सोमवार, 4 अप्रैल 2011

नौ देवी एवं नक्षत्र


आप सभी को  नवरात्रों की शुभकामनाये - हमें कौन सी देवी की पूजा करनी चाहिए यह सवाल  अक्सर पूंछा  जाता  हैं प्रस्तुत  लेख  में  हमने इस सवाल  का जवाब  देने की कोशिश की  हैं | आप जिस नक्षत्र में  पैदा हुये हैं उसी  के अनुसार  आप देवी की पूजा एवं अर्चना कर  सकते  हैं |

१) यदि  आपका  जन्म  अश्विनी, माघ, व  मूल  नक्षत्र का है ( जिनका स्वामी   केतु  ग्रह  है) तो आपको  "शैलपुत्री" देवी की पूजा करनी चाहिए  तथा  अपामार्ग  की जड़  धारण  करनी चाहिए |

२) भरनी,पूर्वाफाल्गुनी,पूर्वाषाढ़ ( नक्षत्र स्वामी शुक्र)  वालो को  "ब्रह्मचारिणी " देवी की पूजा करनी चाहिए तथा  अगस्थ  मूल  धारण करनी चाहिए |

३) कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ (नक्षत्र स्वामी  सूर्य) वालो को  "सिद्दिधात्री" देवी की पूजा करनी चाहिए  तथा  बिल्वमूल  धारण  करनी चाहिए |

4) रोहिणी, हस्त, श्रवण (नक्षत्र स्वामी चंद्र) वालो को "चंद्रघंटा" देवी की पूजा करनी चाहिए  तथा  सफ़ेद  चंदन मूल  धारण  करनी चाहिए |

5) मृगसिरा, चित्रा, धनिष्ठा ( नक्षत्र स्वामी मंगल)  वालो को "कुष्मांडा" देवी  की पूजा करनी चाहिए  तथा  जयंती मूल  धारण  करनी चाहिए |

6) आद्रा, स्वाति, शतभिषा  (नक्षत्र स्वामी राहू ) वालो को "कात्यायिनी" देवी की पूजा करनी चाहिए  तथा  काले  वस्त्र  दान करने  चाहिए |

7) पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद (नक्षत्र स्वामी  गुरु) वालो  "स्कंदमाता" देवी की पूजा करनी चाहिए  तथा  केले  के  पेड़ की मूल धारण करनी चाहिए|

8) पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद (नक्षत्र स्वामी शनि) वालो  को "कालरात्रि" देवी की पूजा करनी चाहिए  तथा  विच्छोल  मूल धारण करनी चाहिए |

9) रेवती, अश्लेशा, ज्येष्ठा (नक्षत्र स्वामी बुध) वालो को  "महागौरी" देवी की पूजा करनी चाहिए तथा  कलोल मूल धारण करनी चाहिए  |

1 टिप्पणी:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर!
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नवरात्र के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री को प्रणाम करता हूँ!
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नवसम्वतसर सभी का, करे अमंगल दूर।
देश-वेश परिवेश में, खुशियाँ हों भरपूर।।

बाधाएँ सब दूर हों, हो आपस में मेल।
मन के उपवन में सदा, बढ़े प्रेम की बेल।।

एक मंच पर बैठकर, करें विचार-विमर्श।
अपने प्यारे देश का, हो प्रतिपल उत्कर्ष।।

मर्यादा के साथ में, खूब मनाएँ हर्ष।
बालक-वृद्ध-जवान को, मंगलमय हो वर्ष।।