रविवार, 18 अप्रैल 2021

प्रश्न कुंडली में विवाह

 

प्रश्न कुंडली में विवाह

1)विवाह अथवा गठबंधन होगा कि नहीं ?

1)यदि लग्नेश तथा सप्तमेश एक साथ हो या अनुकूल ताजिक योग बना रहे हो तो विवाह हो जाता है|

2)लग्नेश सातवें भाव में हो या सप्तमेश लग्न में हो तो विवाह हो जाता है|

3)शुक्र लग्नेश,सप्तमेश यदि उच्च होकर लग्न या सप्तम भाव में हो या परिवर्तन कर रहे हो तो भी सफल विवाह होता है|

4)शनि सम भाव में विवाह होगा तभी विवाह होगा विषम भाव में आने पर नहीं |

 

शीघ्र विवाह के योग

1)चंद्र दूसरे,तीसरे,छठे,सातवें,10वे,11वे भाव में गुरु द्वारा दृष्ट हो |

2)सम भाव में शनि (प्रेमी या भोगवादी प्रवृति द्वारा स्त्री की प्राप्ति) हो यह बताता है |

3)विषम भाव में शनि जब स्वराशि अथवा मूल त्रिकोण में होकर लग्न या सप्तम भाव में हो|

4)सप्तम भाव में लग्नेश या चंद्र या लग्न में सप्तमेश हो |

5)सप्तमेश संग लग्नेश और चंद्र का इथसाल हो |

6)बलवान चंद्र और शुक्र सम राशि या समा नवांश में होकर लग्न देख रहे हो |

7)लग्न में स्त्री द्रेष्कोण हो|

8)लग्न में 3,6,7,11 राशि और लग्न या सप्तम भाव में चंद्र या शुक्र हो |

 

देरी से विवाह के योग

1)अष्टम भाव/अष्टमेश का संबंध भाव सप्तम भाव/सप्तमेश से हो |

2)शनि का लग्न या सप्तम भाव से संबंध हो|

रिश्ते की बातचीत किसे करनी चाहिए - जिस भाव के स्वामी अथवा कारक द्वारा संकेतिक कोई भी संबंध जिसका दितीयेश से संबंध हो उसे बातचीत करनी चाहिए|

 

माता-पिता जीवित नहीं है |

1)सूर्य या चंद्र नीच होकर लग्न या आरुण लग्न या इनसे सप्तम भाव को ना देखते हो |

2)बुध सूर्य के पीछे शनि द्वारा दृष्ट हो जैसे अष्टम में सूर्य सप्तम में बुध हो |

 

संबंध के बाद बाधा होने के योग

1)सातवें भाव में स्वराशि अथवा उच्च राशि का मंगल विवाह से पूर्व लड़की की मृत्यु दर्शाता है |

2)अष्टमेष सप्तम भाव में सप्तमेश या शुक्र संग हो |

3)षष्ठेश सप्तम भाव में सप्तमेश या शुक्र संग हो |

 

विवाह उपरांत समृद्धि|

1)सप्तमेश और शुक्र 3,6,10,11 भावो में हो |

2)सप्तमेश का संबंध ग्यारहवें भाव अथवा 11वीं भाव के स्वामी या दूसरे भाव या दूसरे भाव के स्वामी से हो|

 

रूप रंग (सुंदर एवं सुसंस्कृत)

1)सप्तम भाव में शुभ ग्रह अथवा शुभ राशि हो |

2)शुक्र व चंद सम राशि या सम नवांश मे हो|

 

चरित्र - दोनों का चरित्र इस प्रकार देखा जा सकता है |

1)पवित्र एवं अक्षत - स्थिर राशि में लग्न,लग्नेश व चंद्रमा हो |

2)अपवित्र - चर राशि में लग्न,लग्नेश व चंद्र हो |

3)पवित्र नहीं दोष उपेक्षित है - चर राशि में लग्न,द्विस्वभाव राशि मे चन्द्र हो|

4)आनंद हेतु गुप्त संबंध - चन्द्र  मगल स्थिर या द्विस्वभाव राशि मे हो |

5)खुलेआम संबंध- चन्द्र मंगल चर राशि मे हो |

6)खुलेआम आनंद - लग्न में शनि और चंद्र हो |

7)व्यभिचार के योग-1)केंद्र में मंगल शनि तथा वृश्चिक राशि/वृश्चिक द्रेष्कोण में शुक्र,चंद्र से दृष्ट हो|

2)पंचम भाव में नीच पाप ग्रह दूसरे पाप ग्रह से देखा जा रहा हो|

3)लग्न में सूर्य हो |

4)6,7,11 सभी भावो पर पाप ग्रह हो|

 

मिलाप अथवा मिलन (संबंध)

1)लग्न में शुभ ग्रह प्रेमवश यौन संबंध |

2)चंद्र पाप ग्रहो के संग - पुरुष ने संबंध बनाये  |

3)सूर्य शुभ ग्रहों के संग - स्त्री ने संबंध बनाए होते हैं|

 

प्रेम विवाह  

1)3,6,7,10,11 भावो में शुभ राशि में चंद्र हो तथा सूर्य/बुध/गुरु द्वारा देखा जा रहा हो |

2)लग्नेश तथा द्वादशेष में परिवर्तन हो |

3)लग्नेश व सप्तमेश में परिवर्तन हो |

4)शुक्र व चंद्र उच्च या स्वराशि में हो |

5) पंचमेश व सप्तमेश का किसी भी प्रकार से संबंध हो |

6) पंचमेंश तथा सप्तमेश का किसी भी प्रकार से संबंध सप्तम भाव या सप्तमेश से हो |

पति पत्नी के बीच प्रेम

1)लग्नेश का सप्तमेश से इथसाल हो |

2)लग्नेश व सप्तमेश मित्र व अनुकूल ताजिक दृष्टि में हो |

3)पत्नीकारक शुक्र व पतिकारक गुरु या सूर्य बलवान हो |

4) लग्नेश व सप्तमेश का षडाष्टक या द्विद्वादश संबंध नहीं होना चाहिए|

 

जीवनसाथी की मृत्यु

1)शुक्र से अष्टम भाव में क्रूर ग्रह (मंगल शनि) हो तो दुर्घटना द्वारा |

2)शुक्र से अष्टम भाव में (शनि राहु) हो तो अस्वाभाविक आकस्मिक मृत्यु|

3)शुक्र 1,5,8,9 राशि में मंगल या सूर्य द्वारा दृष्ट हो तो अग्नि से मृत्यु |

4)शुक्र जलीय राशि में और उससे अष्टम में पाप ग्रह हो तो डूबने से मृत्यु होती है|

 

वैधव्य योग

1)लग्न,छठे,आठवें भाव में चंद्र,सातवें भाव में क्रूर ग्रह =8 वर्षों मे

2)पीड़ित सप्तमेश,लग्न,छठे,नवे,बारहवें भाव में पाप प्रभाव में हो तो पहली पत्नी मर जाती है |

3)कमजोर सप्तम भाव क्रूर ग्रह के प्रभाव में हो |

4)सप्तमेश या शुक्र नीच अस्त या क्रूर ग्रह द्वारा देखा जा रहा हो |

5)लग्न या अष्टम भाव में पीड़ित शुक्र/बुध हो या सप्तम/एकादश भाव में बुध/शुक्र पीड़ित हो|

 

दंपति की मृत्यु|

1)चंद्र से छठे या आठवें मंगल हो|

2)6ठे या 8वे भाव चंद्रमा क्रूर ग्रह द्वारा दृष्ट हो |

3)लग्न,सप्तम,अष्टम में क्रूर ग्रहों से दृष्ट होकर नीच क्रूर ग्रह बैठे हो |

4)लग्न या सप्तम भाव में चंद्र मंगल हो या लग्न में चंद्र,सप्तम में मंगल हो|

 

विवाद 

1)मंगल,चंद्र,लग्न,पंचम सप्तम नवम में हो |

2)गुरु उच्च का हो |

3)शुक्र से सप्तम में शनि हो तो विवाद होता है|

 

अलगाव - पृथकतावादी ग्रहों का सप्तम भाव,सप्तमेश व शुक्र पर प्रभाव अलगाव देता है |

1)सप्तम भाव मे सूर्य हो|

2)सप्तमेश/द्वादशेश राहु केतु अक्ष पर हो |

3)लग्न-सातवें भाव में राहु केतु और 12वे भाव मे सप्तमेश तथा सप्तमेश द्वादशा भाव मे हो 

 

तलाक

1)शुक्र शनि 6/12 या 2/8 अक्ष में राहु केतु संग हो |

2)सप्तम भाव में शुक्र,चंद्र पीड़ित हो |

3)सप्तम भाव में क्रूर ग्रह,शुक्र या सप्तमेश कमजोर हो |

4)सप्तम भाव में पाप ग्रह,सप्तमेश द्वादशेश की युति या परिवर्तन हो |

5)लग्नेश और सप्तमेश मंगल संग शत्रु द्वारा दृष्ट हो या राहु केतु अक्ष में हो |

5)आठवे व छठे भाव का संबंध हो तो मार पिटाई अथवा कष्ट कारक तलाक होता है सिर्फ आठवां भाव पीड़ित हो तो कष्ट कारण बनते हैं परंतु अलग नहीं होते |

 

मनमुटाव द्वारा हत्या/आत्महत्या |

1)शुक्र से चौथे और आठवे भाव में क्रूर ग्रह हो तो आत्महत्या |

2)पीड़ित लग्नेश अथवा सप्तमेश,अष्टम भाव में हो तथा लग्न क्रूर ग्रह से पीड़ित हो तो आत्महत्या |

3)सप्तम भाव में तीन क्रूर ग्रह जीवन साथी की हत्या कराते हैं|

 

कुछ उदाहरण

1)3/4/94 3:30 दिल्ली सिंह लग्न,विवाह के दिन क्या हुआ |

विवाह के दिन पिता गुजरे |लग्नेश सूर्य बुध नक्षत्र में सातवें भाव में है अतः विवाह का प्रश्न है |

 

2)18/10/1966 8:52 दिल्ली वृष लग्न विवाह कब एवं पत्नी कैसी मिलेगी ?

एक वर्ष से पहले विवाह होता नहीं दिख रहा है,सप्तमेश नीच है अतः लड़की ज्यादा अनुरूप नहीं होगी |

 

3)30/4/1995 9:55 दिल्ली मिथुन लग्न 30 वर्षीय लड़की व्यवसाय कारण(धन)विवाह नहीं करना चाहती व्ययभिचारी भी है (चंद्र) शीघ्र विवाह नहीं दिखता है |

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4)22/12/1994 10:10 दिल्ली मकर लग्न,छोटी बहन का विवाह (परवर्ती सुख) शीघ्र विवाह हुआ,पत्नी धन के लिए पति के सैयासुख का विरोध करती है परंतु तलाक की संभावना नहीं दिखती |

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