शुक्रवार, 18 अप्रैल 2014

ग्रह एवं आहार

ग्रह एवं आहार
फलित ज्योतिष मे ग्रहो कि प्रतिकूलता से बचने के लिए बहुत से उपाय बताए गए हैं जिनमे मंत्र जाप,दान,ग्रह शांति से लेकर रत्न धारण करने संबंधी उपाय प्रमुखता से बताए जाते हैं ग्रहो की प्रकृति के अनुरूप भोजन (आहार ) करना भी एक प्रकार का उपाय ही हैं जिसके प्रभाव से अशुभ ग्रह अपने अशुभ प्रभाव को छोड़कर शुभ प्रभाव देने लगते हैं | प्रस्तुत लेख मे यहाँ हम आहार द्वारा अथवा खानपान द्वारा सभी नौ ग्रहो के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने का उपाय बता रहे हैं |

सूर्य ग्रह हमारे शरीर मे आरोग्यता,आत्मा,आत्मविश्वास,आँखें व हड्डियों का कारक होता हैं | कुंडली मे सूर्य प्रथम,नवम व दशम भाव का कारक माना जाता हैं सूर्य गुलाबी व सुनहरा रंग लिए हुये अग्नि के रूप मे कटु रस लिए हुये हैं | जिसकी शुभता के लिए गेहूं,दलिया,आम,गुड,केसर,तेजपत्ता,खुमानी,खजूर,छुहारा,किशमिश तथा घी आदि का सेवन करना चाहिए |

चन्द्र ग्रह सफ़ेद रंग का ये ग्रह हमारे शरीर मे हमारे मन व जल का प्रतिनिधित्व करता हैं कुंडली मे चतुर्थ भाव का कारक होता हैं इसकी अनुकूलता के लिए सभी प्रकार के दूध व दूग्ध पदार्थ,चावल,सफ़ेद तिल,अखरोट,मिश्री आइसक्रीम,दही,मिठाईया आदि का प्रयोग अधिक से अधिक करना चाहिए |

मंगल लाल रंग का यह ग्रह अग्नि तत्व तथा तीखे व चटपटे रस का स्वामी हैं जो शरीर मे ऊर्जा,रक्त,पराक्रम एवं उत्साह प्रदान करता है इसे कुंडली के तीसरे व छठे भाव का कारक माना गया हैं इसकी अनुकूलता के लिए मसूर की दाल,अनार,गाजर,चौलाई,चुकंदर,टमाटर  चाय,गुड,अनार,कॉफी,लाल सरसो आदि का प्रयोग करना चाहिए |

बुध हरे रंग का यह ग्रह पृथ्वी तत्व व मिश्रित रस प्रधान हैं यह हमारी बुद्धि का प्रतीक होने से हमे बुद्धिमत्ता प्रदान करता हैं कुंडली मे इसे चतुर्थ व दशम भाव का कारक माना गया हैं इसकी अनुकूलता के लिए इलायची,हरी मूंग की दाल,बथुआ,लौकी,हरा पेठा,मेथी,मटर,मोठ,अमरूद,हरी सब्जिया आदि का सेवन करना चाहिए |

गुरु पीले रंग का यह ग्रह आकाश तत्व व मीठे रस का कारक हैं जो हमारे शरीर मे गुर्दो व लीवर का प्रतिनिधित्व करता हैं कुंडली मे इसे दूसरे,पांचवे,नवे,तथा एकादश भाव भाव का कारक माना जाता हैं | इस ग्रह की अनुकूलता के लिए पपीता,मेथी दाना,शकरकंद,अदरक,चना,चने की दाल,सीताफल,संतरा,बेसन,मक्का,हल्दी,केला,सेंधा नमक तथा पीले फलो का सेवन करना चाहिए |

शुक्र सफ़ेद रंग का यह ग्रह जल तत्व खट्टा रस तथा सुगंधप्रिय होने से हमारे शरीर मे काम जीवन का नियंत्रण करता हैं यह कुंडली मे सप्तम भाव का कारक माना गया हैं इसकी अनुकूलता के लिए खीर,त्रिफला,कमलगट्टे,मुली,मखाने दालचीनी,भीगे बादाम,सफ़ेद मिर्च,सिंघाड़ा,अचार व खट्टे फल का सेवन करना चाहिए |

शनि काले व नीले रंग का यह ग्रह वायु तत्व व कसैले रस का अधिपति हैं जो हमारे शरीर मे कमर,पैर व स्नायु मण्डल का प्रतिनिधित्व करता हैं कुंडली मे इसे छठे,आठवे व बारहवे भाव का कारक माना जाता हैं | इसकी अनुकूलता के लिए काली उड़द,कुलथी,सरसों या तिल का तेल,काली मिर्च,जामुन,मंडवे का आटा,काले अंगूर,मुनक्का,गुलकंद,अलसी,लौंग,काले नमक आदि का सेवन करना चाहिए |

राहू की अनुकूलता के लिए शनि ग्रह की तथा केतु की अनुकूलता के लिए मंगल ग्रह की वस्तुओ का ही खानपान करना चाहिए |


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