आपकी
जन्मपत्रिका मे स्थित 12 भाव आपके भावी जीवन मे संबंधो,रिश्तेदारों का आपसे कैसा संबंध रहेगा यह बताते हैं किस
प्रकार से किस भाव का संबन्धित प्राणी आप से कैसा संबंध रखेगा या आप उस संबंधी के
प्रति कैसे रहेंगे यह सब पत्रिका के 12 भावो मे छुपा हुआ होता हैं | यदि आपका अपनी माँ से बहुत अच्छा संबंध हैं आप अपनी हर बात अपनी माँ से
कह लेते हैं तो यह इस बात का प्रमाण हैं की आपका चौथा भाव बहुत अच्छा हैं | इसके विपरीत यदि आपके अपने ससुराल वालो से संबंध अच्छे नहीं हैं तो आपका
आठवाँ भाव अवश्य ही पीड़ित अवस्था
मे होगा |
इस
प्रकार यदि किसी भाव से संबन्धित परेशानिया लगी रहती हो तो लाल किताब के अनुसार
जातक विशेष को उस पीड़ित भाव से संबन्धित रिश्ते को ठीक कर लेना चाहिए जिससे उसे उस
पीड़ित भाव के शुभ फलो की प्राप्ति होने
लगती हैं | आइये जानते हैं की किस
प्रकार से रिश्तो के द्वारा आप अपने पीड़ित भाव को शुभ कर सकते हैं |
प्रथम
भाव-यदि यह भाव पीड़ित हैं (स्वास्थ्य खराब रहता हैं ) तो इसका सीधा सा अर्थ हैं की
जातक स्वयं
का मित्र नहीं हैं अर्थात स्वयं की देखभाल ठीक से नहीं करता हैं जानबूझकर ग़लतियाँ करता रहता |
उपाय-जातक
खुद का दोस्त बन यह आत्म निरीक्षण करे की उसकी कौन सी आदते ऐसी हैं जो उसे जीवन मे आगे बढने से
रोकती हैं | उसके शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं उन्हे जान कर उनमे सुधार करने की कोशिश करे |
दूसरा
भाव-इस भाव के पीड़ित होने से परिवार व कुटुंब मे विवाद बने रहते हैं बात बात पर घर के सदस्यो से उसका
क्लेश तथा झगड़ा होता रहता हैं | घर मे धन की कमी निरंतर बनी रहती हैं |
उपाय-
नित्य अपनी आँख को शीतल जल से धोये तथा अपना अहंकार त्याग कर पूरे परिवार से
विनम्रता पूर्वक व्यवहार करे छोटों से प्यार,साथ वालो से मित्रता तथा बड़ो का सम्मान करे |
तीसरा
भाव-इस भाव के पीड़ित होने से जातक को भाई बहनों का सूख नहीं मिलता अथवा उनसे संबंध अच्छे नहीं होते या भाई बहनों की स्थिति ठीक नहीं होती हैं उनका स्वस्थ भी खराब रहता हैं |
उपाय-अपने
से कम उम्र के लोगो को भाई /बहन मान उनसे राखी बँधवाए या बांधे |
चतुर्थ
भाव-इस भाव के खराब होने से माता का सुख नहीं मिलता हैं माँ की तबीयत हमेशा खराब
रहती हैं ससुर से संबंध ठीक नहीं होते तथा मन मे हमेशा अशांति बनी रहती हैं |
उपाय-अपनी
माता का सम्मान करे उनकी सुख सुविधाओ का ध्यान रख सेवा करे |यदि माँ बीमार रहती हो तो 7 वृद्ध स्त्रियो के लगातार 41
दिन चरण स्पर्श करे और विधवा आश्रम मे दान करे |
पांचवा
भाव-इस भाव के पीड़ित होने प्रेम संबंधो मे असफलता,शिक्षा बाधा व संतान सुख मे कमी अथवा संतान का ना
होना जैसी समस्याए होती हैं तथा जातक का सोचा हुआ
कभी भी पूर्ण नहीं होता |
उपाय-इन
सबके के लिए 7 गुरुवार गरीब बच्चो को गुब्बारे खेलने को दे तथा प्रत्येक वर्ष 10
वर्ष से कम उम्र के बच्चो को कपड़ा दान करे |
छठा
भाव –इस भाव के पीड़ित होने से मामा का सुख नहीं मिलता,ननिहाल का हाल खराब रहता हैं रोग,ऋण व शत्रु जातक का पीछा नहीं छोड़ते |
उपाय-मामा
से संबंध मधुर बनाए तथा पूर्व दिशा की और सिरहाना करके सोये,छोटी छोटी बातों मे गुस्सा
ना करे |
सातवा
भाव –इस भाव के पीड़ित होने से विवाह विलंब,स्त्री सुख मे कमी अथवा वैवाहिक जीवन
कष्टमय व तनावमय होता हैं साझेदारी मे कोई
ना कोई परेशानियाँ लगी ही रहती हैं |
उपाय-अपनी
स्त्री/पुरुष का सम्मान करे एक दूसरे की भावनाओ का ख्याल/सम्मान करे |
आठवा
भाव –इस भाव के पीड़ित होने ससुराल पक्ष से तनाव बना रहता हैं | हर काम मे अडचन होती हैं आयु पर खतरा बना रेहता हैं |
उपाय-ससुराल
से मधुर संबंध बनाए सास ससुर का ख्याल रखे |
नवम
भाव-इस भाव के अशुभ प्रभाव मे होने से पौत्र व साले का सुख नहीं मिलता या इनसे
संबंध अच्छे नहीं होते,धार्मिक कार्यो
मे रुचि नहीं रहती तथा भाग्य रूठा रहता हैं |
उपाय-अपने बड़ो को सम्मान देना चाहिए तथा
परम्पराओ का निर्वाह करना चाहिए |
दसवा
भाव –यदि पिता का जीवन कष्टमय हो,रोजगार की
समस्या लगी रहती हो,किसी भी कार्य मे सफलता नहीं मिलती हो,काम बदलते रहते हो तो समझ लेना चाहिए की दसवा भाव पीड़ित हैं |
उपाय-नित्य
पिता की पूर्ण श्रद्धा से सेवा कर आशीर्वाद लिया करे तथा वृद्ध आश्रम मे दान किया
करे |
एकादश
भाव –इस भाव के पीड़ित होने से बड़े भाई का
सुख नहीं मिलता,लाभ की प्राप्ति नहीं होती
तथा पुत्र का वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं रहता |
उपाय-अपने
से उम्र मे बड़े लोगो का सम्मान करे तथा उनसे सलाह मशवरा किया करे |
द्वादश
भाव-इस भाव के खराब होने से खर्च मे अधिकता,चाचा से संबंधो मे खराबी,नेत्र दोष व शयन सुख मे कमी
रहती हैं |
उपाय-सप्ताह
मे एक दिन जानवरो को हरा चारा खिलाये तथा जीवनसाथी के नाम से धन जमा करे,चाचा का मान सम्मान करे |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें