द्वादशांस
का विचित्र नियम
ज्योतिष
के सभी छात्र जानते हैं की वर्ग कुंडलियों मे द्वादशांस का प्रयोग माता-पिता की
आयु,उनके सामाजिक एवं आर्थिक स्तर व
उनसे प्राप्त होने वाले सुख आदि जानने के लिए किया जाता हैं महान ज्योतिषी श्री
के॰एन राव इस द्वादशांस को जातक के ऊंच चेतना की प्रवृति जानने के लिए महत्वपूर्ण
मानते हैं |
द्वादशांस
ज्ञात करने के लिए प्रत्येक राशि को 12 भागो मे बांटा जाता हैं जिसमे प्रत्येक भाग
2-30’ अंश का हो जाता हैं इसी प्रकार
ग्रहो को भी विभाजित कर जहां वह स्थित होते हैं वहाँ से उतने भाव आगे रख दिया जाता
हैं जैसे यदि कोई ग्रह 8-02’ अंश का होता हैं तो वह चतुर्थ
द्वादशांस मे जाएगा अर्थात स्वयं के भाव से वह ग्रह चार आगे के भाव मे चला जाएगा |
द्वादशांस
बनाने की विधि –
प्रथम
द्वादशांस 0 से 2-30’ अंश
दूसरा
द्वादशांस 2-30’ से 5-00’ अंश
तीसरा
द्वादशांस 5-00’ से 7-30’ अंश
चतुर्थ
द्वादशांस 7-30’ से 10-00’ अंश
इसी
प्रकार पूरे 30-00’ अंशो का 12 बराबर
भागो मे बंटवारा कर 12 द्वादशांस प्राप्त किए जाते हैं |
इस
द्वादशांस वर्ग का अध्ययन करते समय हमने पाया की ज्योतिष के प्राचीन ग्रंथों मे
द्वादशांस के विषय मे एक सूत्र लिखा हुआ होता हैं |
“
केन्द्राशु शुभदा राजयोगफलप्रदा “
अर्थात
स्वयं से केंद्र मे गया ग्रह ( द्वादशांस मे ) राजयोग प्रदान करता हैं |
हमने
इसी सूत्र को आधार बनाकर यह जानने का प्रयास किया कि क्या वास्तव मे ऐसा होता हैं
लगभग 300 कुंडलियों मे हमने यह सूत्र अपनी समझ के आधार पर लगाया और इस सूत्र को
बिलकुल सही पाया इस सूत्र की सत्यता जानने के लिए हमें इसकी भूमिका को समझना पड़ेगा
|
हम
सभी जानते हैं की जन्मकुंडली का चतुर्थ व दशम भाव माता-पिता से संबन्धित होते हैं
यदि इन दोनों भावो से घर अथवा सुख देखना होतो (चतुर्थ भाव) लग्न व सप्तम भाव
पड़ेंगे और यदि इन्ही भावो से कार्य अथवा
कर्म देखना होतो (दशम भाव) क्रमश: सप्तम व
लग्न ही पड़ेंगे यानि यह स्पष्ट रूप से कहाँ जा सकता हैं की माता-पिता के घर व
कार्य के लिए हमें 4 व 10 के अतिरिक्त 1 व 7 भाव भी देखने चाहिए इन्ही चारो भावो
(1,4,7,10) को ही हमारे प्राचीन विद्वानो ने केन्द्रीय भाव
कहाँ हैं जिससे यह स्पष्ट होता हैं की इन चारो भावो मे गया ग्रह अवश्य ही शुभफल
प्रदान करेगा अथवा करता होगा |
द्वादशांस
के इन चारो ( केन्द्रीय ) भावो को हमारे
शास्त्र क्रमश: कुबेर,कीर्ति,मोहन व इंद्र कहते हैं जिनका
शाब्दिक अर्थ संभवत: धन,प्रसिद्दि,आकर्षण व सिंहासन होता हैं | द्वादशांस के विभिन्न
