बुधवार, 5 मई 2021

स्त्री रोग - कोल्ड युटेरस

 


स्त्री रोग - कोल्ड युटेरस 

महिलाओ मे समान्यत: पायी जाने वाली “कोल्ड युटेरस से संबंधित बीमारी” को आज भी परंपरागत दवाई से ही सही किया जाता है  इस बीमारी मे स्त्रीयों को मासिक धर्म से संबंधित परेशानियां मिलती है परंतु इस बीमारी को ठीक से समझा नहीं जा सकता है | इस बीमारी के होने से जातिका  में बांझपन भी देखा गया है साधारणतय: इसके कुछ लक्षण हाथ पैरों का ठंडा रहना,कमर के निचले हिस्से में दर्द रहना,संबंधों की इच्छा ना रहना,काले खून के धब्बे मासिक धर्म में आना,शरीर का तापमान बढ़ा रहना,बार-बार पेशाब की आदत होना तथा शरीर में पानी को रोक पाने की परेशानी होना आदि देखे जाते हैं |

इन सभी कारणो से महिला जातको में बांझपना,एंडो मेट्रिओसिस,अड़ेनोंम्योसिस और फाइब्रोईडस की परेशानी होती है डॉक्टर इसमें केवल पेन किलर खाने की ही सलाह देते हैं ऐसे मे यदि हीट पैड का इस्तेमाल किया जाए तो वह भी सिर्फ बाहरी गर्मी ही दे पाता  है जबकि आंतरिक गर्मी के ना मिल पाने के कारण इसका कोई सही से उपाय नहीं हो पाता है परंतु प्राकृतिक उपायों से इस बीमारी में काफी राहत देखी गई है तथा दर्द आदि में कमी भी होने लगती है | इस (कोल्ड) अथवा ठंडी युटेरस की परेशानी के कारण स्त्रियों को मासिक धर्म संबंधी परेशानी के अलावा पीसीओडी नामक बीमारी होती है |

ज्योतिषीय दृष्टि से देखे तो यह बीमारी निम्न कारणों से होती है |

चूंकि यह परेशानी मुख्य रूप से स्त्री जातकों में ही पाई जाती है और मासिक धर्म आदि से संबन्धित होती हैं जो कि ज्योतिष मे मंगल ग्रह से संबंधित  है (मासिक धर्म का कारक मंगल होता हैं) आज के परिपेक्ष में हम निम्न सूत्र देख सकते हैं |

मंगल जो कि रक्त का कारक तथा अग्नि ग्रह होता है (जिसे मेष एवं वृश्चिक राशि का स्वामित्व दिया गया है )यदि स्त्री की पत्रिका मे मंगल (अग्नि ग्रह)  जलीय राशि में हो तो इस प्रकार की परेशानी देता है |

चंद्रमा जल का कारक होकर खून में गाढापन पैदाकर  जातक विशेष को ठंड से संबंधित परेशानी देता है चंद्रमा ठंडा ग्रह है जब यह मंगल के साथ जलीय राशि में होतो परेशानी और भी ज्यादा हो जाती है जिस कारण स्त्रियों में वमन,उत्सुकता,बुखार तथा पीसीओडी की बीमारी दिखाई देने लगती है | ऐसे मे शरीर मे खून में गर्मी ना होने के कारण युटेरस को सही प्रकार से गर्मी नहीं मिल पाती जिस कारण उपरोक्त परेशानियां होने लगती हैं विशेष तौर से जब इन दोनों ग्रहों कन्दरा व मंगल की दशा/ अंतर्दशा चल रही हो |

इस प्रकार की बीमारी को मंगल तत्व को बढ़ाकर सही किया जा सकता है,इसके लिए कुछ प्रकृतिक उपाय इस प्रकार से हैं |

1)दिन के वक्त थोड़ा सा गुड़ ज़रूर खाया जाए |

2)मासिक धर्म के समय एक गिलास पानी में गुड,अदरक और दालचीनी को बाल कर सुबह और शाम जब भी परेशानी महसूस हो पिये |

3)जड़ वाली सब्जी का सेवन ज़्यादा से ज़्यादा किया जाए |

ज्योतिष के अनुसार जड़ वाली सब्जी को मंगल ग्रह से देखा जाता है क्योंकि मंगल को भूमि का पुत्र माना गया है जो सभी सब्जियों पर अपना आधिपत्य रखते हैं विशेष तौर से वो सब्जियाँ जो लाल रंग की होती है  मंगल से ही देखी जाती है |

ठंडी वस्तुओं का सेवन करना अथवा ठंडा पानी पीना इस रोग में खराबी देता देखा गया है |

इस प्रकार से आप निम्न उपाय कर  स व इससे संबन्धित सभी बीमारियों से बच सकते हैं |

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