गुरुवार, 29 सितंबर 2022

चीनी ज्योतिष मे बंदर

यदि आपका जन्म 1944, 1956, 1968, 1980 या 1992 में हुआ है, तो आप चीनी ज्योतिष अनुसार बंदर हैं । जिन्हे बुद्धिमान और लोगों को प्रभावित करने में सक्षम बताया गया है जो उत्साही,उपलब्धि हासिल करने वाले,आसानी से निराश और भ्रमित हो जाते हैं । आपका सबसे अच्छा मैच ड्रैगन या चूहे के साथ है और बाघ से सावधान रहें ।

बंदर अच्छे श्रोता होते हैं और जटिल परिस्थितियों से आसानी से निपट लेते हैं । इस चिन्ह की प्राकृतिक जिज्ञासा इसे व्यापक बौद्धिक जिज्ञासा देती है । बंदरों का एक दिखावा पक्ष होता है जो अपने दोस्तों को  ये बताने के लिए की वे उनसे प्यार करते हैं प्रभावित करने मे लगे रहते हैं ।

 बंदर की दुनिया, पूरी लापरवाह ऊर्जा और आनंद, हर किसी के लिए नहीं है ऐसा नहीं है कि यह चिन्ह मतलबी है जो स्वयं के भले के लिए थोड़ा बहुत उत्सुक हो सकता है । बंदरों को अक्सर कम से कम एक बार हर चीज को आजमाने की जरूरत महसूस होती है, जिससे रिश्तों का सुखद दौर चल सकता है।

 बंदर का आत्मग्लानि का प्रेम अन्य प्रकार की परेशानी को भी जन्म दे सकता है । इस चिन्ह में भोजन, शराब और अन्य आनंददायक गतिविधियों से संबंधित आत्म - नियंत्रण हो सकता है । बंदर जन्म के लिए हर समय पार्टी का समय होता है, फिर भी जब यह एक राक्षस हैंगओवर या टूटे हुए दिल की ओर जाता है (आमतौर पर किसी और का, उनका नहीं), यह संकेत वास्तव में पश्चाताप का स्पर्श दिखा सकता है । वे अपने तौर - तरीकों की गलती को स्पष्ट रूप से स्वीकार नहीं करेंगे |

 बंदरों को कम से कम कुछ समय के लिए खुद से आगे दूसरों के बारे में सोचना सीखने की कोशिश करनी चाहिए । एक बार जब यह पता चल जाएगा कि दुनिया इसके इर्द-गिर्द नहीं घूमती है, तो इस चिन्ह की दुनिया और अधिक पूर्ण हो जाएगी

मंगलवार, 27 सितंबर 2022

खरगोश राशि के लक्षण (चीनी ज्योतिष)

चीनी ज्योतिष की राशियो में चौथे स्थान पर खरगोश राशि है ।

खरगोश अधिक भावनात्मक और संवेदनशील राशियो में से एक हैं । भावनात्मक रूप से नाजुक,खरगोश लोग व्यस्त या आक्रामक स्थितियों को नापसंद करते हैं । वे प्रतिस्पर्धा से दूर भागते हैं और इसके बजाय दुनिया में अपने निजी स्थान की व्यवस्था करने में अपनी ऊर्जा खर्च करने का विकल्प चुनते हैं

खरगोश राशि के तहत पैदा हुए लोगों में सजाने और मनोरंजक होने की प्राकृतिक क्षमता होती है । उनके पास रंग और इंटीरियर डिजाइन के लिए एक आंख होती है,और जब एक सुंदर घटना के बारीक विवरण की योजना बनाने की बात आती है तो वे इसमे आश्चर्यजनक रूप से कुशल होते हैं । वे हमेशा अपने सोफे को रखने के लिए सही जगह और कहने के लिए सही जगह जानते हैं ।

खरगोश चीनी राशि चक्र के देखभालकर्ता हैं । खरगोश लोग अपने आसपास के लोगों की देखभाल करना पसंद करते हैं । वे महान श्रोता होते हैं और आमतौर पर कई लोगों के विश्वासपात्र होते हैं । विचारशील और मिलनसार,खरगोश आदर्श रूप से राजनेताओं,राजदूतों या राजनयिकों के रूप में सेवा करने के लिए उपयुक्त पाये जाते हैं ।

खरगोश संस्कृति और उच्च समाज की दुनिया में अच्छी तरह से फिट होते हैं । वे अच्छी तरह से व्यवहार करते हैं और जीवन में बेहतर चीजों का आनंद लेते हैं । अपने संवेदनशील स्वभाव के कारण,खरगोश कई लोगों के साथ मिल जाते हैं,हालांकि,उनके दिल की गहराई में,वे आरक्षित होते हैं और आम तौर पर बौद्धिक गतिविधियों में अपना समय चुपचाप बिताना पसंद करते हैं ।

खरगोश राशि मे पैदा हुए लोगों का कोमल स्वभाव उन्हें डरपोक और चिंतित होना बनाता है । वे जोखिम लेने वाले नहीं हैं । एक खरगोश राशि वाला अपनी दिनचर्या को बहुत पसंद करता है और अज्ञात कार्यो के लिए जाना जाता है । जब भी कभी इस खरगोश राशि को नए अनुभव या एक अच्छा अवसर पारित करने के लिए प्रेरित किया जाएगा वे हमेशा सुरक्षित मार्ग चुनेंगे ।

खरगोश के लिए,शांत और सुरक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं है । हालांकि,जब वे किसी चीज के लिए भावुक होते हैं,तो अपनी मांद से बाहर निकल कर अपने स्वभाव के मजबूत,आत्मविश्वासी और अटूट पक्ष को दिखाने की कोशिश करेंगे इस खरगोश राशि के लोग धैर्यवान और क्रोध करने में धीमे होते हैं ।

रविवार, 25 सितंबर 2022

मेष राशि के लक्षण


मेष राशि का प्रतीक
चिह्न मेढा (पुरुष भेड़) है । यह चिन्ह पाश्चात्य ज्योतिष के अनुसार 21 मार्च से वसंत की शुरुआत को बताता है जो अपनी पुनर्जन्म की ऊर्जा के साथ,जैसे ही सर्दी समाप्त होती है और फूल खिलते हैं | ऊर्जावान और स्वतंत्रता प्रेमी होना मेष राशि का आदर्श उदाहरण है ।

मेष राशि के लोग मेमने की तरह होते हैं,अपने ग्रह स्वामी मंगल की तरह अग्निप्रधान होते हैं । वे जो चाहते हैं  अपने आत्मविश्वास और भावना के साथ उसके पीछे चलते जाते हैं,वे अत्याचार के खिलाफ लड़ाई में प्राकृतिक रूप से अग्रणी और अजेय दुश्मन बनाते रहते हैं ।

मेष राशि में जन्म लेने वाले लोग आत्मविश्वासी,बुद्धिमान और उत्साही होते हैं । उन्हें उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किये जाने और एक टीम को इकट्ठा करने और उनकी खोज पर उनका अनुसरण करने के लिए प्रेरित करने से बेहतर कुछ नहीं है । वे आगे देखते हैं,और अतीत पर ध्यान नहीं देते । वे सभी राशियो में सबसे बहिर्मुखी हैं ।

नकारात्मक पक्ष पर,मेष राशि वालों को अपनी कमजोरियों जैसे स्वार्थ,अधीरता,आवेग से सावधान रहना चाहिए  ।मेष राशि वाले जिस चीज में विश्वास करते हैं उसके लिए लड़ बैठते हैं लेकिन वह श्रेष्ठ पुरुष अर्थात "अल्फा पुरुष" होने के लिए भी लड़ते हैं । वे परियोजनाओं को पूरा किए बिना शुरू करने में भी फंस जाते हैं ।

मेष राशि वालों से कभी भी धैर्य,चातुर्य या कूटनीति की अपेक्षा न करें और उनके तेज स्वभाव से सावधान रहें । वे इसमें इतने फंस जाते हैं कि उन्हें पता ही नहीं चलता कि वे कौन सी मूर्खतापूर्ण गलतियाँ करने वाले हैं।

मेष राशि वाले उत्कृष्ट उद्यमी बनते हैं पहल और नेतृत्व पर मजबूत ध्यान देने वाले किसी व्यक्ति के लिए यह एक स्वाभाविक प्रतिभा है । वे चुनौतियों का सामना करते हैं और उत्कृष्टता हासिल करना और जीतना पसंद करते हैं । प्रतीक्षा करने के लिए मजबूर होने पर वे अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देते हैं,और इन्हे की भी सलाह स्वीकार करने में परेशानी होती है ।

मेष पहली राशि है,जो राशि चक्र का नेतृत्व करती है,और मेष राशि वाले लोग नेतृत्व करना पसंद भी करते हैं । वे एक शांत और नीरस डेस्क जॉब के लिए अपनी साहसिक खोज को छोड़कर कभी भी संतुष्ट नहीं होंते

गुरुवार, 22 सितंबर 2022

कॉमेडियन बनने के योग

 

कुंडली मे कॉमेडी के योग  

1)मंगल बुध/ चंद्र बुध/ शुक्र बुध/ मंगल शुक्र की युति अथवा दृष्टि संबंध होना चाहिए |