भावो मे गए ग्रह इस प्रकार से अपने फल प्रदान करते हैं |
1,4,7,10
भावो मे शुभ,2,6,8,11 भावो मे मध्यम तथा 3,5,8,12
भावो मे निर्बल
अपने
शोध मे हमने पाया की कुंडली मे यदि कोई भी ग्रह द्वादशांस मे अपने से इन चार
केन्द्रीय भावो मे गया था तो उसने अपनी दशा मे जातक विशेष को बहुत ही सफलता,सम्मान कामयाबी व ऊंचाई प्रदान करी थी जबकि वह ग्रह उस जातक की कुंडली के
लिए शुभ नहीं था तथा नैसिर्गिक रूप से अशुभ भी था हमने यह भी पाया की जैसे ही जातक
को उस ग्रह की दशा लगी वह एकाएक सफलता की ऊंचाई छूने लगा द्वादशांश सूत्र होने के
बावजूद उसकी इस सफलता मे उसके माता-पिता का योगदान अथवा सहयोग नहीं था अथवा नाम
मात्र का ही था |
आइए
अब कुछ कुंडलियाँ देखते हैं तथा इस सूत्र को जाँचते हैं |
1)भारत
15/8/1947 00:00 दिल्ली वृष लग्न की इस पत्रिका मे लग्नेश शुक्र 22-33’अंश का हैं जो दशम द्वादशांस मे आता हैं शुक्र की दशा भारत वर्ष मे 1989
से 2009 तक रही और इस दौरान भारत ने पूरे विश्व मे अपनी पहचान संचार माध्यम,फिल्म व खेल जगत तथा सुंदरता के क्षेत्र मे बनाई जिससे पूरे विश्व मे भारत
का डंका बजने लगा | पत्रिका मे शुक्र तीसरे भाव मे अस्त
अवस्था मे हैं |
2)नरेंदर
मोदी 17/9/1950 12:21 वड्नगर गुजरात मे वृश्चिक लग्न मे जन्मे श्री मोदी जी की
पत्रिका मे चन्द्र 9-36’ अंश का हैं जो
चौथे द्वादशांस मे पड़ता हैं इनकी चन्द्र दशा 2011 से 2021 के मध्य हैं और हम सभी
जानते हैं की इसी दौरान ये अभी तक अपने राज्य के मुख्यमंत्री से देश के
प्रधानमंत्री तथा विश्व के शक्तिशाली राजनीतिज्ञ के रूप मे स्थापित हो गए हैं जबकि
इनकी अभी लगभग पूरी चन्द्र दशा शेष हैं यहाँ ध्यान रखे की पत्रिका मे चन्द्र
भाग्येश नीच राशि का होकर मंगल लग्नेश संग लग्न मे स्थित हैं |
3)आरनौल्ड
स्वार्ज्नेगर 30/7/1947 4:10 ग्राज(आस्ट्रिया) मे मिथुन लग्न मे जन्मे आरनौल्ड की
पत्रिका मे चंन्द्र 8-40’ अंश का हैं जो
चतुर्थ द्वादशांस मे आता हैं इनकी चन्द्र दशा 1976 से 1986 तक रही इस दशा मे
इन्होने अपनी पहली फिल्म “कौनन द बारबेरियन” करी,1984 मे
इनकी “टर्मिनेटर” सीरीज की पहली फिल्म से ये पूर्ण रूप से विश्व सिनेमा पटल पर छा
गए इसी चन्द्र दशा मे इन्होने 1986 मे विवाह किया जो कामयाब रहा हैं इनकी पत्रिका
मे चन्द्र दूसरे भाव का स्वामी होकर सप्तम भाव मे हैं |
4)रजनीश
11/12/1931 17:13 कुचवाड़ा वृष लग्न मे जन्मे श्री रजनीश उर्फ ओशो की पत्रिका मे
राहू 9-04’ अंश का हैं जो चतुर्थ द्वादशांस मे
आता हैं इन्हे राहू दशा 1961 से 1978 तक रही जिस
