बुधवार, 28 जुलाई 2021

काल पुरुष की कुंडली (विष्णु भाव नाड़ी ज्योतिष )

 काल पुरुष की कुंडली

काल पुरुष की कुंडली में जब सूर्य 15 अंश का होकर अपने नवांश में होता है तो मेष लग्न की उत्पत्ति होती है जिसे जगत लग्न भी कहा जाता है |

सूर्य तारा है जबकि पृथ्वी समेत कुल 9 ग्रह माने गए हैं |

सूर्य से चंद्रमा जितनी दूर हो तो क्या फर्क पड़ेगा यह पता लगाएं |

काल पुरुष की कुंडली के अनुसार छठे भाव का स्वामी बुध और राहु को तथा 12वे भाव का स्वामी गुरु और केतु को कहा गया है |

भगवान के चरणों में जाना मोक्ष कहलाता है जो मीन राशि से देखा जाता है |

केतू वहां पर ऊंचाई,शिखर व झंडे का प्रतिनिधित्व करता है |

सूर्य संग गुरु संबंध जीवात्मा योग बताता है क्योंकि सूर्य आत्म तथा गुरु जीव का प्रतीक है |

संतान जन्म के समय गोचर में गुरु जन्म कालीक सूर्य को देख रहा होता है, परंतु ध्यान रखिए कि यहां पर दृष्टि थोड़ी अलग होती है जो नाड़ी ज्योतिष के अनुसार देखी जाती है |

मूवमेंट ऑफ प्लानेट को देखें तो गुरु 12वे भाव मे केतु से मिला बच्चे की नाल बनी,लग्न मे शरीर दिखने लगा,दूसरे भाव से जातक विशेष ने मूत्र विसर्जन किया,तीसरे भाव से सांस ली,चौथे भाव पृथ्वी में आने के लिए उछल कूद कर माँ बाप से मिलना चाहता है पांचवे भाव में आकर उसका जन्म हो जाता है छठे भाव में जब सूर्य आता है तो बच्चा गंदगी में रहता है,सातवें भाव से मंगल से उर्जा लेता है देखना हिलना शुरू करता है नवे भाव में नया जीवन मिलता है 11वे भाव से घुटनो के बल चलता है लग्न में आए तो फिर से दांत निकलते हैं |

इस प्रकार देखें तो सूर्य की गति से सब कुछ देखा जा सकता है |

सूर्य मंगल गुरु तीनों साथ हो तो क्या दशा भी एक ही होगी ऐसा नहीं होता,नाड़ी में डिग्री देखी जाती हैं |

सूर्य मंगल गुरु महापितामाह योग कहलाता है जो राम जी की पत्रिका में था |

सूर्य आगे हो तो जीव ने पिता का प्रभाव जन्म से पहले ही ले लिया था तथा सूर्य पीछे हो तो जीव ने पिता का प्रभाव जन्म के बाद में लिया है ऐसा समझना चाहिए |

शनि शुक्र की युति विष्णु भाव योग कहलाता है लक्ष्मी का जन्म (बेटी) दूसरे भाव से तथा गृह लक्ष्मी (बहू) सातवें भाव से देखी जाती है |

लग्न बेटा चतुर्थ भाव चन्द्र अर्थात चन्द्र मंगल की युति मां बेटा योग कहलाता है इसे लक्ष्मी योग कहते हैं जो की जमीन जायजाद हेतु अच्छा होता है | जिनकी पत्रिका में चंद्र मंगल युति होती है उनकी संतान अवश्य होती है क्यूंकी मां पृथ्वी है पार्वती है जिसे जगत जननी अर्थात सब की मां कहा जाता है |

किसी की भी कुंडली देखने के लिए हमें तीन बातें ध्यान रखनी चाहिए जिनमें पृथ्वीतत्व,जातक तथा देश की कुंडली देखनी चाहिए |

पृथ्वी तत्व का अर्थ जातक विशेष के जन्म क्षेत्र रहन-सहन पालन पोषण तथा जाति विशेष से होता है जातक अर्थात जिसका जन्म हुआ है तथा देश अर्थात जिस देश में उसका जन्म हुआ है |

चंद्र मा नहीं होता मां का कारक होता है क्योंकि सभी बच्चों की मां का अलग-अलग प्रभाव,दृष्टि आदि का प्रभाव पृथ्वी तत्व कुंडली पर पड़ता है |

लड़के में गुरु जीव है जबकि लड़की में शुक्र जीव होता है, इसी प्रकार नाड़ी में सभी ग्रहों को कारक प्रदान किए गए हैं |

नपुंसक ग्रह संगत के अनुसार लिंग बदल लेता है | सूर्य के आगे बुध हो पुरुष पत्रिका में होतो पहले चक्कर में स्त्री जातिका देता है जबकि लड़की की पत्रिका में लड़के का काम करेगा |

सातवां और आठवां भाव स्त्री भाव होते हैं |

5:30 स्त्री तथा 6:30 पुरुष राशि होती है इस कारण दुनिया में पुरुषों की संख्या ज्यादा है |

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