शनिवार, 29 अक्तूबर 2016

आपके प्रश्न......4

4)मेरे पति से मेरी हमेशा अन-बन रहती हैं कोई उपाय बताए ? रीता 14/10/1985 00:15 चंडीगढ़

रीता जी आपकी पत्रिका कर्क लग्न व कन्या राशि की हैं जो आपको मानसिक रूप से चंचल प्रकृति का बताती हैं वही वाणी भाव मे मंगल का प्रभाव आपको तर्क-वितर्क करने का गुण प्रदान करता हैं आप अपने पति से बहस बाजी न किया करे उपाय के तौर पे घर पर पुजा पाठ ना किया करे |

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शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2016

इस दिवाली कुछ ऐसा करे ...

इस दिवाली कुछ ऐसा करे ...

दिवाली आ रही हैं ऐसे मे प्रत्येक व्यक्ति चाहता हैं की उसके घर मे माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहे उसे व उसके परिवार को धन-धान्य की कमी ना हो | हमारे शास्त्रो मे लक्ष्मी प्राप्ति के वैसे तो बहुत से प्रयोग बताए गए हैं परंतु वो कितने सही व सटीक साबित होते हैं इस पर हमेशा से संशय बना रहता हैं | अपने इस प्रस्तुत लेख मे हम जनसाधारण के लिए कुछ ऐसे प्रयोग बता रहे हैं जिनसे उनके जीवन मे माँ लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी |

1)दिवाली के दिन प्रात: स्नान आदि करके एक जोड़ा वस्त्र माँ लक्ष्मी व भगवान विष्णु के मंदिर मे उनके लिए दान करे व एक अन्य जोड़ा वस्त्र किसी गरीब पति पत्नी को भगवान विष्णु व लक्ष्मी समझकर दान करे यहाँ यह अवश्य ध्यान रखे की वस्त्र पीले व लाल रंग के हो |

2)शाम के समय पुजा करते समय यदि संभव होतो नए वस्त्रो का प्रयोग करे विशेषकर अपनी पत्नी को लक्ष्मी स्वरूपा मानकर अच्छी तरह से श्रंगार इत्यादि  करने को कहें व घर पर उपलब्ध सभी पूजन व मिष्ठान आदि सामग्रियों से पुजा करे | यह अवश्य ध्यान रखे की जो समान आप अपनी सामर्थ व श्रद्धा से माँ लक्ष्मी हेतु रख सकते हैं वही रखे ज़्यादा प्रपंच ना करे |

3)जब आप पुजा कर रहे हो तब बच्चो को घर के आँगन मे,छत मे पटाखे आदि जलाने को कहें ऐसा करना माँ लक्ष्मी के स्वागत मे अपनी खुशी दर्शाना  होता हैं बच्चो से पुजा करने को कहना ज़रूरी नहीं यदि वह करना चाहे तो कोई बात नहीं अन्यथा उन्हे खुशी मना लेने दे |

4)पुजा करने के बाद घर के मुख्य दरवाजे पर दीपक आदि जलाए,प्राकृतिक रोशनी करे,एक दूसरे से प्रसाद वितरण करे,बच्चो के साथ पटाखे आदि जलाए |

5)घर के बाहर लाल रंग का प्रकाश करे जिससे माँ लक्ष्मी आकर्षित होती हैं |

6)ध्यान रखे की दिवाली के पुजा आपको भगवान विष्णु व माँ लक्ष्मी की करनी हैं साधारणत: यह माना जाता हैं की इस दिन गणेश व लक्ष्मी की पुजा होती हैं भगवान गणेश का आहवाहन सभी प्रकार की पुजा मे सबसे पहले होता ही हैं उसके बाद भगवान विष्णु व फिर माँ लक्ष्मी की पुजा करे सीधे माँ लक्ष्मी की नहीं |

7)पूजन करने के बाद आरती ना करे आरती करना विसर्जन करना होता हैं इससे माँ लक्ष्मी आती तो हैं पर टिकती नहीं हैं |

8)कोशिश करे की आप उहार इत्यादि ऐसे लोगो को भी दे जिन्हे सच मे आपके उपहार की ज़रूरत हैं जिससे आपके साथ साथ उनकी भी दिवाली मने |


