सोमवार, 29 मार्च 2010

ज्योतिष में बदलाव

हम ज्योतिषियों से अक्सर कुछ ऐसे प्रश्न किये जाते हैं, जिनका उत्तर आजकल के सन्दर्भ में तर्क संगत नहीं होता ऐसे में मैं यहाँ इतना ही कहना चाहूँगा की हम जो ज्योतिष आजकल कर रहे हैं यह हमारे विद्वानों के कई वर्षो के अध्ययन व शोध से निकला हैं समयानुसार इनमे बदलाव किये गए हैं और किये जा रहे हैं परन्तु फिर भी आज कल कुछ समस्याए ज्यादा गहरी प्रतीत होती हैं जिनमे से प्रमुख समस्या विवाह नौकरी की हैं,जो शायद आदिकाल में इतनी बड़ी व भयानक नहीं रही होगी जैसी आज हैं कारण बहुत से हो सकते हैं परन्तु मैं यहाँ सिर्फ ज्योतिषीय दृष्टीकोण से अपनी बात कहना चाहूँगा,पहले समय में विवाह को पवित्र संस्कार व सामाजिक दायित्व समझा जाता था जबकि आज के समय में विवाह एक औपचारिकता बनकर रह गया हैं अब परिवारों में लगाव,बंधन जैसी सोच नहीं रह गयी हैं या कम हो गयी हैं| इस भागदौड़ वाले युग में हर आदमी स्वार्थ सिद्दी में लगा हैं वर्तमान समय में जो विवाह से सम्बंधित ज्योतिषियों ग्रंथो में कहा गया हैं लागू नहीं होता हैं, कारण नए विचार नई सोच का होना, यदि किसी को कहाँ जाए की तुम्हारी कुंडली में प्रेमविवाह का योग नहीं हैं और यदि वह किसी से प्रेम करता हैं तो वह आपकी इस बात को नहीं मानेगा जिससे न सिर्फ ज्योतिष जैसी विद्या का निरादर होगा बल्कि अन्य परेशानिया भी बढेगी (अक्सर ऐसा ही होता हैं )|
ऐसा ही नौकरी के सन्दर्भ में भी होता हैं कुंडली अगर यह बताती हैं यह स्वयं का व्यापार नहीं कर सकता और अगर व व्यक्ति व्यापार ही करने लगे तो यह आज के परिपेक्ष में ग़लत ज्योतिषीय आंकलन होगा, फिर कई ऐसे कार्य भी हैं जिनका उल्लेख पहले नहीं था जैसे बहु राष्ट्रीय कंपनियो में काम (जिसके लिए कहा गया हैं की प्रदेशो से धन प्राप्त होगा ) अब यहाँ यह ज़रूरी नहीं हैं की प्रदेश जाना भी होगा (जो की आज का हर व्यक्ति चाहता हैं) |
अतःकुछ बाते आज के सन्दर्भ में बिलकुल लागू नहीं होती और ना ही की जा सकती हैं इसलिए समय के अनुसार बहुत कुछ बदलना पड़ेगा |आज बस इतना ही .................................................