दौरान इन्होने अपने दर्शन शास्त्र के चलते अपने केंद्र की स्थापना की तथा
विश्व भर मे इनके अनुयाई बनते चलते गए 1969 मे इनके दर्शन ने एक आंदोलन का रूप ले
लिया तथा विश्व की जानी मानी हश्तियाँ इनके संपर्क मे आने लगी जिससे ये विख्यात
होने लगे | इनकी पत्रिका मे राहू एकादश भाव मे गुरु की राशि
मे हैं |
5)हिटलर 20/4/1889 18:30
औस्ट्रिया मे तुला लग्न मे जन्मे हिटलर की पत्रिका मे राहू 22-47’ अंश का हैं जो दशम द्वादशांस मे आता हैं राहू की दशा इन्हे 1933 से 1951
के मध्य रही और हम सभी जानते हैं की यह समय हिटलर का स्वर्णिम काल था इसी दौरान
उसने पूरे विश्व मे अपनी क्रूरता का परचम लहराया था | इनकी
पत्रिका मे राहू नवम भाव मिथुन राशि मे हैं |
6)अब्राहम
लिंकन 12/2/1809 7:32 अमरीका मे कुम्भ लग्न मे जन्मे श्री लिंकन की पत्रिका मे
गुरु 2-16’ अंश का हैं जो प्रथम द्वादशांस मे
आता हैं ये अपनी गुरु दशा मे ही अमरीका के राष्ट्रपति बने थे इनकी पत्रिका मे गुरु
दूसरे भाव मे हैं |
7)बिल
क्लिंटन 19/8/1946 8:30 हॉप अमरीका मे कन्या लग्न मे जन्मे क्लिंटन की पत्रिका मे
गुरु 1-35’ अंश का होकर प्रथम द्वादशांस मे
हैं ये भी अपनी गुरु की दशा मे ही अमरीका के राष्ट्रपति बने थे इनकी पत्रिका मे
गुरु दूसरे भाव मे हैं |
8)शाहरुख
खान 2/11/1965 2:30 दिल्ली सिंह लग्न की इस पत्रिका मे शनि 17-13’ अंश का हैं जो सातवे द्वादशांस मे आता हैं इनकी शनि दशा 2004 से 2023 की
हैं और हम सब जानते हैं की 2004 से अब तक इनकी सभी फिल्मे एक से एक बड़ी हिट होती
जा रही हैं तथा इसी दौरान इनकी क्रिकेट टीम “कलकत्ता नाइट राइडर “ने भी खिताब जीता
हैं ये नित्य नयी बुलंदी छूते जा रहे हैं | इनकी पत्रिका मे
शनि सप्तम भाव मे हैं |
9)कपिल
देव 6/1/1959 4:50 चंडीगढ़ धनु लग्न की इनकी पत्रिका मे बुध 1-35’ अंश का हैं जो प्रथम द्वादशांस मे आता हैं इनकी बुध दशा मे ही यह भारत की
क्रिकेट टीम के सदस्य बन फिर कप्तान बने तथा इनकी ही कप्तानी मे भारत ने क्रिकेट
का तीसरा विश्व कप जीता था इनकी पत्रिका मे बुध लग्न भाव मे हैं |
10)धीरुभाई
अंबानी 28/12/1932 6:37 यमन धनु लग्न मे जन्मे धीरुभाई अंबानी की पत्रिका मे राहू
16-54’ अंश का हैं जो सातवा द्वादशांस
पड़ता हैं हम सभी जानते हैं की इन्होने अपना व्यावसायिक साम्राज्य इसी राहू दशा मे ही बनाया था जो बाद मे भारत वर्ष
के सबसे बड़े व्यावसायिक घरानो मे से एक बना हैं इनकी पत्रिका मे राहू तीसरे भाव मे
हैं |
11)
पुतिन 7/10/1952 10:11 मास्को रूस मे वृश्चिक लग्न मे जन्मे श्री पुतिन की पत्रिका
