कारको भाव नाशाय
ज्योतिष मे ऐसे कई सूत्र हैं जो जातक विशेष को ज्योतिषी द्वारा संतुष्ट
नहीं कर पाते हैं ऐसा ही एक सूत्र भावार्थ रत्नाकर मे दिया गया हैं जिसमे कहा गया
हैं की “ कारक ग्रह यदि अपने भाव मे होतो वह अपने फलो की हानी करता हैं ” जबकि समान्यत: यह माना जाता हैं की अपने भाव मे बैठा ग्रह अपने सभी फलो
को प्रदान कर जातक विशेष को शुभता देता हैं |
सूर्य को पिता,आत्मा,सरकार व ऊंच सफलता का प्रतीक माना गया हैं तथा कारकत्व के रूप जिसे लग्न व
नवम भाव के कारकत्व दिये गए हैं | इस सूत्र के अनुसार यदि
सूर्य नवम मे होगा तो जातक के पिता की आयु कम होगी अथवा जातक को पित्र सुख कम
प्राप्त होगा |
यह सूत्र मुग़ल सम्राट औरंगजेब (कुंडली संख्या 1) की पत्रिका मे सही साबित
होता हैं जो अपने पिता का आजीवन शत्रु रहा उसकी पत्रिका मे सूर्य नवम भाव मे ही
हैं परंतु यह सूर्य अपनी नीच राशि मे होने से उसके पिता की आयु काफी रही अत: यह
कहा जा सकता हैं की निम्न सूत्र पूर्ण रूप से लागू नहीं हो रहा हैं |
6/4/1974 12:56 कर्क लग्न में जन्मे इस जातक के माता पिता दोनों
जीवित हैं तथा इसके उनसे संबंध भी अच्छे हैं जबकि नवम भाव में पिता सूर्य का अकेले
कारक बनकर स्थित है |
12/9/1993 13:41 दिल्ली में जन्मी धनु लग्न में जन्मे जाति का के
पिता से संबंध तनावपूर्ण है जबकि सूर्य नवम भाव में स्वराशि का होकर स्थित है |
चन्द्र को मन,माता,भूमि,मित्र,मकान सुख व चतुर्थ भाव का कारकत्व दिया गया हैं सूत्र अनुसार जिस जातक का चन्द्र चतुर्थ भाव मे होगा उस जातक की माँ की आयु कम होगी |
प्रस्तुत दूसरी कुंडली मे जातक की माँ हमेशा बीमार रहती थी,माँ को इस जातक के प्रति लगाव भी नहीं था जातक से उनके संबंध भी ज़्यादा अच्छे नहीं थे तथा उनकी आयु भी कम ही रही इन सबके अतिरिक्त जातक का आजीवन अपना मकान नहीं बन सका जिस कारण सुखो मे कमी भी रही | इसी प्रकार 27/5/1967 14:45 लखनऊ मे जन्मे इस जातक की पत्रिका मे चतुर्थ भाव मे चन्द्र,मंगल,शुक्र शनि व राहु से दृस्ट हैं जातक की माता अब तक जीवित हैं |
मंगल को तीसरे भाव का कारकत्व दिया गया हैं जो जातक के साहस,पुरुषार्थ व भाई इत्यादि हेतु देखा जाता हैं अब यदि मंगल इसी भाव मे होतो जातक का भाई ज़्यादा समय तक जीवित नहीं रहता अथवा होता ही नहीं हैं प्रस्तुत कुंडली संख्या 3 मे ऐसा ही पाया गया जातक का छोटा भाई जल्द ही गुजर गया था जबकि जवाहर लाल नेहरू जी की पत्रिका मे मंगल तीसरे भाव मे होने से उनका छोटा भाई नहीं था | एक अन्य पत्रिका 14/9/1938 23:36 झाँसी मे मंगल तृतीयेश सूर्य संग तीसरे भाव मे हैं जिसपर सप्तमेश वक्री गुरु की दृस्टी हैं जातक के दो छोटे भाई हैं |
14/11/1889 23:03 इलाहाबाद जवाहरलाल नेहरु की पत्रिका में तीसरे भाव में
मंगल होने के कारण इनका कोई छोटा भाई नहीं था |
14/1/1988 00:31 बजे वाशिंगटन में जन्मे इस जातक की पत्रिका में भी
तीसरे भाव में मंगल है परंतु 1990 में इसका छोटा भाई हुआ कारक ने यहां फलों का नाश
नहीं किया है |
जब गुरु ग्रह 2 अथवा 5 भावो मे होता हैं जो धन,संतान व बुद्दि से संबन्धित भाव होते हैं तो इन भावो के कारकत्वों की हानी करता हैं प्रस्तुत कुंडली संख्या 4 के जातक की कोई संतान नहीं थी तथा नवम भाव मे ऊंच के सूर्य होने के बावजूद पिता अधिक समय तक जीवित नहीं रहा था | एक अन्य पत्रिका मे हमने पाया की जातक के पंचम भाव मे ऊंच का गुरु होने के बावजूद जातक का पुत्र जीवित नहीं बचा था उसकी 3 कन्या संताने जीवित रही थी जबकि राहू दशा मे पुत्र हुआ था परंतु कुछ ही समय बाद गुजर गया था |
27/10/1926 3:30 पर लॉस एंजेलिस में कन्या लग्न में जन्मे राष्ट्रपति निक्सन के मुख्य
अधिकारी की पत्रिका में पंचम भाव में गुरु होने पर भी उन्हें दो बेटे और दो बेटियों
का सुख प्राप्त हुआ पंचमस्थ गुरु ने नीच होकर भी अपने कारक भाव
की हानि नहीं करी |
शुक्र को कलत्र व वाहन का कारकत्व प्रदान किया गया हैं अर्थात जब शुक्र चतुर्थ व सप्तम भाव मे होगा तो इन भावो से संबन्धित फलो मे हानी करेगा चन्द्र चतुर्थ भाव ( कुंडली संख्या 2 ) वाले जातक की पत्रिका मे शुक्र भी चौथे भाव मे ही हैं जातक के पास कोई भी वाहन नहीं था |
प्रस्तुत कुंडली संख्या 5 श्री चैतन्य जी की इस पत्रिका मे मे जातक की पहली पत्नी गुजर गयी थी तथा जातक ने धर्म मार्ग के चलते इन्होने घर व अपनी दूसरी पत्नी को स्वयं छोड़ दिया था सूत्र के अनुसार शुक्र सप्तम भाव मे होने से जातक की पत्नी की आयु कम होती हैं तथा पत्नी से जातक के संबंध उसके स्वास्थ्य (मासिक धर्म की परेशानी ) के चलते ठीक नहीं होते वैवाहिक जीवन असामान्य होता हैं यह सभी बातें इस पत्रिका मे स्पष्ट पायी जा रही हैं |
ऐसा ही प्रभाव राजकुमारी डायना (1/7/1961 17:00 लंदन ) की पत्रिका का भी हैं उनके सप्तम भाव मे शुक्र होने से उन्हे वैवाहिक सुखो मे कमी ही रही,तलाक हुआ तथा कई अन्य पुरुषो से संबंध भी बने |
11/12/1966 18:30 अजमेर राजस्थान में मिथुन लग्न में जन्मे इस जातक
की पत्रिका में शुक्र सप्तम भाव में है जिस कारण इसका पत्नी से हमेशा तनाव रहता है
तथा इसके दो पुत्र और एक पुत्री है और आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है |
4/8/1932 16:00 मध्य प्रदेश खंडवा में जन्मे धनु लग्न के किशोर कुमार के सप्तम भाव
में शुक्र होने के कारण इन्होंने चार विवाह किए जबकि कारक शुक्र यहां अपनी मित्र की राशि में बैठा है |
परंतु शनि इस सूत्र का अपवाद दर्शाते हैं शनि को अष्टम भाव का कारकत्व प्रदान किया गया हैं जो आयु का भाव होता हैं इस भाव मे बैठे शनि जातक को बहुत बड़ी आयु प्रदान करते हैं साधारणत: ऐसे जातक की आयु 80 वर्ष के आस पास पायी जाती हैं |
प्रस्तुत पत्रिका कुंडली संख्या 6 का स्वामी भी 89 वर्ष तक जीवित रहा |
18/9/1929 21:50 इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर की पत्रिका में शनि
अष्टम भाव में है परंतु इनकी आयु बहुत अच्छी रही है जिससे शनि ने कारक भाव का नाश नहीं
किया है |
28/12/1952 मीन लग्न में जन्मे अरुण जेटली की पत्रिका में