डॉ॰किशोर घिल्डियाल (ज्योतिषाचार्य)     

आपके प्रश्न......3

3)इस वर्ष मेरा स्वस्थ्य कैसा रहेगा ? विक्रम 26/11/1951 5:30 पटियाला

विक्रम जी आपकी पत्रिका तुला लग्न व कन्या राशि की हैं वर्तमान दशा बुध मे चन्द्र की हैं जिसके कारआपको इस समय गले व जीभ संबंधी परेशानी हो सकती हैं आप अपना पूर्ण चेक उप कराये व उपाय हेतु 2 दिन मंदिर मे नारियल बादाम दान करे साथ ही अपनी बहन या बेटी को मिठाई खिलाये अथवा दान दे |   


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गुरुवार, 27 अक्तूबर 2016

आपके प्रश्न......2

आपके प्रश्न......2

2)अंकल मुझे गुस्सा बहुत आता हैं क्या करू ? पुजा 20/11/1991 16:02 फ़रीदाबाद
पुजा जी आपकी पत्रिका मेष लग्न व मेष राशि की ही हैं आपके अष्टम भाव मे मंगल होने से आप मंगली जातिका हैं जिस कारण आपको गुस्सा ज़्यादा आता हैं आप निम्न उपाय करे 1)बरगद के पेड़ पर दूध चीनी मिला जल चढाए फिर उसकी गीली मिट्टी से तिलक करे |
2)नीली रत्न धारण करे |


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बुधवार, 26 अक्तूबर 2016

आपके प्रश्न ..........1)

आपके प्रश्न ..........1)

1)दिल्ली से प्रशांत जानना चाहते हैं की मेरा विवाह कब व कैसा होगा जन्म तिथि 23/10/1991 22:10 दिल्ली ?

आपकी पत्रिका मिथुन लग्न व मेष राशि की हैं आपकी पत्रिका मे अपनी पसंद से प्रेम विवाह करने की प्रबल संभावना हैं पत्नी दूसरी जाति से संबन्धित हो सकती हैं | विवाह अगस्त  2017 से जुलाई 2018 के मध्य हो सकता हैं | अष्टम भाव मे स्वराशी का शनि होने से स्त्री सुख प्राप्ति मे विलंब होता हैं इसके लिए वर्ष मे एक बार 800 ग्राम काली उड़द की दाल जलप्रवाह कर दिया करे |


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शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2016

स्त्री पत्रिका मे गुरु

स्त्री पत्रिका मे गुरु

सर्वाधिक शुभ ग्रहो मे से एक गुरु ग्रह प्रत्येक जातक की कुंडली मे सौभाग्य,मान सम्मान चरित्र,ज्ञान,संतान इत्यादि का प्रतिनिधित्व करता हैं परंतु स्त्री जातको की कुंडली मे इस गुरु ग्रह को विशेष महत्व दिया जाता हैं क्यूंकी उनकी पत्रिका मे यह पति संतान दोनों का कारक बनता हैं | ऐसी स्त्री जिसका पति व संतान ना हो उसे भारतीय समाज मे भाग्यशाली अथवा शुभ नहीं समझा जाता हैं |   

स्त्री की पत्रिका चाहे किसी भी लग्न की हो उसमे गुरु ग्रह की स्थिति कमजोर,पीड़ित व अशुभ नहीं होनी चाहिए क्यूंकी स्त्री पत्रिका मे गुरु का लग्न अथवा चन्द्र से मजबूत व शुभ अवस्था मे होना उनके वैवाहिक जीवन के लिए अवश्यंभावी रूप से शुभता दर्शाता हैं |

