आरूढ़ लग्न (एक शोध)
जैमिनी ज्योतिष मे विभिन्न प्रकार के लग्नों का उल्लेख मिलता हैं जिनमे
प्रमुख कारकांश लग्न,आरूढ़ लग्न,वर्णद लग्न,उपपद लग्न आदि हैं प्रस्तुत लेख मे हम
आरूढ़ लग्न के विषय मे प्रकाश डालने का प्रयास कर रहे हैं |
इस आरूढ़ लग्न को पद लग्न भी कहा जाता हैं |
लग्न जहां यह बताता हैं की हम क्या हैं वही आरूढ़ लग्न यह बताता हैं की
दुनिया की नजरों मे हम क्या हैं अर्थात दुनिया की नजरों मे हमारी छवि क्या हैं लोग
हमें कैसा समझते या मानते हैं | आरूढ़ का अर्थ ऊंचे स्थान से हैं जिसमे जातक विशेष का सामाजिक आस्तित्व,उसका कार्यक्षेत्र,उसकी प्रकृति आदि का अंदाज़ा
दूसरों के द्वारा लगाया जाता हैं आरूढ़ लग्न हमारी छवि द्वारा निर्धारित होने के
कारण बेहद सटीक व बिलकुल अलग भी हो सकता हैं |
आरूढ़ लग्न लग्न से लग्नेश की जितनी दूरी होती हैं उससे उतनी ही दूरी के
भाव पर माना जाता हैं जैसे यदि लग्नेश लग्न से पंचम भाव मे होतो इस पांचवे भाव से
पाँच आगे अर्थात नवम भाव मे आरूढ़ लग्न माना जाएगा,इसी प्रकार यदि लग्नेश तीसरे भाव मे होतो तीसरे भाव से तीन
आगे अर्थात पंचम भाव मे आरूढ़ लग्न माना जाएगा |
विशेष –1)चूंकि आरूढ़ लग्न हमारी छवि को दर्शाता हैं वह कभी भी लग्न अथवा
सप्तम भाव मे नहीं आ सकता इसके लिए नियम मे अपवाद रखा गया हैं यह जब भी लग्न अथवा
सप्तम भाव मे पड़ता हैं तब उसे वहाँ से दस भाव आगे के भाव मे रख दिया जाता हैं जैसे
यदि लग्नेश लग्न मे ही होतो आरूढ़ लग्न लग्न से दशम भाव मे माना जाएगा इसी प्रकार
यदि लग्नेश चतुर्थ भाव मे होतो उसे वहाँ से चतुर्थ भाव सप्तम भाव मे ना मानकर
सप्तम से दस भाव आगे अर्थात चतुर्थ भाव मे ही मानेंगे |
2)आरूढ़ लग्न कभी भी 6,8 व 12 वे भाव मे नहीं आता हैं |
आरूढ़ लग्न से मिलने वाले प्रभाव इस प्रकार से होते हैं |
1)आरूढ़ लग्न पर ग्रहो का प्रभाव जन्म लग्न की भांति ही देखना चाहिए | आरूढ़ लग्न शुभ ग्रह की राशि मे हो,शुभ
ग्रह हो अथवा शुभ ग्रह के प्रभाव मे हो तो जातक भाग्यशाली व धनी होता हैं जबकि पाप
ग्रहो के प्रभाव मे होने से जातक विवादित,भाग्यहीन व असफल
होता हैं |
2)आरूढ़ लग्न से केंद्र,त्रिकोण मे शुभ ग्रह जातक को प्रसिद्द,धनी,सफल व ताकतवर बनाते हैं जबकि पाप ग्रह अशुभता प्रदान करते हैं |
3)आरूढ़ लग्न से चतुर्थ भाव मे चन्द्र शुक्र का प्रभाव जातक को अनेक भवनो
का स्वामी बनाता हैं |
4)आरूढ़ लग्न या इससे सप्तम मे ऊंच,स्वग्रही अथवा मित्र राशि का ग्रह जातक को समाज मे प्रसिद्दि,सफलता व ऊंच स्थान प्रदान करता हैं |
5)आरूढ़ लग्न से राजसिक ग्रह केंद्र मे,सात्विक ग्रह पणफर मे तथा तामसिक ग्रह 3,6,12 भावो मे शुभता देते हैं |
6)आरूढ़ लग्न से 3,6 भावो मे
