंगल अथवा
केतु की महादशा चल रही हो उनको इससे बचना चाहिए यदि शनि 3,6 और 10 भाव में हो तो वह बारहवें भाव को देखता है ऐसे में
भी व्यक्ति को अचानक भारी नुकसान होता है | इसी वजह से हमारे
पूर्वज कहते हैं कि शनि का दशम भाव में होना अचानक उदय के साथ साथ अचानक अस्त भी कर
देता है बारहवें भाव का नौकरो की शादी के लिए भी उधार दिलवाता है |
अब तक हमने
यह बताया कि जातक उधार क्यों लेता है अब हम यह देखेंगे कि कौन कौन से ग्रह अपनी
दशा भुक्ति में व्यक्ति विशेष को उधार लेने पर मजबूर करते हैं | पूर्ण दरिद्र योग में जन्मे जातक को उधार में फसना पड़ता है वह
एक उधार चुकाने के लिए दूसरा उधार लेते चले जाते हैं |
कुछ ऐसे ही दरिद्र
योग यहां बताए गए हैं |
यदि लग्नेश
का सप्तमेश से संबंध हो और लग्नेश और द्वादशेश में विनिमय हो |
जब लग्नेश और षष्ठेश में विनिमय हो
तथा चंद्र दूसरी और सातवें भाव के स्वामी से देखा जा रहा हो |
लग्नेश आठवें
भाव में दूसरे और सातवें के स्वामी से संबन्धित हो |
लग्नेश आठवें
भाव में दूसरे और सातवे भाव के स्वामीयो तथा पाप ग्रह से प्रभावित
हो |
पंचमेश 6,8,12 में हो और शुभ ग्रह से संबंधित ना हो |
पंचमेश छठे और
या दसवें हो तथा उसे 2रे,6थे,7वे और 8वे के स्वामी देख
रहे हो |
पाप ग्रह
लग्न में 2,7 के स्वामी संग हो
|
दरिद्र योग का
अर्थ ऐसे योग से है जो व्यक्ति हमेशा कुछ ना कुछ मांगता रहता हो उसके पास ऐसे लोगों
की सूची होती है जिस ने उन्हें उधार दिया होता है पंचम भाव व्यक्ति की सोच को बताता
है तथा चंद्र मन दर्शाता हैं यदि चंद्रमा पांचवे भाव में
केतु संग हो तो व्यक्ति हमेशा यह योजना बनाता रहता है कि वह किस प्रकार
से उधार लेगा और वह उधार लेने में कामयाब भी हो जाता है ऐसा विशेषकर
चंद्रमा के केंमद्रुम योग मे होने पर ( चन्द्र से 2/12 भाव मे कोई ग्रह ना होने
के कारण ) तथा चन्द्र से 4,7 और 10 भावो किसी भी शुभ ग्रह के ना होने पर होता है |
कर्ज लेने के
योग
1) मंगल यदि मीन
राशि में सूर्य चंद्र और शनि संग हो |
2) शनि की राशि
में बुध हो |
3) वृषभ राशि
में बुध रिश्तेदारों द्वारा कर्जा |
4) शनि और मंगल
बारहवें भाव में हो तो भाइयों और बहनों के द्वारा कर्जा |
5) बारहवें भाव
में गुरु पाप ग्रह संग हो तो टैक्स देने के लिए कर्जा लेता है |
6) सूर्य चंद्र बारहवे भाव में हो अथवा सूर्य
राहु और शुक्र बरहवे भाव में हो तो व्यक्ति को इल्जाम के कारण कर्जा लेना पड़ता
है |
7) मीन,सिंह और धनु लग्न हो इसमें चंद्र कुंभ
का हो अथवा शुक्र वृश्चिक का हो अथवा गुरु अष्टम भाव में हो तो
कर्जा दान करने के लिए अथवा चैरिटी के लिए लिया होता है |
व्यक्ति
जिन्होंने किसी भी कारण कर्ज लिया हो उनकी कुंडली में इस तरह के
योग पाए जाते हैं |
लग्नेश की
स्थिति देखें देखें कि वह किस नवांश राशि में गया है जन्म के समय
यदि नवांश में उस लग्नेश को गुरु देख रहा हो तथा वह लग्नेश
मित्र राशि में हो तो जातक कर्ज मुक्त हो जाता है |
दूसरे और
ग्यारहवें भाव के स्वामीयो को नवांश में देखें॰ नवांश राशि का स्वामी कुंडली में यदि केंद्र भाव में हो तो ऐसा जातक भी कर्जा
वापस कर देता है |
जब जातक की सप्तम भाव से 2रे,6ठे,10वे तथा 11वे भाव के स्वामी अथवा इन
भावो मे स्थित ग्रहो की दशा चल रही होती है तो ऐसा जातक कर्ज जल्दी चुका
पाता है लग्न से देखने पर यह भाव 8,12,4 और 5 होते हैं | 4,5,8 व 12 भाव में शुभ ग्रह हो तो
उनकी दशा में भी जातक कर्जा चुका देता है |
यदि 2,5,9 और 12 भाव में पाप ग्रह होते हैं तो जातक
कर्जा चुकाने पर किसी न किसी कारणवश परेशानी अवश्य उठाता है | यदि 5,9 और 12वें भाव में वृश्चिक राशि हो और उन में शनि बैठा हो तब जातक कर्ज चुकाने में
कामयाब नहीं हो पाता तथा उसका यह
मामला कोर्ट कचहरी तक पहुंच जाता है कालचक्र दशा में छठे भाव का स्वामी भी इसी प्रकार
के परिणाम दिखाता है |
कोई व्यक्ति राजा
के घर में ही क्यों ना पैदा हुआ हो यदि उसका लग्नेश ग्रहण में हो,शत्रु राशि में हो,नीच का हो तथा 6,8, 12 भाव में हो तथा दूसरों
सातवें भाव के स्वामी से जुड़ा हुआ हो,शुभ ग्रह उसे ना देखते हो तो भी ऐसा व्यक्ति
कर्ज़ चुका पाने में मुश्किलें ही पाता है यदि किसी जातक के दूसरे भाव में सूर्य शनि
हो तो ऐसा जातक अवश्य ही कर्जा लेता है |
जातक को किस
दिशा से कर्जा मिल पाएगा इसका पता भी कुंडली द्वारा देखा जा सकता है वह राशि जो दूसरे
भाव के स्वामी की स्थिति बताती हो तथा ग्यारहवें भाव के स्वामी की राशि की दिशा भी जातक को कर्जा
दिलाती है अथवा जिस भाव दशा नाथ की दशा चल रही हो उस भाव से संबंधित दिशा में
भी कर्जा मिल जाता है जैसे यदि कोई जातक सिंह लग्न में हुआ हो तो उसका
दूसरे और ग्यारहवें भाव का स्वामी बुध बनेगा जब बुध की महादशा उसको आएगी तो ऐसा
जातक यदि उत्तर दिशा पर स्थित बैंक में जाए तो उसे अवश्य ही कामयाबी मिलेगी और कर्जा
मिल जाएगा यदि बुध दशम भाव का स्वामी हो तो भी उत्तर दिशा में कर्जा मिल जाएगा यदि एक और दो
भाव के स्वामी तीसरे भाव में हो तो ऐसा जातक अपने भाई से अथवा पड़ोसियों से
कर्जा लेता है |
छठे भाव में
बैठा ग्रह यह बताता है कि जातक अपने किसी संपत्ति को गिरवी आदि रखकर कर्ज प्राप्त
करेगा उस संपत्ति की वापसी के लिए 4,10 और 11 भाव
देखना चाहिए परंतु यदि 8 और 12 का संबंध हो तो वह संपत्ति भी चली जाती है |
आइए अब कर्ज़
चुकाने के कुछ उपाय बताते हैं |
यदि किसी जातक
को 10000 कर्ज लेना हो तो उसे 12000 लेकर
2000 अलग रख देने चाहिए तथा अश्वनी और अनुराधा नक्षत्र वाले दिन की प्रतीक्षा करनी
चाहिए अगर अश्विनी नक्षत्र है तो मेष लग्न और अगर अनुराधा
नक्षत्र है तो वृश्चिक लग्न देखना चाहिए तथा इन दो लग्नों में ही 2000 रुपयो को किस्त के रूप
में दे देना चाहिए इससे आप भविष्य में अपना संपूर्ण कर्जा चुका पाने में समर्थ हो जाएंगे
|
मंगल,शनि और इतवार का दिन चुने और यदि इन दिनों चतुर्थी या चतुर्दशी हो तब आप गुलिक का समय
देखें जब गुलिक लग्न में हो आप उसी समय कर्जा चुकाये आप देखेंगे कि
आपने कर्ज बहुत ही कम समय में चुका दिया है |
शनिवार का
दिन देखें तथा चर राशि लग्न जैसे मेष,कर्क,तुला और मकर देखें और यह देखें कि अष्टम भाव में उस समय पाप ग्रह हो तो कर्ज
की किश्त दे |
ध्यान रखें
कि कर्ज लेते और देते समय ग्रहण का दिन ना हो तथा व्यतिपात योग ना हो जिससे देने
और लेने वाले दोनों व्यक्तिओ को मृत्यु का भय लगा रहता है |
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