लाल
किताब के उपाय किस तरह से करे |
पहला
तरीका हैं ग्रह को नष्ट कर देना –यदि कोई ग्रह कुंडली मे अशुभ भाव मे बैठकर अशुभ
प्रभाव दे रहा हो तो उस ग्रह से संबन्धित वस्तुए ज़मीन मे गाड़ देने से उस ग्रह से
संबन्धित परेशानिया समाप्त हो जाती हैं | जैसे पत्रिका मे अशुभ शनि छठे भाव मे स्थित होकर
स्वास्थ संबंधी कष्ट दे रहा हो तो सरसो के तेल को मिट्टी के बर्तन मे भरकर ढक्कन
को अच्छी तरह बंदकर खड़े पानी मे अथवा तालाब के किनारे वाली ज़मीन मे गाड़ देने से राहत प्राप्त हो जाती हैं | इसी प्रकार यदि शुक्र ग्रह अष्टम भाव मे बैठकर
खराबी दे रहा हो तो शुक्र की वस्तु ज्वार को लेकर ज़मीन मे दबा दे जिससे शुक्र अपना
अशुभ प्रभाव नही दे पाएगा |
दूसरा
तरीका ग्रह की अशुभता को दूर करने हेतु उस ग्रह की वस्तु को पानी मे बहाना हैं
जैसे यदि राहू अष्टम भाव मे बैठकर पेट संबंधी रोग,कार्य बाधा व धनहानी कर
रहा हो तो राहू की वस्तु रांगा धातु अथवा जौ 100ग्राम प्रतिदिन आठ दिनो तक
जलप्रवाह करने से राहू अशुभ फल प्रदान करना छोड़ देता हैं |
इसी प्रकार यदि मंगल बारहवे भाव स्थित होकर अशुभता दे रहा हो तो मंगल वस्तु गुड की
रेवड़िया जलप्रवाह करने से राहत पायी जा सकती हैं
तीसरे
तरीका मे हम अशुभ ग्रह के मित्र द्वारा सहायता प्राप्त करते हैं जैसे यदि छठे भाव
मे केतू यदि अशुभता दे रहा हो तो सबसे छोटी अंगुली(बुध) मे सोने(गुरु) की अंगूठी
पहनने से केतू अपना दुष्प्रभाव नहीं दे पाएगा क्यूंकी बुध छठी राशि का स्वामी तथा
गुरु केतू के मित्र हैं जो अब केतू पर अंकुश रख देते हैं |
इसी तरह यदि छठे घर मे सूर्य शनि बैठकर अशुभता दे रहे हो घर पर बुध ग्रह की वस्तु
फूल वाले पौधे लगाने से राहत पायी जा सकतीय हैं क्यूंकी बुध सूर्य शनि दोनों ग्रहो
का मित्रा होता हैं जिससे अब वह इन दोनों का झगड़ा होने नहीं देता |
चौथा
तरीका शुभ ग्रह को स्थापित करना होता हैं इस के अंतर्गत जो ग्रह शुभ होता हैं उसकी
वस्तुए अपने पास रखने से लाभ प्राप्त किया जा सकता हैं जैसे चन्द्र यदि दूसरे भाव
मे शुभ बैठा हो तो चावल अपनी मटा से लेकर अपने पास रहने चाहिए जिससे चन्द्र के और
भी शुभफल मिलने लगते हैं |
पांचवा
तरीका अशुभ ग्रह को शांत रखने के लिए उसके शत्रु ग्रह की वस्तु संग रखना होता हैं
जैसे अष्टम भाव के मंगल को शांत रखने के लिए हाथी दाँत से बनी वस्तु अपने संग रखनी
चाहिए |
छठा
तरीका ग्रह की अशुभता कम करने के लिए उस ग्रह की वस्तु को उसके दूसरे कारक को
अर्पित करना होता हैं जैसे गुरु ग्रह की अशुभता को कम करने के लिए चने की दाल
धर्मस्थान मे रखनी चाहिए परंतु पहले कुंडली मे अवश्य देख ले की कही दूसरे भाव(धर्म
स्थान)मे गुरु का शत्रु ग्रह ना बैठा हो | इसी प्रकार यदि शुक्र अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो
गाय को हरा चारा (ज्वार)खिलाने से शुक्र अपना शुभ फल देने लगता हैं |
सातवा
तरीका ग्रह के प्रभाव को बदलकर उसे शुभ बनाने का होता है जैसे राहू यदि पंचम भाव
मे बैठकर संतान विशेषकर पुत्र को अशुभता दे रहा हो तो चाँदी का ठोस हाथी घर पर
रखने से लाभ पाया जा सकता हैं |
आठवा
तरीका ग्रह के इष्ट देवता की पुजा करने का हैं जैसे छठे भाव मे राहू यदि न समझ मे
आने वाला रोग दे रहा हो तो नीले फूलो(राहू की वस्तु) से सरस्वती(राहू की इष्ट
देवी) की पुजा करने से राहू अपना कुप्रभाव छोड़ देता हैं |
इसी तरह से यदि शुक्र खराब प्रभाव दे रहा हो तो माँ लक्ष्मी की पुजा करनी चाहिए |
नवम
तरीके मे जो ग्रह जिस भाव मे बैठकर खराबी कर रहा हो उस के सामने वाले भाव (सप्तम)
मे उसके शत्रु ग्रह की वस्तुए डालने से लाभ पाया जा सकता हैं |जैसे
बुध ग्रह बारहवे घर मे बैठकर कुप्रभाव दे रहा हो तो छठे घर यानि कुएं मे बुध के
शत्रु ग्रह(मंगल शनि) की वस्तुए डालने से लाभ पाया जा सकता हैं |
ध्यान
रखे यदि कुंडली मे दूसरा भाव खाली हो और शनि अष्टम भाव मे हो तो मंदिर ना जाकर
बाहर से ही नमस्कार करना चाहिए| इसी प्रकार 6,8,12 मे
शत्रु ग्रह हो और दूसरा भाव खाली हो तो भी मंदिर नहीं जाना चाहिए |
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