एक दशा
जब पति
पत्नी की एक ही ग्रह की दशा चल रही होतो उसे एक दशा कहते हैं बहुत से विद्वान इस
दशा को हानी कारक मानते हैं इस विषय पर बहुत से प्रश्न हैं जिन पर ध्यान नहीं दिया
जाता हैं जिनमे से कुछ प्रश्न निम्न हो सकते हैं |
1)जब
दोनों जातको की पत्री अलग अलग होगी तो ग्रह जिसकी दशा हैं वो भी अलग अलग भावो का
स्वामी होगा जिस कारण परिणाम भी अलग ही प्राप्त होंगे |
2)लग्न
अथवा चन्द्र लग्न से देखने पर ग्रह भी अलग भावो का स्वामी होगा जिससे परिणाम भी
अलग प्राप्त होंगे |
3)दशास्वामी
संग बैठा ग्रह व उसको दृस्टी देता ग्रह भी भिन्न परिणाम दर्शाएगा |
4)ग्रह
यदि अलग अलग नक्षत्र मे होगा तो उसका फल भी अलग ही आएगा |
विद्वान
कहते हैं की पति पत्नी के संबंध बहुत अच्छे रहेंगे यदि पति का जन्म नक्षत्र पत्नी
के जन्म नक्षत्र से 9,18,27(यदि 27वा नक्षत्र एक ही
राशि मे हो ) हो | इसे एक उदाहरण से देखते हैं लड़के का
नक्षत्र रोहिणी हैं लड़की का नक्षत्र मृगशिरा हैं जिससे दोनों का चन्द्र वृष राशि
का होगा लड़की की मंगल दशा 6 वर्ष की शेष हैं जबकि लड़के की चन्द्र दशा 5 वर्ष शेष
हैं 5वर्ष का होने पर उसे मंगल की दशा आरंभ होगी जब वह एक वर्ष मंगल दशा के गुजार
चुका होगा तब यदि लड़की का जन्म हुआ हो तो अब दोनों की दशा मंगल की होगी जो बराबर
होगी ऐसे मे यह दशा अशुभ कैसे हो सकती हैं जबकि 9,18,27वा
नक्षत्र शुभ माना गया हैं और राशि भी एक ही हो |
दशा एक
होने पर भी अन्य ग्रह कुंडली मे अलग अलग होने से परिणाम अलग ही होंगे यह स्पष्ट
हैं - जैसे
1)पत्नी
यदि गहने खरीदेगी तो पति का बैंक जमा कम होगा और यदि गहने बेचकर पैसे पति को देगी
तो बैंक जमा ज़्यादा होगा ऐसे मे एक की हानी दूसरे का लाभ होगा जबकि दशा दोनों की
एक ही ग्रह की होगी |
2)पति जब
पढ़ने विदेश जाएगा तो पत्नी घर पर रहेगी दोनों का विछोह होगा दशा दोनों की एक ही
ग्रह की होगी |
3)पत्नी
कष्ट सहकर संतान को जन्म देगी पति खुशी मनाएगा एक की पीड़ा दूसरे का हर्ष होगा |
यह सब
बातें एक ही ग्रह की दशा मे संभव नहीं हो सकती हैं यहाँ ग्रह की स्थिति,भाव,संगत,दृस्टी का प्रभाव भी देखा
जाएगा | ऐसा ही जुड़वा बच्चो कुंडलियों मे भी देखा जाता हैं
जहां सब कुछ समान होने पर भी परिणाम अलग अलग होते हैं |इसलिए
हमारा मानना हैं की एक दशा हानी ही करती हैं ऐसा कहना ग़लत हैं |
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