गुरुवार, 19 अगस्त 2021

लाल किताब - कुंडली व ग्रह

 लाल किताब - कुंडली व ग्रह

1)अंधा टेवा - जब दसवें भाव में दो या अधिक शत्रु ग्रह बैठ जाए तो टेवा अंधा देवा कहलाता है,जैसे बुध गुरु अथवा शुक्र मंगल राहु दसवें भाव में हो तो यह देवा अंधा टेवा होगा |

उपाय के तौर पर 10 अंधों को हर वर्ष भोजन कराएं |

2)रतांध ग्रह -  सूर्य चौथे भाव में हो तथा शनि सातवें भाव में हो तो ऐसे में शनि को सोया हुआ माना जाता है |

लग्न खाली होता है इसके लिए मिट्टी के लोटे में शहद जमीन में दबाए |

यदि शनि जागा हुआ हो (लग्न मे ग्रह होतो)  तो बांसुरी में देसी खांड जमीन में दबाए |

3)धर्मी ग्रह - चौथे भाव में राहु केतु ,ग्यारहवें भाव में शनि, गुरु शनि (5 9 11 12) भाव में हो तो टेवा धर्मी ग्रह का टेवा कहलाता हैं |

4)टकराव के ग्रह 1/8 में बैठे हुए ग्रह अशुभ फल देते हैं |

5)बुनियादी ग्रह - 1/5 भाव में ग्रह बैठे हो तो शुभ फल प्रदान करते हैं |

6)मुकाबले का ग्रह - दो मित्र के संग शत्रु ग्रह (एक चाहे दोनों का ) बैठ जाए तो मुकाबले का ग्रह बन जाता है जैसे सप्तम भाव में शुक्र बुध संसूर्य  हो तो पत्नी बीमार रहती है |

7)साथी ग्रह -  अपने-अपने घर पर राशि बदलकर बैठे हुए ग्रह को कहा जाता है |

8)चौथे भाव में जो ग्रह होंगे वह चंद्र समान तासिर देंगे चंद्र शुभ तो शुभ अशुभ तो अशुभ परंतु असर शनि जहां होगा उस भाव का होगा जैसे चौथे भाव में शुक्र,2रे भाव मे चन्द्र हो या आ जाये तो शुभ परंतु यदि चन्द्र 6ठे भाव मे होतो अशुभ होगा |

इसी प्रकार ग्यारहवें भाव में जो ग्रह होगा वह भी शनि जैसा माना जाएगा असर गुरु वाले घर पर होगा  |

9)वर्षफल में दूसरे भाव में आया ग्रह भाग्य जगाता है परंतु दसवें भाव खाली नहीं होना चाहिए ,यदि दूसरे, दसवें भाव में ग्रह हो और शत्रु ना हो तो शुभ फल मिलेंगे |

इसी प्रकार 8वे भाव का ग्रह वर्षफल में दूसरे भाव में आए और 8वा भाव खाली हो तो शुभ फल प्राप्त होते हैं|

कोई टिप्पणी नहीं: