गुरु यदि लग्न में हो तो जातक जितना पढ़ेगा उतना ही बढ़ेगा यदि जातक स्नातक नहीं होता है तो दरबदर भटकता रहता है शारीरिक रूप से थोड़ा मोटा होता है |
दूसरे भाव में
गुरु होतो जातक सलाह मशवरा देने का काम करें,शुक्र का व्यापार करें,अपने व्यापार
में खुद का पैसा ना लगाएं उधार लगाकर काम करें तो अच्छा रहता है |
गुरु तीसरे भाव में होतो जातक विशेष को
स्वयं की तारीफ कभी नहीं करनी चाहिए |
गुरु चौथे भाव में हो तो दादा पिता का सामाजिक
दायरा बहुत अच्छा था यह बताता है ऐसे
जातक के पूर्वजों का रुतबा होता है इस जातक को नंगे शरीर घर पर
नहीं रहना चाहिए छाती भी ढक कर रखनी चाहिए |
पांचवे भाव में
गुरु होतो जातक सलाहकार
होता है ज्ञान का भंडार होता है परंतु गुस्सा जल्दी आता है टीचिंग एडवाइजिंग तथा
मोटिवेशनल गुरु बन सकता है |
छठे भाव में
गुरु शादी के आसपास सोना खोना या गिरवी रखा जाना बताता है ऐसा ना करें ऐसा जातक व्यापारी के घर
में साधु है इस प्रकार से कह सकते हैं |
सातवे घर में
गुरु धर्म-कर्म ना करें वस्त्र दान ना करें अध्यात्मिक ना रहे तो अच्छा होता है
पिता से नाराजगी रहती है |
आठवें भाव में गुरु होतो जातक ने बचपन में दादा
नहीं देखे होते हैं ऐसे जातक को बुरा समय आने
पर मदद मिलती रहती है इस
भाव का बृहस्पति होने पर जातक घर में ही ऑफिस बनाकर
काम करे तो लाभ प्राप्त करता है |
नवे भाव में गुरु होने पर जातक खूब धर्म
कर्म करे तो बढ़िया रहता हैं
ऐसा जातक पूजा-पाठ व गुरु का आदर करें तो बहुत बढ़िया होता हैं परंतु नास्तिक हो तो
पिता की सेहत खराब रहती है |
दसवें भाव में
गुरु हो तो जातक सीधा सरल स्वभाव के कारण मरता है चुस्ती चालाकी करें तो अच्छा
रहता है | 6-7-10 भाव में गुरु को प्रक्टिकल सोच रखनी
चाहिए |
11वे भाव में
गुरु होने पर दिन
की समाप्ति पर जातक के पास पैसा नहीं रह पाता |ऐसे जातक को बुरे लोग भी नमस्कार करते हैं |
बारहवें भाव में
गुरु पूजा पाठ ना करें धर्मकर्म करें तो लाभ मिलता है गले में माला कदापि ना पहने |
यदि जातक विशेष
के परिवार में सांस की बीमारी हो/चोटी के बाल उड़े हुए हो/सोना खोया हुआ हो अथवा
गिरवी हो तो जातक विशेष
को समझ जाना चाहिए कि उसका गुरु खराब है |
चौथे और सातवें
भाव में गुरु हो तो घर में टूटी हुई छतरी नहीं रखनी चाहिए |
गुरु के उपाय के
लिए कुल पुरोहित से आशीर्वाद लेना,चने की दाल मंदिर में दान करना,पीपल की सेवा
करना तथा संतान प्राप्ति के लिए सोने की तार बनाकर दूध में भिगोकर शांत कर कर पीना
लाभदायक होता है ।
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