शनिवार, 26 मार्च 2011

जीत का ताज

यह कविता भारत की सेमी फाईनल में जीत के बाद हमें हमारे मित्र विश्वनाथ ने भेजी |

खुश है सारे सर पर  रखकर जीत का ताज
खेलें समझ बूझ कर सचिन रैना युवराज

खून बहा "ली" का, धराशायी हुआ पंटर  
बना जब पंजाबी पुत्तर  युवी मोटेरा का हंटर

सोच  समझ कर शक्ति जब यौवन से मिलती है
जीत उसी के सर लगती  मुस्कान वहीँ सजती है

जैसे खाने के बाद प्रतीक्षा होता आये  मैसूर पाक
भिड़ेंगे  पडोसी विश्व कप  में  मैच होगा  भारत पाक

चलेगी बल्ले का धार ,बाल बन निकले गोली
जीत जिसकी होगी वो मनायेगा  दूजी होली

--विश्वानि, २५  मार्च २०११

1 टिप्पणी:

राज भाटिय़ा ने कहा…

मेरा भारत जीते पाकिस्तान से तो इस मेच की खुशी फ़ाईनल से ज्यादा हो जायेगी, फ़ाईनेल बाद की बात हे, बहुत सुंदर कविता, धन्यवाद