भारतीय समाज मे
महिलाओ को वैवाहिक अथवा काम संबंधो की दृस्टी से मर्यादित व
संतुलित जीवन जीने के लिए भारतीयो विद्वानो ने हमारे रहन सहन व रूढ़िवादी सोच के
चलते उतने अधिकार प्रदान नहीं किए हैं जितने की पुरुषो को दिये गए हैं जिस
कारण समाज मे कुछ विरक्तियाँ भी आई हैं | अक्सर कभी कभार हमें ऐसी
घटनाए देखने सुनने को मिल जाती हैं जिसमे स्त्री ने अपने अनुचित व अमर्यादित
संबंधो के कारण पुरुष को छोड़ दिया अथवा उसकी हत्या कर दी |
ज्योतिषीय दृस्टी से देखे तो
तो ऐसे बहुत से कारण हो सकते हैं जिनसे किसी भी स्त्री को सम्पूर्ण वैवाहिक अथवा
काम सुख उसके जीवन साथी से प्राप्त नहीं हो पाता परंतु यहाँ हम केवल उन स्त्रीयो
की यौन आदतों का अध्ययन करने का प्रयास इस लेख के माध्यम से करेंगे जिसमे उनका लग्नेश
सप्तम भाव मे गया हुआ हैं यह आप सब जानते ही हैं ऐसा होने का अर्थ हैं जातिका
स्वयं पुरुष के पास गयी हुई हैं अथवा उसका वरण करना चाहती हैं |
आइए जानते हैं की जब
किसी स्त्री की पत्रिका का लग्नेश अथवा लग्न का स्वामी उसके सप्तम भाव मे
गया होतो क्या होता हैं |
मेष लग्न मे लग्नेश मंगल
का सप्तम भाव मे होना स्त्री जातक को आकर्षक,चुंबकीय व्यक्तित्व देता हैं ऐसी स्त्री खुले विचारो की होने
से स्वयं की मर्जी से अपना साथी चुनना पसंद करती हैं यदि मंगल
पीड़ित होतो उसका पति क्रूर व घमंडी किस्म का होता हैं जो कानून या विज्ञान के
क्षेत्र मे अच्छा हो सकता हैं ऐसी स्त्री स्वयं भी नृत्यगान की शौकीन होती हैं यदि
पति का मंगल पीड़ित ना होतो खूब धन संपत्ति पाटी हैं पीड़ित होने पर लड़ाई वाद-विवाद अथवा
पति की शीघ्र मृत्यु होती हैं |
वृष लग्न मे लग्नेश शुक्र
सप्तम भाव मे होने पर स्त्री कामातुर,विवाह के बाद खर्चीली,विवाह जल्दी करने वाली, शुक्र पीड़ित होने पर
विवाह विलंब होता हैं अथवा पति बीमार रहता हैं तथा ऐसी स्त्री विवाह करने से हानी पाती हैं |
मिथुन लग्न मे लग्नेश
बुध सप्तम मे होने से स्त्री दूर के व्यक्ति से विवाह करती हैं,स्वभाव से अच्छी होती हैं लेखक,वकील अथवा अध्यापक हो सकती हैं तथा
जातिका स्वयं का व्यापार करने वाली भी हो सकती हैं,बुध के पीड़ित होने पर उसके कार्य मे बाधा,पति
से धोखा,सम्बन्धियो से हानी,देश विदेश
मे भटकाव जैसे अशुभफल भी प्राप्त होते हैं |
कर्क लग्न मे लग्नेश चन्द्र सप्तम भाव मे
होने से ऐसी स्त्री पति के द्वारा संपत्ति की
प्राप्ति करती हैं उसे अस्पताल से आकर्षण रहता हैं वह स्वयं डॉक्टर
अथवा नर्से भी हो सकती हैं ऐसी स्त्री व्यापारिक सांझेदारी
के लिए शुभ,वफादार नौकर पाने वाली,सामाजिक
कार्यो मे बढ़ चढकर हिस्सा लेने वाली होती हैं चन्द्र के पीड़ित होने पर पति
के गुस्से की शिकार,नौकर की तरह रहनेवाली,पैसे की लोभी पर ये ना जाने की पैसा कैसे कमाए चन्द्र यदि अधिक पाप प्रभाव मे होतो
समलैंगिक भी हो सकती हैं |
सिंह लग्न मे लग्नेश सूर्य सप्तम भाव मे होने से स्त्री बड़े बुजुर्गो की चाह रखने वाली,कोई
ना कोई आभूषण अवश्य अपने संग रखने वाली,विवाह
से पहले देर तक सगाई अथवा पाश्चात्य जगत के अनुसार लिव-इन मे
रहने वाली,सूर्य यहाँ स्वाधीनता व दृदता देता
हैं जिस कारण स्त्री का झुकना मुश्किल होता हैं इसका हृदय व दिमाग खतरनाक अनुमान लगाने
मे दक्ष होता हैं व्यापार मे हानी होती हैं ऐसी स्त्री कला,शिल्प
अथवा कानून मे रुचि अवश्य रखती हैं यदि सूर्य अशुभ होतो
पति बूढ़ा अथवा नपुंसक प्राप्त होता हैं |
कन्या लग्न मे लग्नेश बुध सप्तम भाव मे होने से स्त्री को संतुष्टि भरा विवाह,वार्ता
करने की प्रकृति वाली,कपड़ो की शौकीन अथवा फ़ैशन डिजाइनर,आजकल की मॉडल्स,पति
का व्यापार संभालने वाली,स्वयं
वाहन चलाने वाली,अपने से जवान पुरुष साथी की चाह रखने वाली होती हैं यदि बुध पीड़ित होतो ऐसी स्त्री आवारा व बदचलन,घर
का काम नहीं करने वाली,अपने ग़लत फैसलो से नुकसान
करनेवाली तथा जल्दबाज़ व अधीर होने पर
गुप्त संबंध बनाने को लालायित रहने वाली होती हैं |
तुला लग्न मे लग्नेश शुक्र सप्तम भाव मे होने पर पति के मामले मे भाग्यवान
स्त्री बनाता हैं जो जीवन का सही आनंद भोगती हैं,ऐसी स्त्री दूसरों के लिए
अनुकरणीय,चित्रकला व संगीत मे दक्ष,सबका साथ चाहने वाली,खूब
धन दौलत व तरक्की पाने वाली होती हैं शुक्र के अशुभ प्रभाव होने पर
इन सबके विपरीत पति से लड़ने-झगड़ने वाली व उससे अलगाव रखने वाली होती हैं |
वृश्चिक लग्न मे
लग्नेश मंगल के सप्तम भाव मे होने पर ऐसी स्त्री पुरुषो का संग जल्दी चाहने वाली होती हैं जिस कारण विवाह
जल्दी करना चाहती हैं ऐसे मे यदि गुरु अष्टम भाव
को ना देख रहे होतो पति की जल्दी मौत हो जाए अथवा स्त्री के अधिकार के प्रभाव कारण
तलाक हो जाता हैं शनि की दृस्टी होने पर जातिका अच्छी कलाकार हो
सकती हैं जो हमेशा महत्वकांक्षी रहकर ऊपर बढ्ने की इच्छुक
रहती हैं यदि मंगल,शनि,सूर्य जैसे ग्रहो से
संबन्धित होतो ऐसी स्त्री जुआरी व ठग भी हो सकती हैं |
धनु लग्न मे लग्नेश गुरु सप्तम भाव मे होने पर स्त्री का वैवाहिक जीवन खुशहाल
होता हैं जिससे उसकी खूब तरक्की होती हैं,उसके रिश्ते भी बहुत अच्छे होते हैं उसके पास मकान,आभूषण
व वाहन सबकुछ होता हैं,ऐसी स्त्री कुछ नया आविष्कार करना चाहती हैं यह लेखक,गणक
अथवा प्रकाशक भी हो सकती हैं जिसका शरीर व दिमाग
संतुलित होता हैं जो धर्म व शास्त्र ज्ञाता होती हैं यदि गुरु पीड़ित होतो
इन सबके विपरीत स्त्री का अनियोजित व बदलाव
वाला स्वभाव होता हैं जो दुर्लभ वस्तु की चाह रखने वाली होती हैं तथा गुस्सा होनेपर
खतरनाक साबित होती हैं जिसपर सट्टे आदि का इल्जाम भी लग सकता हैं |
मकर लग्न मे लग्नेश शनि सप्तम होने पर
सीधा सरल वैवाहिक जीवन प्राप्त होता हैं कभी कभी
विवाह मे देरी भी होती हैं,शुक्र संग होनेपर ऐसी स्त्री का धनी जातक से विवाह
होता हैं यह स्त्री प्रकृति अनुसार शांत स्वभाव वाली होती हैं,यदि राजयोग हो अथवा शनि
शुभ होतो विवाह बाद स्थिति मे सुधार होता हैं,पति
विद्वान,स्थिर व कानून ज्ञाता होता हैं |शनि पीड़ित होने पर घर पर क्लेश,उत्तेजित व्यवहार
करने वाली,रिश्तेदारों व मित्रो से भोग सुख चाहने वाली बुरी अवस्था मे समलैंगिक स्त्री भी हो सकती
हैं |
कुम्भ लग्न मे लग्नेश शनि सप्तम होने पर जातिका हंसमुख व खुशदिल स्त्री होती हैं जिसके पास नुकसान
रोकने की आतुरता होती हैं जो अपने ही दिल व दिमाग
की मानने वाली दिखावटी घर चाहने वाली,खेल व कला से पूर्ण,समाज सेवा मे
तत्पर,तेल,प्रकृतिक खनिज क्षेत्र मे
कामयाब राजदूत होती हैं यदि शनि पीड़ित होतो
ग़लत तरीके से धन कमाने वाली,ठगो व लुटेरो की संगत कर उनसे गुप्त संबंध बनाने वाली होती हैं यदि शुक्र अस्त होतो
ऐसी स्त्री के कइयो से अनैतिक संबंध होते हैं |
मीन लग्न मे लग्नेश गुरु सप्तम भाव मे होने पर जातिका विदुषी व पढी लिखी,घरेलू
विज्ञान मे दक्ष,अध्यापक,ईमानदार व
सबमे श्रेस्ठ व सम्मानीय विवाह करने वाली होती हैं
जिसके बाद सब इसके नियंत्रण मे चलता हैं,सबकी उम्मीदों पर खरी उतरती हैं यदि बुध शुक्र संबंध
होतो कलाकार व संगीतज्ञ,पूर्वाभास की क्षमता वाली,धर्म॰अर्थ॰ काम मे पूर्ण
यदि गुरु पीड़ित होतो जातिका घमंडी व अस्थिर प्रकृति वाली होती हैं जो चाहती हैं की लोग उसकी पुजा
करे पति से अलग गैर मर्द संग रहे,गुप्त व अविश्वशनिय जीवन जीने वाली,विधवा
वैशयावृति करवाने की इच्छुक अथवा समलैंगिक के गुण वाली |
आजकल के भौतिकता वादी युग
मे जहां तलाकदार ज़्यादा हैं व विवाह खतरे मे हैं 90% स्त्रीया भोग सुख की कमी कारण
सुखी नहीं हैं ज्योतिष द्वारा यह जानकर की कौन सा साथी उसे पूर्ण भोग सुख दे सकेगा
स्त्रीया सुखी वैवाहिक जीवन पा सकती हैं |
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