स्त्री पत्रिका मे जब गुरु 3,6,8,12 भावो मे यदि स्वग्रही होकर ना स्थित हो तो उनके विवाह मे विलंब अवश्य होता हैं इन चारो भावो मे से तृतीय भाव को फिर भी सही माना जाता हैं क्यूंकी यहाँ से गुरु सप्तम व नवम दोनों भावो को दृस्टी प्रदान करता हैं | समान्यत: स्त्री पत्रिकाओ मे गुरु को 1,4,5,9,10 व 11 भावो मे शुभ माना व समझा जाता हैं परंतु इन भावो मे भी गुरु यदि वक्री होतो विवाह मे देरी अथवा बाधा प्रदान करता ही हैं | जब गुरु अस्त,कमजोर,व पीड़ित होतो कन्याओ मे विवाह से संबन्धित पक्ष शुभ नहीं होता उनके विवाह मे कई बार विवाह होने से पूर्व अंतिम समय पर विवाह विच्छेद होने की समभावनाए बनती हैं अथवा विवाह की बात बनते बनते रह जाती हैं |

इस गुरु ग्रह का देवत्व से भरा व सर्वाधिक शुभ ग्रह होने के बावजूद एक बहुत ही बड़ा विरोधाभास देखने मे आता हैं की यह गुरु किसी भी लग्न मे सम्पूर्ण रूप से शुभ भावो का स्वामी नहीं बनता हैं जबकि सर्वाधिक रूप से पाप ग्रहो मे गिने जाने वाले ग्रह शनि व मंगल कम से कम एक लग्न मे तो योगकारक पाये जाते हैं,यहाँ तक की वृश्चिक लग्न जिसमे इस गुरु ग्रह को अति शुभ माना जाता हैं उसमे भी यह एक मारक भाव के स्वामी बनते हैं |

गुरु का स्वामित्व भी इस प्रकार से हैं की यह सप्तम भाव मे होने पर भी मिले जुले परिणाम ही प्रदान करता हैं जातक देश के अनुसार ग्रह जो पंचम,अष्टम व मांदी राशि का स्वामी  होकर सप्तम भाव मे शुभ प्रभाव मे ना हो तो जीवन साथी की मृत्यु तक दे सकता हैं |

आइए लग्न अनुसार देखते हैं की गुरु क्या क्या प्रभाव स्त्री पत्रिका मे सप्तम भाव मे स्थित होकर दे सकते हैं |

मेष लग्न मे गुरु नवम व द्वादश भाव के स्वामी बनते हैं इस अवस्था मे गुरु का नवमेश होकर सप्तम मे बैठना तो शुभ हैं परंतु द्वादशेश होकर बैठना अशुभ विशेषकर यदि वह राहू के नक्षत्र मे होतो यह और भी अशुभ हो जाता हैं |

वृषभ,सिंह व वृश्चिक लग्नों के लिए गुरु पंचमेश व अष्टमेश बनते हैं जिसके विषय मे हम पहले ही कह चुके हैं की सप्तम भाव मे स्थित इस गुरु पर यदि शुभ प्रभाव ना होतो यह जीवन साथी की मृत्यु भी दे सकते हैं |

मिथुन व कन्या लग्न के लिए गुरु बाधकपति होते हैं सप्तम भाव मे होने पर यह हंस नामक पंच महापुरुष योग का निर्माण तो करते हैं परंतु तब इनकी बाधकता और भी बढ़ जाती हैं और ये कई प्रकार की और भी अशुभता देते हैं |

कर्क लग्न मे गुरु सप्तम भाव मे होने पर नीच के हो जाते हैं जो विवाह हेतु अशुभ ही होते हैं वही 
तुला लग्न मे गुरु लग्नेश शुक्र का शत्रु होने के कारण अशुभ ग्रह ही बनता हैं इसका सप्तम भाव मे विशेषकर केतू व सूर्य के नक्षत्र मे होना अशुभता ही देता हैं |

मकर लग्न मे गुरु सप्तम भाव मे भले ही ऊंच के हो जाते हैं परंतु यहाँ यह तृतीयेश व द्वादशेश भी होते है जिस कारण अशुभता ही प्रदान करते हैं | कुम्भ लग्न के लिए गुरु मारक भाव का स्वामी बनता हैं जिसका दूसरे मारक भाव सप्तम मे होना किसी भी रूप से शुभता नहीं दे सकता वही धनु व मीन लग्नों के लिए यह दो केन्द्रो के स्वामी बनते हैं जिसका सप्तम भाव मे होना अशुभता ही प्रदान करेगा |