पाप ग्रह पराक्रम की वृद्दि करते हैं तथा अपनी दशा मे शुभफल देते हैं |
7)आरूढ़ लग्न से दूसरे भाव मे शुभग्रह जातक को सम्मानित व धनी बनाता हैं | जबकि दूसरा भाव बली होतो जातक को दुनिया वाले धनी समझते
हैं |
8) आरूढ़ लग्न से 11वे भाव मे सब ग्रहो की दृस्टी होतो जातक राजा समान होता
हैं |
9)आरूढ़ लग्न से 11वे भाव मे अधिक ग्रहो का प्रभाव जातक का एक से अधिक
श्रोतों द्वारा धनार्जन करवाता हैं जिस
कारण जातक बहुत धनी होता हैं |
10)आरूढ़ लग्न से 11वे भाव को ग्रह देखे पर 12वे को नहीं तो जातक को आसानी
से लाभ प्राप्त होता हैं |
11)आरूढ़ लग्न से 12वे भाव पर अधिक ग्रहो का प्रभाव जातक को खर्चीला बनाता
हैं जिस कारण जातक धन अभाव मे रहता हैं |
12)आरूढ़ लग्न से दूसरे अथवा सप्तम भाव मे राहू केतू होतो जातक के पेट मे
कीड़े होते हैं अथवा जातक को पेट संबंधी बीमारी होती हैं |
13)आरूढ़ लग्न से दूसरे अथवा सप्तम भाव मे केतू पाप ग्रह से दृस्ट या युत
होतो जातक जवानी मे ही बूढ़ा नज़र आने लगता हैं |
14)आरूढ़ लग्न से दूसरे अथवा सप्तम भाव मे गुरु,चन्द्र,शुक्र या इनमे से कोई दो ग्रह
होतो जातक धनी होता हैं |
15)चिकित्सको मे आरूढ़ लग्न उनके लग्न से 9वे व 11वे भाव मे होता हैं | जबकि वकीलो व पुलिस कार्य करने वालों का आरूढ़ लग्न लग्न
से पंचम भाव मे होता हैं |
आइये अब कुछ कुंडलियों का अध्ययन करते हैं |
1)लता मंगेशकर 28/9/1929 22:32 इंदौर वृष लग्न की इनकी पत्रिका मे आरूढ़
लग्न सिंह बनता हैं जिसमे इनकी पत्रिका का लग्नेश शुक्र स्थित हैं जो आरूढ़ लग्न का
तृतीयेश-कर्मेश बनकर इनके अपने शौक (गायन)
का ही व्यवसाय करना निश्चित कर रहा हैं इसी आरूढ़ लग्न के दूसरे भाव मे ऊंच का बुध
इनकी वाणी द्वारा धन प्राप्ति दर्शा रहा हैं | आरूढ़ लग्न के लग्नेश (सूर्य),पंचमेश
(गुरु) व नवमेश (मंगल) का संबंध राजयोग के साथ साथ विश्वप्रसिद्द होने का योग भी
बना रहा हैं |
2)राजीव गांधी 20/8/1944 7:11 दिल्ली सिंह लग्न का आरूढ़ लग्न वृष लग्न बना
जिससे केंद्र मे सभी शुभ ग्रहो ने जहां इन्हे प्रसिद्द,धनी व ताकतवर बनाया हैं वही आरूढ़ लग्न स्वामी शुक्र के
जन्म लग्न मे सात्विक ग्रहो के संग होने से इन्हे समाज मे साफ सुधरी छवि भी
प्राप्त रही |
3) 17/9/1950 12:21 वदनगर वृश्चिक लग्न मे जन्मे नरेंदर मोदी जी की पत्रिका
का आरूढ़ लग्न सिंह आता हैं जिसके केंद्र मे शुभ गृह होने से मोदी विश्वस्तर पर
प्रसिद्द हैं आरूढ़ लग्न से दूसरे भाव मे स्थित ऊंच के बुध ने इन्हे ज़बरदस्त वक्ता
बनाया हैं वही इस लग्न से सप्तम भाव मे शनि व मंगल के प्रभाव ने इन्हे विवाह सुख
से वंचित रखा हैं |
4)11/10/1942 16:00 इलाहाबाद कुम्भ लग्न मे जन्मे श्री अमिताभ बच्चन का आरूढ़
लग्न वृष आता हैं जिसमे इनकीं पत्रिका का लग्नेश शनि स्थित हैं | इस लग्न
