शुक्रवार, 18 सितंबर 2009

गणेश जी की मानस पूजा एवं व्यक्तित्व

सभी देवो में गणेश का नाम सर्वप्रथम लिया जाता हैं |समस्त पूजन विधानों में भी सर्वप्रथम गणेश स्मरण किया व कराया जाता हैं|गणेश शब्द का अर्थ ही हैं "गणों का ईश "अर्थात समस्त प्राणियो का स्वामी ,गणेश जी के बहुत से अन्य नाम भी हैं जैसे गणपति,गजानन,लम्बोदर,विघ्नहर्ता आदि|
भगवन गणेश विद्या ,बुद्धि एवं लक्ष्मी प्रदाता,मंगलकर्ता व सर्वसिद्धिदायक हैं|इनके पूजन मात्र से समस्त कामनाये पूर्ण होती हैं तथापि इनकी पूजा उपासना व साधना अधिक कठिन भी नही हैं |साधारणतया कोई भी व्यक्ति घर पर पूजा कर सकता हैं|प्रत्येक हिंदू परिवार में गणेश भगवान की मूर्ति व चित्र अवश्य होता हैं|पूजन समय यदि गणेश मूर्ति व चित्र ना भी हो तो सुपारी को कलावा लपेटकर गणेश बनाने का विधान समस्त कार्यो के पूजन में कराया जाता हैं|आगे गणेश भगवान की मानस पूजा हेतु श्लोक इस गणपति विशेषांक में लोकप्रिय पत्रिका सौभाग्यदीप में दिया जा रहा हैं|प्रत्येक व्यक्ति को प्रात:काल इस श्लोक का पाठ करना चाहिए जिसमे पुष्प,फल,फूल कुछ भी चढाने की ज़रूरत नही हैं बस पूजा घर में गणेश जी के सम्मुख श्रद्धा से यह पाठ करना चाहिए |
प्रस्तुत श्लोक का पाठ करने मात्र से समस्त कार्यो में सफलता व मनोकामनाओ की पूर्ति होती हैं|श्लोक हेतु सितम्बर माह २००९ की "सौभाग्यदीप नामक ज्योतिषीय "पत्रिका पढ़े |

गणेश जी का व्यक्तित्व:-गणेश मोक्ष रचित श्रोतो में गणेश जी के व्यक्तित्व के विषय में चर्चा की गई हैं |
बड़ा सिर -अर्थात बड़ा दिमाग व ज्ञान जिससे अपनी बुद्दि का सही व सटीक इस्तेमाल किया जा सके,अगर सोच ही छोटी होगी तो बड़े कार्य कैसे किए जायेंगे|
छोटी छोटी ऑंखें -अपनी सूक्ष्म दृष्टि होते हुए भी दूरदृष्टि व सूक्ष्म कमजोरी दोनों पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दिया जाए व गलतिया न की जाए |
बड़े कान -छाज की भांति ज़रूरी बातो को ग्रहण कर व्यर्थ को ना ध्यान में रखा जाए तथा कान हमेशा चौकन्ने रखकर खतरे को दूर से भांप लिया जाए |
लम्बी नाक -हमेशा सही ग़लत सूंघने की क्षमता रहे और बड़ी नाक के कारण कोई भी ग़लत काम ना किया जाए अन्यथा नाक कट जाने का भय बना रहे |
लंबा उदर-सबकी बातो को गोपनीय रखे वरना हानि व अपयश होता हैं | आप पर सभी विश्वास करे ऐसा होना चाहिए |
छोटे पैर -जिनके पैर छोटे होते हैं वो बड़े बुद्धिमान होते हैं ऐसा माना जाता हैं |स्वयं काम ना करके दुसरो से काम लेना एक अच्छे नेता के गुण होते हैं |
चार हाथ -प्रथम में अंकुश अपनी विषय वासनाओ पर अंकुश रखने हेतु ,दुसरे में पाश गलतियों की सज़ा हेतु दंड,तीसरे में मोदक कार्य के बाद फल की प्राप्ति ,तथा चोथे में आर्शीवाद हमेशा बडो का आशीष संग रखे |
सवारी चूहा -हर जगह उपलब्ध अत्यन्त चालक व फुर्तीला जानवर जो छोटी सी छोटी जगह में भी आसानी से आ जा सकता हैं |

इस प्रकार देखा जाए तो भगवान गणेश जी के रूप से कुछ ना कुछ प्रेरणा अवश्य ली जा सकती हैं |


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