शनिवार, 9 अगस्त 2025

वास्तु संबंधी कहावते

 

वास्तु का प्रचलन हमारे देश में दीर्घ काल से चला आ रहा है । लोक अंचल अथवा ग्रामीण क्षेत्रो में इस वास्तु से संबन्धित कई कहावतें प्रचलित हैं, ताकि जन-सामान्य भी उन वास्तु तथ्यों से परिचित हो सके जो हमारे भावी जीवन पर व्यापक प्रभाव डालते हैं यहाँ प्रस्तुत इस लेख मे उन्हीं में से कुछ कहावतें दी जा रही हैं |

1)जाके उत्तर धोबी सोवे ।

ताहि भवन को मालिक रोवे ।

अर्थात् जिस घर के उत्तर की ओर धोबी रहता अथवा सोता हो, उस भवन के स्वामी को कोई न कोई समस्याएं आती ही रहती हैं ।

2)जाकै पूरब पीपल होवे ।

सो लक्ष्मी पर लक्ष्मी खोवे ।

अर्थात् जिस घर के पूर्व में पीपल होता है, उसे लगातार आर्थिक हानि उठानी पड़ती है ।

3)जेहिं मुंडे पर अशोक वृक्ष बासा ।

शोक रहत उई भवत सुवासा ।।

अर्थात जिस भूमि पर अशोक का वृक्ष होता है, वहां का भवन उत्तम सुखदायक होता है, यानि घर की सीमा में अशोक के पेड़ का होना परम सुखदायक है ।

4)सिंह मुखी जो रहने जावै ।

तन, धन आपन सकल गंवावै ||

अर्थात आगे से चौड़े और पीछे से संकरे अर्थात सिंह मुखी भवन में रहने वाले के शारीरिक स्वास्थ्य एवं धन दोनों की हानि होती है ।

5)बड़ों दुआर भावै ।

आफत बुलावै ।।

अर्थात जो व्यक्ति घर में बड़ा दरवाजा (मुख्य द्वार) लगवाता है, वहां नाना प्रकार की समस्याएं आती हैं ।

6)बीचै कूप न आवै धूप ।

हौवे रंक रहेंगे भूप । ।

अर्थात जिस भवन के बीचों - बीच कुआं हो तथा जिस भवन में धूप न आती हो,वहां के रहने वाले वासी दरिद्रता को प्राप्त करते हैं |

7)ईशान पूजा नैरित भारी, अमिनी अगन जटावै ।

वायु खुल्ला, नाभी खुली, उहि घर राम रखावै ।।

अर्थात जिस घर में ईशान में पूजा होती हो, नैर्ऋत्य क्षेत्र भारी हो, आग्नेय कोण में अग्नि जलती हो, वायु कोण खुला हो तथा जिसका ब्रह्म स्थान (नाभि क्षेत्र) खाली हो, उस भवन के वासियों पर ईश्वर की कृपादृष्टि बनी रहती है ।

8)जिस भवना में गौअन रैवें ।

उनकी नाव मुरारी खेवें ।।

अर्थात जिस भवन में गायों का वास होता है, वहां कृष्ण भगवान की कृपा बनी रहती है ।

9)गर्दभ लौटे, शूकर जन्ने नर को बध हो जाय ।

बिन सुद्धि तापर रहे, उकै वैई वा जाय ।।

अर्थात जिस भूमि पर गधा लोट लगावे, सुअरी जने तथा जहां किसी की हत्या हो जाये, उस जमीन पर रहने वालों को वहां बिना शुद्धि कराये नहीं रहना चाहिए अन्यथा वहां के निवासियों का शनैः शनैः नाश हो जाता है ।

10)जो पहिले घर-देव खिचावै ।

उहि घर को बहि दैव रखावै ।।

अर्थात जिस घर में पहले वास्तु देवता को आहार दिया जाता हो और बाद में घर के अन्य लोग भोजन करते हो वहां के निवासियों को वही देव सुख, शांति, समृद्धि देता है।

11)नाभि में खंटा ।

मरि जाय सूंठा ।।

अर्थात जिस भवन के केंद्र में खंभा होता है उसके निवासी संतान से परम कष्ट पाते हैं अर्थात मरते समय भी उन्हें संतान का सुख नहीं होता है ।

12)डसना ऊपर अगर जटावै ।

घर को बूढ़ो सुख नहीं पावै ।।

अर्थात जिस घर में ईशान्य कोण पर अग्नि दहन होता हो (रसोई घर होता है) वहां का मुखिया कभी भी सुखी नहीं रहता है ।

13)नेरित गड्ढा इसना भारी ।

वाको का कर पाय मुरारी ।

अर्थात जिस भवन के नैर्ऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम कोण) में गड्ढा हो तथा ईशान बहुत भारी हो, उस भवन के निवासियों का कल्याण भगवान भी नहीं कर सकते ।

14)छोटे दरवाजो मोटी चोर ।

बहों होय तो आफत घोर ।।

अर्थात जिस भवन का द्वार (मुख्य द्वार) बहुत छोटा होता है वहां चोरों के आने की बहुत सम्भावना बनी रहती है तथा जिस भवन का द्वार बहुत बड़ा होता है, वहां अनेक समस्याएं आती हैं ।

15)घर में अंधेरो |

बीमारी को फेरो | |

अर्थात जिस घर में सूर्य का प्रकाश नहीं आता है वहां के वासी बार-बार बीमार होते रहते हैं ।

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