के एकादश भाव मे जहां कई ग्रहो के प्रभाव ने इन्हे धनवान बनाया हैं वही पंचम भाव
मे ऊंच के बुध(आरूढ़ लग्न से द्वितीयेश) ने इन्हे वाणी मे विशिष्टता प्रदान की हैं तथा
केंद्र मे पाप ग्रहो के प्रभाव ने इनकी छवि को विवादित भी बनाकर रखा हैं |
5)2/10/1869 8:40 पोरबंदर तुला लग्न मे जन्मे गांधीजी की पत्रिका का आरूढ़
लग्न कर्क आता हैं जिसमे स्वग्रही चन्द्र स्थित हैं जिसके केंद्र मे शुभ ग्रहो के
प्रभाव ने इन्हे प्रसिद्द व आमजन का चहेता बनाया लोग इनके एक इशारे पर मर मिटने को
तैयार रहते थे |
6)8/2/1971 3:20 देहरादून वृश्चिक लग्न मे जन्मे इस जातक का आरूढ़ लग्न
सिंह आता हैं केंद्र मे पाप ग्रहो के प्रभाव व लग्नेश का छठे भाव मे होना जातक को
विवादित होना बता रहा हैं जातक अपने क्षेत्र मे विवादित भी हैं वही एकादश भाव मे
कई ग्रहो के प्रभाव ने जातक को एक से ज़्यादा आय के श्रोत प्रदान किए हैं |
7)11/12/1931 17:19 कुचवाड़ा वृष लग्न मे जन्मे इस जातक का आरूढ़ लग्न कर्क
आता हैं जिस पर ऊंच का गुरु (नवमेश) वक्री अवस्था मे स्थित हैं जिस कारण जातक धर्म
अथवा अध्यात्म को एक अलग ही दृस्टिकोण से देखता था त्रिकोण मे स्थित पाप ग्रहो ने
जातक को जहां लीक से हटकर चलने की प्रेरणा दी वही छठे भाव मे लग्नेश चन्द्र व अधिक
ग्रहो के प्रभाव ने जातक को हमेशा विवादो मे ही रखा, यह पत्रिका ओशो की हैं |
8)रतन टाटा 28/12/1937 6:30 मुंबई धनु लग्न मे जन्मे श्री टाटा का आरूढ़
लग्न कुम्भ आता हैं जिसके एकादश भाव मे बहुत से ग्रहो का प्रभाव जातक के बहुत से
आय के श्रोत होने की पुष्टि कर रहे हैं वही लग्नेश का दूसरे भाव मे होकर एकादश को
देखना जातक के धनी होने जबद्स्त योग बता रहें हैं | केंद्र मे पाप ग्रहो के प्रभाव ने इन्हे अपने क्षेत्र मे
विवाद भी प्रदान किए हैं |
9)19/8/1946 8:30 हॉप अमरीका मे कन्या लग्न मे जन्मे बिल क्लिंटन का आरूढ़
लग्न वृष आता हैं जिसमे लग्नेश नीच का होकर सप्तमेश शुक्र संग पंचम भाव मे हैं जो
विवाहेत्तर संबंध की पुष्टि कर रहा हैं वही केंद्र मे पाप ग्रहो के प्रभाव ने
उन्हे अपने कार्यकाल मे विवादित भी बनाया था जबकि केंद्र मे स्वग्रही सूर्य ने
उन्हे प्रसिद्दि भी प्रदान करी |
10)हिलेरी क्लिंटन -26/10/1947 20:00 शिकागो मिथुन लग्न मे जन्मी हिलेरी
की पत्रिका मे आरूढ़ लग्न कुम्भ आता हैं जिस पर सभी ग्रहो की जेमिनी दृस्टी हैं जिस
कारण हिलेरी को ना सिर्फ अमरीकी राष्ट्रपति की पत्नी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ
बल्कि स्वयं भी उन्हे कई ऊंच पद प्राप्त हुये हैं व भविष्य मे भी कई अच्छे पद
प्राप्त होते रहेंगे |
1 टिप्पणी:
Excellent sir
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