गुरु जब मांदी पति होकर सप्तम भाव मे स्थित होता हैं तब हानी ही करता हैं यहाँ यह भी ध्यान रखे की गुरु व बुध को लग्न मे दिग्बली माना जाता हैं तथा सप्तम भाव मे कमजोर व अशुभ माना जाता हैं वैसे भी गुरु की सप्तम भाव मे स्थिति से ज़्यादा उसकी सप्तम भाव पर दृस्टी शुभ होती हैं ऐसा अनुभव मे देखने मे भी आता हैं |

जातक देश के अनुसार पंचमेष का सप्तम भाव मे स्थित होना विवाह के लिए अशुभ माना जाता हैं जबकि अनुभवो मे यह देखा गया हैं की यह संबंध पंचम भाव हेतु अशुभता प्रदान करता हैं ऐसे मे जातक की कोई ना कोई संतान अवश्य नष्ट होती हैं ज्योतिष के महान ज्ञाता बी॰वी॰रमन की पत्रिका इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण हैं |

इस प्रकार हम कह सकते हैं की स्त्री पत्रिका मे गुरु यदि अशुभ भाव मे हो,चन्द्र संग हो, चन्द्र से सप्तम भाव मे हो तो शुरुआती परेशानियों के बाद विवाह शुभ रहता हैं | चन्द्र व गुरु का समसप्तक होना स्त्री हेतु विवाह मे शुभता ही दर्शाता हैं वही वैवाहिक शुभता के लिए सप्तम व नवम भाव का कोई ना कोई संबंध होना अवश्य होना चाहिए यदि इनके स्वामियो का परिवर्तन योग होतो बहुत ही शुभता रहती हैं | इसके साथ साथ लग्न व लग्नेश के स्थिति भी देखी जानी चाहिए |


गुरुवार, 13 अक्तूबर 2016

मंगल चन्द्र केतू..............आत्महत्या...6

मंगल चन्द्र केतू..............आत्महत्या

1)23/9/2016 को पंजाब के फ़रीदकोट मे एक ही परिवार के 4 लोगो अत्महत्या करी उस दिन मंगल की चन्द्र पर दृस्टी थी तथा मंगल केतू के नक्षत्र मे था |

2)26/9/2016 को दिल्ली के मधु विहार इलाके मे बाप और बेटे ने फांसी लगाकर अपनी जान दी इस दिन भी मंगल की चन्द्र पर दृस्टी थी तथा मंगल केतू के नक्षत्र मे था |

3)27/9/2016 को पंजाब के मोगा जिले मे एक प्रेमी प्रेमिका ने जहर खाकर अपनी जान दी इस दिन चन्द्र व मंगल दोनों ही केतू के नक्षत्र मे हैं |

4)1/10/2016 को दिल्ली के एक सेवानिवृत पालट ने अपनी लंबी बीमारी व अवसाद के चलते आत्महत्या करी इस दिन चन्द्र गुरु के साथ हैं मंगल केतू के नक्षत्र मे होकर गुरु की धनु राशि मे हैं |

5)8/10/2016 को देश के अलग अलग स्थानो मे 4 जगह आत्महत्या की वारदात हुयी |

1)मेरठ मे एक व्यापारी ने कर्जे के कारण अपने सारे परिवार के साथ फांसी लगाकर आत्महत्या करी |

2) मुक्तसर पंजाब मे एक बलात्कार से पीड़ित स्त्री ने फांसी लगाकर आत्महत्या करी |

3) चेन्नई मे एक छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या करी |

4)उत्तरांचल के काशीपुर मे एक वृद्द ने पारिवारिक क्लेश के कारण फांसी लगाकर आत्महत्या करी |

इस पुरे दिन मंगल व चन्द्र एक साथ एक ही राशि धनु मे केतू के नक्षत्र मे ही हैं |

6)12/10/2016 को दिल्ली के एक 22 वर्षीय युवक ने नेहरू प्लेस की एक 16 मंज़िल इमारत से कूद कर अपनी जान दे दी इस दिन चन्द्र केतू संग कुम्भ राशि मे मंगल के नक्षत्र धनिष्ठा मे ही हैं |