शनि सप्तम भाव में है इनकी आयु भी सब जानते ही हैं |
पूर्व राष्ट्रपति
गुलजारी लाल नंदा 4/7/1818 मेष लग्न
|
पूर्व
प्रधानमंत्री चंद्रशेखर 17/01/1927 मेष लग्न
|
पूर्व प्रधान
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 11/12/1935 कर्क लग्न |
पी चिदंबरम
16/9/1945 वृश्चिक लग्न इन सब
की पत्रिका में शनि अष्टम भाव में है और इनकी आयु के विषय में सब जानते ही हैं |
इन सभी पत्रिकाओ मे शनि को छोड़कर सभी ग्रहो के लिए यह कारको भाव नाशाय वाला सूत्र सही साबित होता प्रतीत होता हैं परंतु ऐसी भी कई पत्रिकाए हैं जिनमे यह सूत्र बिलकुल सही साबित नहीं होता हैं कई पत्रिकाओ का अध्ययन करने के बाद यह पाया गया की कारक यदि नीच,निर्बल अथवा शत्रु प्रभाव मे होतो वह अपने कारक भाव के शुभफल प्रदान करता हैं | लाल बहादुर शास्त्री की पत्रिका मे वक्री गुरु पंचम भाव शुक्र से दृस्ट हैं सभी जानते हैं की उनके दो पुत्र थे यहाँ प्रस्तुत एक अन्य पत्रिका कुंडली संख्या 7 इसका एक अनुपम उदाहरण हैं प्रस्तुत जातक विदेश से डिग्री प्राप्त लेक्चरार हैं जिसके 3 पुत्र हैं इनकी पत्रिका मे नीच का गुरु पंचम भाव वक्री अवस्था मे हैं | ऐसा ही इस 8 संख्या वाली पत्रिका मे शुक्र के लिए पाया गया प्रस्तुत पत्रिका के जातक की पत्नी सुंदर अच्छी व दीर्घायु रही हैं जबकि शुक्र सप्तम भाव मे सूर्य व राहू संग हैं एक अन्य स्त्री (5/5/1963 16:40 भटिंडा ) जिसके सप्तम भाव मे ऊंच शुक्र गुरु संग हैं तथा शनि व चन्द्र से दृस्ट हैं आज तक सुखमय वैवाहिक जीवन जी रही हैं | भावार्थ रत्नाकर मे यह भी कहा गया हैं की यदि कारक की कारक स्थान के स्वामी से युति होतो बहुत शुभ फल प्राप्त होते हैं अर्थात यदि सूर्य की नवमेश से युति होतो जातक के पिता की आयु बढ़ जाती हैं ऐसा हमने सही पाया भी हैं |
कई अन्य कुंडलियों को देखने पर यह भी पाया गया की कारक ग्रह यदि अपने कारक भाव मे हो परंतु पाप ग्रह के नक्षत्र मे हो तो उस पाप ग्रह के नक्षत्र मे जो अन्य ग्रह रहे हैं उन्होने भी कारक ग्रह की दशा मे अपना शुभाशुभ प्रभाव दर्शाया हैं जैसे मंगल जब तीसरे भाव मे पाप
ग्रह के नक्षत्र मे
था और मंगल के नक्षत्रो मे अन्य ग्रह थे उन्होने मंगल दशा मे अपनी अपनी अंतर्दशा मे जातक को भाई बहनो से
संबन्धित हानी ही पहुंचाई थी इसी प्रकार पंचम भाव मे गुरु के तथा सप्तम भाव मे
शुक्र के होने पर जातक विशेषो को संतान व पत्नी संबन्धित कष्ट कारक ग्रहो की दशा
मे ही प्राप्त हुए
थे |
अत: यह सपष्ट हैं विभिन्न ज्योतिष ग्रंथो पर आधारित सूत्र “कारको भाव
नाशाय” पूर्णतया सत्य नहीं हैं | कारक अपने भाव का कुछ हद तक नाश तो करता हैं परंतु यदि कारक नीच,वक्री,कारक स्वामी संग अथवा शत्रु प्रभाव मे होतो
शुभता भी देता हैं साथ साथ कारक ग्रहो के नक्षत्रो मे स्थित ग्रहो का भी प्रभाव भी
कारक ग्रह के फल प्रदान
करने मे अवश्य रहता हैं |
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धन्यवाद श्रीमान
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