कुंडली कैसे देखे ( गोचरीय प्रभाव )
किसी भी कुंडली का फलित करना अपने आप मे एक विशेषता रखता हैं विशेषकर
कुंडली जब पुरानी हो और उस पर विशोन्तरी दशा के विषय मे जानकारी ना दी गयी हो ऐसे
मे ज्योतिषी को ना सिर्फ अपनी योग्यता का बल्कि अपने ज्ञान का परिचय भी सामने वाले
को देना पड़ता हैं जहां उसकी जानकारी एवं अनुभव का भी एक प्रकार से इम्तिहान हो
जाता हैं प्रस्तुत लेख मे हम ऐसे ही कुछ कुंडलियों के विषय मे जानकारी दे रहे हैं |
1)30/7/2011 को एक जातक अपनी पत्रिका लेकर आया जो 2/2/1952 18:00 जगदलपुर
छत्तीसगढ़ की बनी हुई थी तथा जिसमे अन्य कोई जानकारी नहीं थी जातक काफी परेशान लग
रहा था व अन्य कोई जानकारी देने की स्थिति मे भी नहीं था |
कुंडली देखने व कुंडली मे विद्यमान अटलनीय घटनाओ की पुष्टि करने के लिए
कुंडली का अध्ययन किया गया जिससे निम्न तथ्य प्राप्त हुये |
कर्क लग्न की इस पत्रिका मे दूसरे भाव मे केतू,तीसरे मे शनि,चतुर्थ मे मंगल,छठे मे शुक्र,सप्तम मे सूर्य बुध,अष्टम मे राहू,नवम मे गुरु तथा दशम मे चन्द्र स्थित
थे जिससे लग्न पर सूर्य बुध व गुरु का प्रभाव था जो की उसे बली बना रहा हैं वही
लग्नेश पर भी मंगल का प्रभाव उसे प्रभावशाली दर्शा रहा हैं |
चन्द्र से देखने पर भी यही स्थिति हैं चन्द्र स्वयं लग्नेश होकर अपने से दशम भाव
मे हैं तथा दशमेश मंगल से भी दृस्त हैं जो जातक के स्वस्थ होने तथा अपने
कार्यक्षेत्र मे अच्छा काम करने की पुष्टि कर रहा हैं स्पष्ट रूप से कहाँ जा सकता
हैं की जातक अपने स्वस्थ व कार्यक्षेत्र से परेशानी लेकर नहीं आया हैं |
चतुर्थ भाव को देखने पर ज्ञात होता हैं की जातक के पास स्वार्जित प्रयास
से भूमि वाहन इत्यादि होने चाहिए (पंचमेश-दशमेश मंगल चतुर्थ भाव मे ही हैं ) जातक
चूंकि अपने वाहन से आया हैं जो इस तथ्य की पुष्टि कर रहे हैं |
सप्तम भाव पर देखने से पता चलता है की गुरु की दृस्टी लग्न व सप्तमेश
दोनों पर हैं जिससे विवाह होने की पुष्टि होती हैं परंतु सप्तम भाव मे द्वादशेश
बुध की स्थिति संभवत; जातक का
विवाह गैर परंपरागत होने की पुष्टि कर रहे हैं वही सप्तमेश तृतीयेश मे परिवर्तन
होने से विवाह मे पड़ोस का प्रभाव भी स्पष्ट हो रहा हैं |
सभी केन्द्रीय भावो का अध्ययन करने के बाद आज के दिन का गोचर इस पत्रिका
मे लगाया गया (क्यूंकी हमारे पास दशा अंतर्दशा नहीं हैं ) जातक की कुंडली के लग्न
कर्क पर गोचर लगाने से हमें निम्न बातें ज्ञात होती हैं चन्द्र आज लग्न मे हैं शनि
अपने ही ऊपर से अर्थात कन्या राशि से गोचर कर रहा हैं तथा गोचरीय सूर्य व मंगल की
सप्तम भाव पर दृस्टी हैं जिसमे मंगल अपने ऊपर से चतुर्थ भाव मे ही गोचर कर रहा हैं
| इन सबसे लग्न, तीसरा भाव व सप्तम भाव प्रभावित हो रहे हैं जो स्पष्ट रूप से इन्ही भावो
से संबन्धित परेशानी बता रहे हैं जातक से पूछा गया की क्या जातक की पत्नी कहीं चली
गयी हैं तो उसने बताया की उसकी पत्नी उसे अपनी सहेली जो की पड़ोस मे रहती हैं उसके
घर जाने का कह कर गयी परंतु वापस नहीं आई हैं इस घटना को आज दूसरा दिन हैं जातक
क्या करे यह सोचकर वह बहुत परेशान हैं |
जातक से कहा गया की चिंता ना करे उसकी पत्नी सही सलामत हैं तथा अगले तीन
दिनो मे वापस घर आ जाएगी और ऐसा हुआ भी इस प्रकार हमने देखा की गोचर का प्रभाव भी
कितना सटीक फलित बताने मे सक्षम होता हैं |
2)13/7/1973 16:15 मुंबई मे जन्मे इस जातक की शिक्षा व व्यवसाय का
निर्धारण दी गयी कुंडली के द्वारा करने का
प्रयास करते हैं |
वृश्चिक लग्न की इस पत्रिका मे लग्नेश पंचम भाव मे होने से जातक के
बुद्दिमान होने की पुष्टि हो रही हैं चतुर्थेश शनि अष्टम भाव से पंचम भाव को देख
रहा हैं जो स्वप्रयास से शोध पूर्ण पढ़ाई करने की तथा पढ़ाई मे रुकावट होने की भी
पुष्टि कर रहा हैं | यहाँ लग्न
चन्द्र व बुध से देखने पर मंगल शनि का प्रभाव ज़्यादा दिखता हैं जिससे जातक की
तकनीकी शिक्षा स्पष्ट होती हैं दशम भाव व पंचम भाव पर भी तकनीकी ग्रहो का प्रभाव
हैं जो जातक की शिक्षा व कार्यक्षेत्र दोनों मे तकनीकी प्रभाव की ही पुष्टि करते
हैं अर्थात जातक जैसी शिक्षा लेगा वैसी ही नौकरी भी करेगा | जातक
को शिक्षा समय शुक्र की महादशा मिली जो सप्तमेश द्वादशेश होकर नवम भाव मे हैं और
उसकी दृस्टी पंचमेश गुरु पर हैं जिसके प्रभाव से जातक ने अपनी शिक्षा घर से बाहर रहकर
पायी होगी ऐसा दिखता हैं चूंकि जातक का दशमेश सूर्य भी केतू व शनि संग हैं जिससे
ज्ञात होता हैं की जातक बिजली अथवा अग्नि से संबन्धित कार्य कर सकता हैं जातक के
स्पष्ट रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर होने की पुष्टि होती हैं |
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