गुरुवार, 30 जुलाई 2009

हनुमान भी थे ज्योतिषी

हनुमान जी रामभक्त ,बलवान ,बुधिवान ,विद्यावान सिध्धिवान तो है ही परन्तु बहुत कम लोग ही जानते हैं की वह एक प्रकांड ज्योतिषी भी they ज्योतिष का ज्ञान उन्हें स्वयं भगवान् सूर्य ने अन्य शिक्षाओ के साथ दिया था भगवान् सूर्य स्वयं भी ज्योतिष शिक्षा को सर्वश्रेष्ठ शिक्षाओ में से एक मानते थे
रामायण के एक प्रसंग में जब श्रीराम रिस्मुक पर्वत पर पहुच हनुमान जी से उन्हें सूर्य देव से प्राप्त शिक्षाओ के विषय में पूछते हैं तो हनुमान जी उन्हें बताते हैं की" मैं समस्त वेदों व शास्त्रों को विधिवत
जानताहूँ परन्तु इनमे से ज्योतिष शास्त्र सर्वथा सर्वफल दायक हैं आप ही कहे मैं किस शास्त्र पर आपको अपना ज्ञान बताऊ"
हनुमान जी इस उत्तर पर श्रीराम उन्हें ज्योतिष विषय पर ही प्रकाश डालने को कहते हैं की "हे हनुमान अन्य सभी केवल वाद विवाद को ही जन्म देते हैं जबकि भविष्य के अर्थ का भान तो ज्योतिष ही दे सकता हैं अतः तुम मुझे उसी पर अपना ज्ञान बताओ"
"अन्यत्र शास्त्रं विवादाय पदार्थानाम विकाधिकम
भाविश्यदाथिद्हाय जयोति शास्त्रं वधादुना"
श्री राम के कहने हनुमान जी ने ज्योतिष की जिस शाखा को बताया कालांतर में उसे ही हनुमान ज्योतिष व महावीर प्रश्नावली के नाम से जाना जाता हैं अनेको ग्रंथो में इस ज्योतिष विद्या को हनुमान द्वारा अन्य विद्वानों को भी दिए जाने का उल्लेख मिलता हैं
हनुमान ज्योतिष मूलत प्रशन ज्योतिष जैसा ही हैं जिसमे विभिन्न चक्रो के आधार पर प्रशनो के उत्तर बताये गए हैं पूछे गए सभी प्रशनो के उत्तर चक्रो में दिए गए हैं जिनमे लगभग सभी विषयो में अपने प्रशनो के उत्तरों को जाना जा सकता हैं
हनुमान ज्योतिष के अर्न्तगत चक्रो की संख्या ४० हैं जिनमे से प्रत्येक चक्र में राम, लक्ष्मण, हनुमान, विभीषण, नल, नील, दुर्वासा, सुग्रीव, महादेव, गणेश, कामदेव, जनक, नारद, औगुस्त्य, गरुड़, वशिस्थ, गोरखनाथ आदि नामो में से किन्ही दस के नाम होते हैं प्रशन विशेष हेतु चक्र विशेष के आगे अंक विशेष के आधार पर प्रशनकर्ता अपना फलित उत्तर ज्ञात करता हैं सभी नामो के फलित की सूचि अलग दी हुई होती हैं
इस ज्योतिष में ४० सूत्र संस्कृत में लिखे हुए हैं ये सूत्र परीक्षाओं से सबंधित हैं इन्ही सूत्रों में निबद्ध चक्रो से जातक अपने फलित उत्तरों को ज्ञात करते हैं
पहला सूत्र गमन परीक्षाओं सम्बंधित हैं जिससे कब कहाँ जाना चाहिए इस विषय में पता चलता हैं
दूसरा चक्र आगमन परीक्षाओं से सम्बंधित हैं जिससे घर से गए व्यक्ति के आने के विषय में पता चलता हैं
तीसरा चक्र कृषि कर्म परीक्षाओं से ,
चौथा व्यापार परीक्षाओं से ,
पांचवा गंगा प्राप्ति से,
छठा मृत्यु चिंता से,
सातवा देव सेवा से,
आठवा सहायता से,
नवा वास निरूपण से,
दसवा मंत्री से ,
ग्यारवा धन चिंता से,
बारहवा मन : काम से,
तेरहवा रोग से ,
चौदहवा धन आगम से ,
पन्द्रवा वाद से ,
सोलहवा विवाद से,
सतरहवा विवाह से ,
अठारवा युद्घ से,
१९वा मिलन से,
२०वा याचना से
२१वा प्राप्ति से
२२वा पीछा पड़ने से
२३वा ग्राहक से
२४वा द्रव्य से
२५वा दंड से
२६वा भीती(भय)से
२७वा गर्भ से
२८वा चिंता से
२९वा बंधन से
३०वा विशवास से
३१वा विद्या से
३२वा दूत से
३३वा पित्र से
३४वा राज्य से
३५वा संतान से
३६वा संचय से
३७वा संतान कष्ट से
३८वा विक्रय से
३९वा पटाने से
४०वा कुशल परीक्षा से
वस्तुत हनुमान ज्योतिष के इन चक्रो से सभी प्रशनो के उत्तर जाने जा सकते हैं जिन्हें फलित के आधार पर उपयोग में लाया जा सकता हैं यह अपेक्षाकृत सरल परन्तु गूढ़ विज्ञानं हैं जिससे भारतीय ज्योतिष हनुमान जी का सदा आभारी रहेगा

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