मेड फॉर ईच अदर....1
हमारे भारतीय समाज मे
स्त्री-पुरुष के काम संबंधी जीवन को भ्रस्ट व व्यभिचार से बचाने के लिए
विवाह जैसा एक बंधन बनाया गया हैं जिसे विवाह संस्कार के रूप मे देखा जाता हैं किसी भी
स्त्री व पुरुष को अपनी यौन आवश्यकताओ की पूर्ति हेतु विवाह बंधन मे बंधना ही
पड़ता हैं हमारे यहाँ यह भी माना जाता है की विवाह जैसा संबंध ऊपर स्वर्ग मे ही तय हुआ
होता हैं जिसकी संप्रीति हम आप नीचे इस धरती पर करते हैं जिसके अनुसार यह
माना जाता हैं की किस स्त्री व पुरुष का विवाह किस-किस स्त्री पुरुष से होगा
अथवा कौन किसका जीवन साथी बनेगा यह पहले से ही ईश्वर के द्वारा हमारे पिछले जन्मो
के कर्मो से तय किया गया होता हैं धरती पर इंसान केवल उसकी पूर्ति करने के लिए ही जन्म
लेते हैं तथा उसके अनुसार ही अपने वैवाहिक जीवन के संबंधो व कर्मो को भोगता हैं |
हमारे भारतीय ज्योतिष शास्त्रो मे
ऐसे कई सूत्रो व उदाहरणो का उल्लेख हैं जो यह बताते व दर्शाते हैं की जातक-जातिका
विशेष के पत्नी-पति किस प्रकार के,कैसे व कहाँ के होंगे,जातक
जातिका का वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा | जिससे अनुमानित रूप से काफी
हद तक पहले से ही ज्ञात हो जाता हैं की अमुक जातक का विवाह किस प्रकार,किससे व कैसे हो सकता हैं |
अपने इस प्रस्तुत लेख मे
हम ऐसे ही कुछ उदाहरणो का उल्लेख करेंगे जिनसे विवाह होने से पहले व बाद मे यह
स्पष्ट हुआ हैं की पति पत्नी किस प्रकार से एक दूसरे के पूरक साबित हुये हैं और
उन्होने यह साबित किया की जोड़िया अथवा विवाह स्वर्ग मे ही तय हुआ होता हैं तथा वह सच मे ही “मेड फॉर ईच अदर” हैं अपने इस प्रयास
मे हमने लगभग 50 ऐसी कुण्डलिया ली हैं जिनका विवाह हुये 10 वर्ष
या उससे अधिक हो गए हैं |
आइए अब कुछ उदाहरण
देखते हैं |
1)प्रस्तुत पत्रिका
की जातिका का जन्म 30/11/1977 को 22:30 बजे पौड़ी गढ़वाल मे हुआ था जातिका का कर्क लग्न हैं
जिसमे सप्तमेश शनि दूसरे भाव मे हैं जो जातिका जहां रहती हैं वही विवाह होना बताता हैं शनि
सूर्य की राशि मे हैं जो पंचम भाव मे हैं विवाह कारक शुक्र भी पंचम भाव मे ही हैं जिससे ज्ञात
होता हैं की जातिका के पति का पंचम भाव (शिक्षा,बच्चो) आदि से संबंध हो सकता
हैं (जातिका का पति शिक्षक
हैं जो गणित विषय के साथ वर्तमान मे ज्योतिष भी पढ़ाता हैं ) सप्तम भाव पर
मंगल व चन्द्र का प्रभाव हैं जिससे जातिका के पति के तुनकमिजाज व गुस्सैल
होने की पुष्टि होती हैं (जातिका का पति ऐसा
ही हैं )
प्रस्तुत पत्रिका जातिका के पति की
हैं जिसका जन्म 8/2/1971 3:20 देहरादून मे हुआ था वृश्चिक लग्न की इस पत्रिका
मे सप्तमेश शुक्र दूसरे भाव मे ही हैं जो पूर्व की भांति एक ही स्थान मे विवाह
होना बताता हैं शुक्र गुरु की राशि मे हैं जो पंचमेश हैं और जिसकी दृस्टी पंचम
भाव मे भी हैं जो जातक की पत्नी का शिक्षा व बच्चो से संबंध बताता हैं (पत्नी
शिक्षिका रही हैं ) सप्तम भाव मे मंगल व गुरु का प्रभाव हैं जो जातक की पत्नी का
गुस्सैल व विदुषी होना बताता हैं (जातक की पत्नी ऐसी ही हैं )
विवाह से पहले यह दोनों
एक दूसरे को जानते तक नहीं थे इन दोनों का विवाह 22/6/2003 को पारिवारिक सहमति से हुआ
था जिसे अब 12 वर्ष से अधिक हो गए हैं इनकी दो संताने एक पुत्र व एक पुत्री हैं इनके वैवाहिक
जीवन मे किसी भी प्रकार की कोई बाधा अथवा परेशानी नहीं हैं |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें