पूर्व जन्म मे क्या थे आप
भारतीय ज्योतिष के विख्यात
ग्रंथ बृहद जातक मे वराहमिहिर ने लिखा हैं की जातक अपने पूर्व जन्म मे क्या था
इसका पता निम्न सूत्रो द्वारा जाना जा सकता हैं |
1)जन्म के समय सूर्य या
चन्द्र मे से जो बली हो और वह जिस द्रेसकोण मे हो उस द्रेसकोण का स्वामी यदि गुरु
होतो जातक पूर्व जन्म मे स्वर्गलोक मे रहता था |
2)यदि ड्रेसकोण का स्वामी
चन्द्र या शुक्र होतो जातक पित्रलोक मे था |
3)यदि ड्रेसकोण स्वामी
सूर्य या मंगल हैं तो जातक मृत्युलोक मे था
4)यदि ड्रेसकोण स्वामी शनि
या बुध हैं तो जातक नरकलोक मे था |
5)यदि कुंडली मे 4 गृह ऊंच
या स्वरशी के हैं तो जातक पुर्ञ्जंम मे उत्तमयोनि मे था |
6)लग्न मे गुरु होतो जातक
पूर्वजन्म मे ब्राह्मण था |
7)8,10,व
12 लग्नों मे ऊंच का गुरु जातक पूर्वजन्म मे ब्राह्मण था तथा ब्राह्मण कार्य करता
था |
8)वृष लग्न हो तथा लग्न मे
निर्दोष चन्द्र होतो जातक जातक पूर्वजन्म मे व्यापारी था |
9)कर्क लग्न हो तथा
निर्दोष चन्द्र लग्न मे होतो जातक पूर्वजन्म मे प्रसिद्द व्यापारी था |
10)मिथुन व कन्या लग्न हो
तथा लग्न मे निर्दोष बुध होतो जातक पूर्वजन्म मे व्यापारिक कामो मे रत था |
11)मकर या मेष लग्न हो तथा
लग्न मे निर्दोष मंगल होतो जातक पूर्वजन्म मे क्षत्रिय था |
12)लग्न से 6,8,12 भाव मे नीच का सूर्य होतो जातक पूर्वजन्म मे शूद्र था |
इसी प्रकार से शनि यदि 1,4,7,11
भावो मे होतो जातक पूर्व मे शूद्र
परिवार से संबन्धित था |
13)लग्न अथवा सप्तम भाव मे
राहू होतो जातक की पूर्वजन्म मे अकाल मृत्यु हुयी होती हैं |
14)इसी प्रकार लग्न निर्बल
हो तथा 4 गृह नीच के होतो जातक की पूर्व मे अकाल मृत्यु हुयी होती हैं |
15)कुंडली मे सूर्य 11वे,गुरु
5वे तथा शुक्र 12वे होतो जातक पूर्वजन्म मे दान पुण्य करने वाला था |
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