भारत का 66वा
गणतन्त्र
गणतन्त्र
दिवस के 66वे साल की वर्ष कुंडली मे भारत 27 जनवरी 2015 तदानुसार गुरुवार
शुक्लपक्ष अष्टमी तिथि वृश्चिक लग्न मे प्रवेश करेगा |
लग्नेश
मंगल शुक्र (वर्षेश) सप्तमेश-द्वादशेश संग चतुर्थ भाव मे मुनथा द्वारा दृस्ट हैं
मुन्थेश सूर्य तृतीय भाव (पड़ोस व साहस) मे तृतीयेश-चतुर्थेश शनि तथा
द्वितीयेश-पंचमेश गुरु द्वारा दृस्ट हैं गुरु नवम,चन्द्र(नवमेश)षष्ठ,शनि लग्न,बुध(अस्ट्मेश–लाभेष)
होकर सूर्य कर्मेश संग तृतीय भाव मे हैं तथा राहू केतू पंचम एकादश भाव मे हैं |
मुंथा
सिंह राशि दशम भाव मे होने से राजकीय कार्यो मे सफलता,चुनावो मे विजय,कीर्ति तथा स्थान परिवर्तन,राजा से खुशी,कार्यो मे सिद्दी,यश वृद्दि तथ अनेक प्रकार के लाभ प्राप्ति के योग बन रहे हैं वही मुन्थेश
सूर्य के तीसरे भाव मे होने से पराक्रम व ऊधमों मे वृद्दि,आय
मे बढ़ोतरी,पड़ोसियो से समझौतो द्वारा आर्थिक लाभ,राजकीय पक्ष मे अनुकूलता जैसे फल मिलेंगे |
वर्षेश
शुक्र होने से स्त्री वर्ग मे असंतोष,उद्योगो मे खर्च,स्त्रीयों द्वारा अपयश मिलने,स्त्री संबंधी कार्यो
मे लाभ व परेशानी होने,सरकार द्वारा स्त्री संबंधी नए कानून
बनाए जाने जैसे हालत भी बनेंगे तथा हर क्षेत्र मे महिलाओ की भागिता बढ़ेंगी |
66वे
गणतन्त्र की कुंडली देखे तो ग्रह स्थिति भारत वर्ष को काफी अच्छे व सुखद भविष्य की
और ले जाती प्रतीत हो रही हैं | शनि (चतुर्थेश-जनताकारक
) का लग्न मे होना तथा लग्नेश मंगल का चतुर्थ भाव (शनि राशि ) मे होना (परिवर्तन
योग) जनता व सरकार का एक दूसरे पर पूर्ण भरोसा होना बता रहा हैं जिसके प्रभाव से
सरकार जनता के लिए जनता से पुछकर ही हर कार्य करेगी ऐसा दिखता हैं वही सूर्य दशमेश
पर भी शनि की दृस्टी यह भी बता रही हैं की जनता का राजा अथवा सरकार पर पूरा प्रभाव
रहेगा और ऐसा होता दिख भी रहा हैं शनि की मुंथा,मुन्थेश व
दशम भाव पर दृस्टी होने से जनता का प्रभाव हर प्रकार से अपने चुने हुये नेताओ पर
रहेगा तथा सरकार द्वारा ज़रा सी ग़लती भी जनता बर्दाश्त नहीं करेगी वही सरकार भी
जनता हेतु कुछ मामलो मे सख्त निर्णय लेगी | बुजुर्गो व निम्न
वर्ग के लोगो का मान बढ़ेगा (शनि इन सभी का प्रतिनिधित्व करता हैं )
गुरु की
लग्न पंचम व तीसरे भाव मे दृस्टी इस पूरे वर्ष भारत वर्ष पर धन,शिक्षा,व पराक्रम की निरंतर वृद्दि करती रहेगी | भारत विश्व भर मे खेल,तकनीक,संचार,रक्षा व शिक्षा के क्षेत्र मे बहुत अच्छा नाम कमाएगा जिससे भारत की नई
पहचान पूरी दुनिया मे बनेगी वही रुपये की स्थिति भी काफी मजबूत होगी तथा विश्व भर
मे भारत की पड़ोस संबंधी नीतयो का डंका बजेगा | सूर्य बुध का
तीसरे भाव मे होना सरकार का लाभ हेतु पराकर्मी होकर साहसी व जोखिम भरे निर्णय लेना
जिन पर जनता की सहमति तथा बुद्दिजीवी वर्ग का समर्थन होना निश्चित दिखता हैं |
चतुर्थ
भाव मे शुक्र (सप्तमेश) विरोधी व विपक्ष का लग्नेश मंगल संग होना विरोधियो का
सरकार द्वारा भयाक्रांत होना दर्शाता हैं व्यभिचार व घोटालो से भरा विपक्ष समय समय
पर स्त्री वर्ग द्वारा सरकार को घेरने का प्रयास करेगा जिसमे स्त्री नेता प्रमुख
रूप से असंतुष्टि के कारण सरकार अथवा राजा को घेरने का प्रयास करेगी चूंकि शुक्र
वर्ष का स्वामी हैं इनमे विपक्ष मे बैठी कोई स्त्री ज़बरदस्त भूमिका निभाएगी | पंचम केतू शिक्षा क्षेत्र मे कुछ अलग नीतियाँ बनवाएगा संभवत: विदेशी
शिक्षा का प्रभुत्व बढ़ेगा वही वक्री गुरु (पंचमेश) की दृस्टी पंचम भाव मे होने से पुरानी
शिक्षा प्रणाली की वापसी हो सकती हैं (ग्रेडिंग प्रणाली हटाई जा सकती हैं )
भाग्येश चन्द्र का छठे भाव मे होकर व्यय भाव को देखना विदेशो से भाग्यवश लाभ
प्राप्त करवाएगा तथा शीर्ष नेताओ की विदेशी यात्राये भी करवाएगा व्ययेश शुक्र
लग्नेश मंगल संग चतुर्थ भाव मे होने से विदेशी व विदेश मे बसे भारतीय भारत की भूमि
पर अपना काफी धन इत्यादि निवेश करेंगे तथा वापस भारत की और रूख करने की सोचेंगे |
नवम गुरु
धर्म व शिक्षा का प्रसार बेहतरीन रूप से भारत वर्ष मे करवाएगा परंतु गुरु के वक्री
होने से धर्म संबंधी कुछ ग़लत प्रचार व अफवाहे भी जन्म लेंगी तथा कुछ नए धार्मिक
संगठन भी जन्म लेंगे |
लाभ भाव
मे राहू का होना तथा लग्नेश बुध का दशमेश सूर्य संग तीसरे भाव मे शनि गुरु द्वारा
दृस्ट होना व्यापारी भाइयो हेतु कोई नया कानून व नीतिया सरकार से लागू करवाएगा
जिससे देश व व्यापारी वर्ग को आर्थिक लाभ होगा,शेयर बाज़ार नई ऊंचाइयो को छूएगा विदेशी आयात निर्यात समझौते मुख्य रूप से
होंगे जिनसे देश को बहुत अधिक लाभ मिलने की समभावनाए बनेंगी |
खेल जगत मे कई नए खेल व खिलाड़ियो का जन्म होगा परंतु फिल्म जगत मे
अश्लीलता बढ्ने जैसे हालात बनेंगे फिल्म जगत से जुड़ा व्यवसाय मिला जुला रहेगा किसी
बड़े अभिनेता या अभिनेत्री का कोई स्केण्डल इत्यादि भी खबर बन सकता हैं |
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