मे शनि 24-14’ अंश का हैं जो दशम द्वादशांस
मे आता हैं इनकी शनि दशा 2001 से 2020 तक की हैं और इसी दौरान ये अपने देश के
राष्ट्रपति बने हैं तथा विश्व के राजनीतिक पटल मे इनको काफी शक्तिशाली माना जाता
हैं | इनकी पत्रिका मे राहू एकादश भाव मे हैं |
12)महेंदर
सिंह धोनी 7/7/1981 19:05 रांची धनु लग्न मे जन्मे धोनी की पत्रिका मे राहू 8-11’ अंश का हैं जो चतुर्थ द्वादशांस मे आता हैं इनकी पत्रिका मे राहू की दशा
2001 से 2019 तक की हैं इसी राहू दशा मे इन्होने भारतीय क्रिकेट टीम मे अपनी जगह
बनाई फिर यह भारत की क्रिकेट टीम के कप्तान बने तथा भारत को इन्होने 2-2 विश्वकप
जिताए और इस समय इनका खेल व विज्ञापन जगत मे ज़बरदस्त डंका बज रहा हैं ये जहां भी
हाथ डाल रहे हैं सफलता ही इनके हाथ लग रही हैं इनकी पत्रिका मे राहू अष्टम भाव मे
हैं |
13)
आमिर खान 14/3/1965 9:21 मुंबई मेष लग्न मे जन्मे आमिर खान की पत्रिका मे शुक्र
22-39’ अंश का हैं जो दशम द्वादशांस मे
आता हैं इनकी शुक्र दशा 1991 से 2011 तक रही जिस दौरान ये भारतीय फिल्मजगत मे सबसे
कामयाब एक्टर,प्रोड्यूसर व डाइरेक्टर के रूप मे प्रसिद्द
हुये तथा इनके नाम लगातार कामयाब फिल्मे देने का रिकॉर्ड बना हैं आज इनकी गिनती
विश्व के प्रभावशाली व्यक्ति के रूप मे होती हैं | इनकी
पत्रिका मे शुक्र एकादश भाव मे हैं |
14)श्री
जवाहर लाल नेहरू (14/11/1889 23:03 इलाहाबाद) जी की कर्क लग्न की पत्रिका मे मंगल तीसरे
भाव मे 9-58’ अंश का होकर चतुर्थ द्वादशांस
मे हैं हम सभी जानते हैं की इनकी मंगल दशा 1948 से 1955 के बीच रही और इसी दौरान
इनका भारतीय राजनीति मे बहुत कद बढा और यह देश के प्रधानमंत्री बने |
इन
सब कुंडलियों के अतिरिक्त अन्य कुंडलियों जैसे गुलज़ारी लाल नन्दा (4/7/1898 00:52
सियालकोट मेष लग्न ) की पत्रिका मे गुरु 9-52’ अंश चतुर्थ द्वादशांस,इन्दिरा गांधी (19/11/1917
23:15 इलाहाबाद कर्क लग्न ) की पत्रिका मे गुरु 15-00’ अंश
सप्तम द्वादशांस,तथा मनमोहन सिंह (26/9/1932 14:00 झेलम धनु
लग्न ) की पत्रिका मे राहू 24-08’ अंश दशम द्वादशांस का हैं
और ये सभी इन्ही ग्रहो की दशा मे देश के ऊंचे पद अर्थात प्रधानमंत्री पद पर
सुशोभित हुये थे |
इस
प्रकार यह स्पष्ट रूप से कहाँ जा सकता हैं की यदि किसी जातक का कोई भी ग्रह
द्वादशांस मे केन्द्रीय भावो अर्थात 1,4,7,10 मे
गया हो तो उस ग्रह की दशा मे जातक विशेष को बहुत सफलता प्राप्त होती हैं भले ही वह
ग्रह कुंडली मे किसी भी अवस्था मे क्यूँ ना हो |
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