दशमेश विभिन्न भावों में (जातकतत्त्वम्)
लग्न - जातक मात्र द्रोही तथा पितृभक्त होता है। बाल्यावस्था
में उसका पिता दु:खो होता है तथा उसकी माता कुलटा होती हैं
द्वितीय भाव – माता द्वारा पालित,लोभी, दुष्ट,छोटे गांव का निवासी,सुन्दर शरीर वाला और
कर्मठ
होता
है।
तृतीय भाव- स्वजन विरोधी,सेवाकार्य मे अनुरक्त,कर्म करने में असमर्थ तथा मामा द्वारा
पालित होता हैं |
चतुर्थ भाव – सुखी,माता-पिता की सेवा
में निरत,नृपति से धन लाभ, सर्वजनप्रिय होता है।
पचम भाव – शुभकर्मकरता,राजा से
लाभ पाने वाला,ललित कलाओ मे रत तथा उसकी माँता उसके बच्चे का
पालन करती है।
छटा भाव –क्रूर,बाल्यावस्था मे कष्ट, बाद मे प्रधान तथा उसको माता परपुरुष में आसक्त
होती है।
सातवा भाव – सुदर्शन,उसकी माता की सेवा
करने वाली रमणप्रिय पत्नी से युक्त होता है।
अष्टम भाव – क्रूर,चोर,असत्यवादी,दुष्ट,माता के लिए संतापकारक और धूर्त होता
है।
नवम भाव – शीलवान, बुद्धिमान, अच्छे मित्र से युक्त होता है। उसको
माता भी शीलवती, पुण्यात्या और सत्यवादिनी होती है।
दशम भाव – माता के लिए सुखद,मातुल कुल सुखी होता है। घटना घटित
होने पर स्थिररत बुद्धि वाला होता है।
एकादश भाव - जातक की माता
पति-परित्यक्ता, किन्तु पुत्रपालन में समर्थ सुखी
होती है। जातक दोर्घायु और पूर्ण मातृसुखी होता हैं |
द्वादश भाव – अपने बाहुबल से सत्कर्म करने वाला एवं राजकार्य में लिप्त
होता है। यदि पापग्रह हो तो प्रवासी होता है।
दशमभावस्थ विभिन्न राशियाँ (जातकतत्त्वम्)
मेष - जातक सत्कार्यकर्ता,दुष्ट,चुगलखोर, निन्दित होता है ।
वृष - जातक अपव्ययी,साधू
प्रवृति,देव-ब्राहमण गुरू आदि का सेवक और सज्जनों का प्रिय
होता है ।
मिथुन – गुरुनिर्दिष्ट कर्म मे
रत,कीर्तिमान,द्विजभक्त,तेजस्वी और कृषक होता
है ।
कर्क – प्याऊ,बाग,तड़ाग,कुपाड़ी,तट एवं घाट का निर्माता, निर्मम और क्रोधी होता है।
सिंह – क्रोधी,पापी,विकृतकर्म,हिंसक और निन्दित होता है ।
कन्या - जातक तत्काल कार्य
करने वाला,स्त्रियों का भोगी, क्रोधी, कामी और निन्दित होता है ।
तुला - जातक वाणिज्य प्रिय,धार्मिक,नीतिज्ञ, सज्जनों का प्रिय, दूसरों को सम्मति का आदर करने वाला होता
है। वृश्चिक
– जातक
दुष्ट,निन्दित,देव,गुरु.ब्रह्मणों का
निन्दक,अपव्ययी,निर्दय और नोतिविहीन
होता है।
धनु – जातक सेवाकर्मरत,चोर,परिश्रमी,परोपकारी, ओजपूर्ण, राजा के समान कोर्तिवान् होता है ।
मकर - जातक दुखदाई,प्रधान,दयाहीन,स्वजनों से अपघात करने वाला,अधार्मिक और दुष्टजनों का प्रेमी होता
है। कुम्भ
– श्रेष्ठजनो द्वारा निर्दिष्ट,कुलोचित कर्मरत,कीर्तिमान सम्मानित और दिजभक्त होता है ।
मीन - जातक पाखंडी,मिष्ठान का लोभी, अविश्वसनीय, माता-पिता के विपरीत होता है।
दशमभावगत ग्रहफल (जातकतत्त्वम्)
सूर्य- जातक पैतृक संपति – शील से युक्त, विद्या, यश से सम्पन्न, राजसदृश होता है।
चन्द्र – धन धान्य,वस्त्र
आभूषण आदि से सम्पन्न,
विलासी, कला मर्मज्ञ होता है।
मंगल – प्रतापी,धनी,विख्यात होता हैं |
बुध – विद्वान,यशश्वी,धनी और विनोदप्रिय होता हैं |
गुरु – सिद्द,साधु,धार्मिक,विद्या अनुरागी और धनी होता हैं |
शुक्र –कृषक,स्त्री और
धन से सम्पन्न,राजसम होता हैं |
शनि – दंडाधिकारी,मानी,धनी और वीर होता हैं |
राहू – चोर,बुद्दिहीन और उद्धत होता है
केतू – विद्वान,बलवान,शिल्पी,ज्ञानी,जनानुरागी,विरोधी स्वभाव, कफप्रकृति, वीर और यायावर होता हैं |
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