जन्म के समय जातक विशेष की पत्रिका में कुछ ग्रह नक्षत्र उसके अनुकूल नहीं होते हैं,जो उसे उसके भावी जीवन में प्रतिकूल प्रभाव देते हैं इन ग्रह नक्षत्रो को शांत करने के लिए शास्त्रों में बहुत से उपाय बताए गए हैं जिनमें से एक उपाय उनसे संबंधित वृक्षों की पूजा अर्चना करना,उनकी सेवा व परिक्रमा करना तथा उनकी जड़ों में रोज पानी चढ़ाना आदि बताया गया है |
आइए जानते हैं कि कौन सा नक्षत्र किस
वृक्ष से संबंधित माना गया है तथा उसकी पूजा - अर्चना अथवा सेवा करने से जीवन में
आने वाली बाधाओं को किस प्रकार से कम किया जा सकता है |
अश्विनी नक्षत्र का वृक्ष कुचला है |
कृतिका नक्षत्र का वृक्ष गूलर है |
भरणी नक्षत्र का वृक्ष आंवला है
रोहिणी नक्षत्र का वृक्ष जामुन है
मृगशिरा व रेवती नक्षत्र का वृक्ष बेर
है|
आर्द्रा नक्षत्र का वृक्ष कृष्णकमल
होता है |
पुनर्वसु नक्षत्र का वृक्ष बबूल है |
पुष्य नक्षत्र का वृक्ष पीपल है |
अश्लेषा नक्षत्र का वृक्ष चंपा हैं |
मघा नक्षत्र का वृक्ष बरगद है |
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र
का
वृक्ष अशोक हैं |
हस्त नक्षत्र का वृक्ष जूही हैं |
चित्रा व मूल नक्षत्र का वृक्ष बिल्व
हैं |
स्वाति नक्षत्र का वृक्ष अर्जुन हैं |
ज्येष्ठा नक्षत्र का वृक्ष नीम हैं |
पूर्वषाढ़ा व श्रवण नक्षत्र का वृक्ष आक
हैं |
उत्तराषाढ़ा व पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र
का वृक्ष कदंब हैं |
धनिष्ठा नक्षत्र का वृक्ष नारियल हैं |
शतभिषा नक्षत्र का वृक्ष आम हैं |
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का वृक्ष मेहंदी
है |
इस प्रकार उपरोक्त वृक्षों की जड़ों
में जल डालकर तथा उनकी पूजा अर्चना कर आप प्रतिकूल हुए नक्षत्रों को अपने अनुकूल
कर उचित लाभ उठा सकते हैं तथा जीवन में आ रही बाधाओं को कम कर सकते हैं |
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