मुक प्रश्न –
ज्योतिष शास्त्र की एक अन्य विधा प्रश्न ज्योतिष का अध्ययन
करते समय यह जानना की जातक विशेष का आपके पास आने का क्या प्रयोजन अथवा वह आपसे क्या जानने के लिए आप के पास आया
हैं मुक प्रश्न के अंतर्गत आता हैं प्रस्तुत उदाहरणो मे हमने ऐसे ही कुछ प्रश्नो
का हल जानने के विषय मे बताने का प्रयास किया हैं |
जब कोई जातक आपके पास आता हैं तब उस समय की कुंडली देखे जिसे प्रश्न
कुंडली भी कहते हैं जातक के आपके पास आने की वजह निम्न तथ्यो से ज्ञात होती हैं |
1)जिस भाव मे अधिक ग्रह होंगे जातक उसी से संबन्धित प्रश्न लाया होगा |
2)जिस भाव मे चन्द्र होगा उस भाव से संबन्धित प्रश्न होगा |
3)लग्नेश व एकादशेश मे से जो ग्रह बली होगा उससे चन्द्र जितने भाव आगे
होगा चन्द्र से उतने ही भाव आगे गिने उस भाव से संबन्धित ही जातक का प्रश्न होगा |
1)प्रस्तुत कुंडली मकर लग्न की हैं जिसमे दूसरे भाव मे चन्द्र शनि,चतुर्थ
भाव मे गुरु(वक्री),पंचम भाव मे मंगल,छठे भाव मे सूर्य,बुध,शुक्र(वक्री) व राहू स्थित हैं तथा द्वादश भाव मे केतू हैं |
स्पष्ट रूप से देखने पर ज्ञात होता हैं की प्रश्न छठे भाव से संबन्धित होना चाहिए
क्यूंकी छठे भाव मे अधिक ग्रह हैं और जातक का प्रश्न भी उसी भाव से संबन्धित हैं |
छठे भाव मे मिथुन राशि (वायु तत्व,हरे रंग) हैं जिसमे शुक्र
पंचमेश,सूर्य अस्तमेश,बुध षष्ठेश व राहू हैं शुक्र चन्द्र अर्थात मन से भी पंचम हैं वही सभी
ग्रह शनि (लग्नेश) से भी पंचम हैं जो किसी
वस्तु की पसंद बता रहे हैं जो छठे भाव व वायु तत्व तथा हरे रंग की हो सकती हैं
संभवत; जातक अपने पालतू पक्षी जो की तोता हो सकता हैं उसका प्रश्न लेकर आया हैं
जातक ने पूछने पर ऐसा ही बताया की आज सवेरे से उसका पालतू तोता गायब हैं अब चूंकि
छठे भाव व षष्ठेश दोनों पर पाप प्रभाव ज़्यादा हैं उसे बताया गया की उसका पालतू
पक्षी कहीं उड़ गया हैं जो वापस नहीं आएगा |
2)यह पत्रिका कुम्भ लग्न की हैं (20/6/1995 22:55 मुंबई) जिसमे दूसरे भाव
मे चन्द्र शनि,तीसरे मे केतू,चौथे मे शुक्र बुध,पंचम मे सूर्य,सप्तम मे मंगल,नवम मे राहू तथा दशम भाव मे गुरु स्थित हैं |
लग्नेश द्वादशेश शनि चन्द्र(मन) संग दूसरे भाव मे हैं जिससे यह ज्ञात होता हैं की
प्रश्न दूसरे भाव से ही संबन्धित होगा जातिका से पूछा गया की क्या उसकी कोई वस्तु
खो गयी हैं जो चेहरे व पीले रंग (मीन राशि जो की गुरु ग्रह की होती हैं) से जुड़ी
हो सकती हैं जातिका ने कहा की उसकी नाक की बाली जो सोने की थी नहीं मिल रही हैं
अर्थात खो गयी हैं | अब द्वितीयेश (गुरु अर्थात वस्तु) देखे तो कर्म भाव वृश्चिक राशि पर हैं
जो की छिपी हुई जगह बताती हैं और गुरु स्वयं दूसरे भाव (मीन
राशि) को देख रहा हैं जहां लग्नेश शनि व चन्द्र हैं जो खोई वस्तु का संबंध जातक के
पैर व चमड़े (मीन राशि,षष्ठेश चन्द्र व शनि जातिका स्वयं) से स्पष्ट रूप से बता रहे हैं जातिका
को उसके चमड़े के जूतो मे नाक की बाली ढूँढने को कहा गया जो उसे घर जाकर जूतो मे
देखने पर मिल गयी
3)प्रस्तुत कुंडली कर्क लग्न की हैं (5/6/1994 8:32 दिल्ली) जिसमे चतुर्थ
भाव मे गुरु व राहू,आठवे मे शनि,दशम मे चन्द्र मंगल केतू,एकादश मे सूर्य तथा द्वादश मे बुध शुक्र हैं |
लग्नेश चन्द्र दशम भाव मे ऊंच अभिलाषी हैं तथा दशम भाव मे सबसे ज़्यादा ग्रह भी हैं
जिससे प्रश्न के दशम भाव से होने का भान होता हैं लग्न पर दशमेश व पंचमेश मंगल की
दृस्टी,लग्न का सम व पहले नवांश मे होना जातक को जीव संबंधी चिंता बता रहा हैं |
यह जातक स्वयं (जीव) को भविष्य मे अनुबंध के द्वारा होने वाले कार्य के
बारे मे जानना चाहता हैं
लग्नेश चन्द्र गुरु (नवमेश) से दृस्त हैं तथा बुध व गुरु लगभग समान अंशो
मे हैं जो व्यवसाय हेतु राजयोग व विदेशी श्रोत बता रहे हैं |
कार्येष मंगल बुध संग ईथसाल बना रहा हैं जो होने वाली घटना और षष्ठेश गुरु वक्री
होकर मंगल संग इशरफ पिछली घटना बता रहे हैं जिससे जातक जिसने की तीन दिन पहले
निविदा भरी थी के आगे तीन माह मे कार्य होने की पुष्टि हो रही हैं (क्यूंकी बुध
एकादश स्वामी बुध संग हैं) केतू के दशम भाव मे होने से तथा शनि अष्टमेश की दशम भाव
मे दृस्टी होने से उसे आंशिक अनुबंध ही मिलेगा जातक ने कुछ दिनो बाद बताया की उसे
आधा ही कार्य मिला हैं |
यहाँ नक्षत्रो का प्रभाव भी बहुत अच्छा बन पढ़ा हैं लग्नेश चन्द्र केतू
नक्षत्र मे दशम भाव मे दशमेश मंगल संग होकर व्यसाय अथवा कर्म का प्रश्न बता रहा
हैं दशमेश एकादशेश शुक्र के नक्षत्र मे हैं जो उपलब्धि बता रहा हैं तथा बुध
द्वादशेश से संबंध विदेश से व्यवसाय बता रहा हैं |
4)धनु लग्न की इस पत्रिका मे पंचम भाव मे गुरु,छठे
भाव मे केतू,आठवे मे मंगल,दशम मे सूर्य,शनि,बुध,शुक्र तथा द्वादश भाव मे चन्द्र-राहू हैं अब चूंकि दशम भाव मे ज़्यादा ग्रह
हैं अत: स्पष्ट रूप से प्रश्न इसी भाव से संबन्धित होना चाहिए यहाँ बुध सप्तमेश व
दसमेश ऊंच अवस्था मे हैं जो जातक के ऊंच दर्जे के व्यवसाय व रुतबे की ओर इशारा
करता हैं,सूर्य नवमेश होकर भविष्य संबंधी प्रश्न अथवा योजना बता रहा हैं,षष्ठेश-एकादशेश
शुक्र कर्ज़ व लाभ तथा शनि(द्वितीयेश –तृतीयेश) धन,खान पान,जोखिम
संबंधी बातें स्पष्ट कर रहे हैं | वही पंचमेश-द्वादशेश मंगल की लाभ व धन दोनों भावो मे दृस्टी होने से
विदेशी प्रभाव व गुप्तता भी नज़र आती हैं जातक से यह पुछने पर की क्या वह कोई ऐसा
कार्य करना चाहते हैं जिसमे कर्ज़,खानपान,जोखिम,गुप्तता व विदेशी प्रभाव आते हैं उन्होने सहमति देते हुये कहा की वो कर्ज़
लेकर व विदेशी मित्र की सहायता से अपना होटल खोलना चाहते हैं |
नक्षत्रो से देखे तो लग्न केतू नक्षत्र मे हैं जो छठे भाव (कर्ज़) मे हैं
चन्द्र अष्टमेश होकर द्वादश भाव शनि नक्षत्र मे हैं जो दशम भाव मे हैं अत: कर्ज़ और
व्यवसाय की पुष्टि होती हैं |
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