2)मंगल बुध का लग्न लग्नेश से संबंध होना चाहिए |

3)मंगल बुध में राशि परिवर्तन होना चाहिए |

आईए अब कुछ उदाहरण देखते हैं |

1)राजू श्रीवास्तव 25/12/1963 की पत्रिका मे मंगल बुध की युति है तथा मंगल शुक्र के नक्षत्र में है |

2)कैस्टो मुखर्जी 7/8/1925 की पत्रिका में मंगल बुध की युति है तथा बुध शुक्र की युति भी होती है |

3)जॉनी वाकर 11 नवंबर 1926 की पत्रिका में मंगल शुक्र तथा मंगल बुध का दृष्टि संबंध है तथा मंगल वक्री होकर शुक्र के नक्षत्र में ही है |

4)किशोर कुमार 4 अगस्त 1929 की पत्रिका में चंद्र बुध की युति है तथा शुक्र मंगल के नक्षत्र में ही है |

5)महमूद 29/9/1932 की पत्रिका में मंगल शुक्र तथा बुध चंद्र की युति है |

6)कपिल शर्मा 2/4/1981 की पत्रिका में चंद्र बुध मंगल शुक्र की युति है मंगल बुध के नक्षत्र में ही है |

7)सुनील ग्रोवर 3 अगस्त 1977 की पत्रिका में मंगल की दृष्टि बुध पर है |

8)भारती सिंह 3 जुलाई 1984 की पत्रिका में शुक्र बुध की युति है |

9)सुगंधा मिश्रा 30 मई 1988 की पत्रिका में बुध मंगल के नक्षत्र में है तथा बुध शुक्र की युति भी हैं |

10)क्रिस रॉक 7 फरवरी 1965 की पत्रिका में बुध शुक्र का युति संबंध है मंगल वक्री होकर बुध की राशि में बैठा है तथा बुध चंद्रमा के नक्षत्र में है |

11)जिम कैरी 17/1/1962 की पत्रिका में बुध शुक्र की युति है तथा बुध चंद्रमा के नक्षत्र में तथा मंगल शुक्र के नक्षत्र में है |

12)ऐंडी कौफमैन 17/1/1949 की पत्रिका में मंगल बुध की युति है बुध चंद्रमा के नक्षत्र में ही है |

13)टैग नोटारों 24/3/1971 में मंगल शुक्र के नक्षत्र में बैठकर बुध को देख रहा है तथा शुक्र मंगल के ही नक्षत्र में है |

13)देव चप्पेले 24/8/73 की पत्रिका में मंगल की दृष्टि बुध है |

14)जाकिर खान 20/8/1987 की पत्रिका में मंगल बुध मंगल शुक्र तथा शुक्र बुध की युति है |

15)वीर दास 31 मई 1979 की पत्रिका में मंगल शुक्र के नक्षत्र में शुक्र के साथ ही बैठा है तथा बुध चंद्रमा के नक्षत्र में है |

16)ब्रह्म नंदन 1 फरवरी 1956 की पत्रिका में मंगल की दृष्टि शुक्र पर है तथा बुध वक्री है मंगल बुध के नक्षत्र में भी है |

17)जगदीप 29 मार्च 1939 की पत्रिका में मंगल बुध का दृष्टि संबंध है तथा बुध वक्री है |

18)विजय राकी पत्रिका में चंद्र बुध का दृष्टि संबंध तथा शुक्र बुध का युति संबंध है |

19)शक्ति कपूर 3 सितंबर 1952 की पत्रिका में चंद्र बुध का दृष्टि संबंध है|

20)राजपाल यादव 16 मार्च 1971 की पत्रिका में मंगल की दृष्टि बुध पर है |

21)सुनील पाल 19/9/1975 की पत्रिका में मंगल शुक्र का दृष्टि संबंध है तथा बुध मंगल के नक्षत्र में बैठा है |

22)सतीश कौशिक 13 अप्रैल 1956 की पत्रिका में मंगल की दृष्टि बुध पर है|

23)कादर खान 22 अक्टूबर 1937 की पत्रिका में बुध मंगल के चित्रा नक्षत्र में स्थित है |

24)चार्ली चैपलिन 16/4/1889 20:00 बजे लंदन मंगल शुक्र की युति हैं तथा बुध नीच हैं |

25)गोविंदा 21/12/1963 14:27 मुंबई मंगल बुध युति मेष लग्न मे हैं |

26)जॉनी लीवर 14 अगस्त 1957 की पत्रिका में मंगल बुध की युति है |

27)परेश रावल 30 मार्च 1953 की पत्रिका में मंगल शुक्र की युति है तथा बुध वक्री है |

28)जेमी लीवर 19/8/1987 की पत्रिका में मंगल बुध बुध शुक्र तथा मंगल शुक्र की युति है मंगल और बुध दोनों एक ही नक्षत्र में स्थित है |

29)वरुण ग्रोवर 26/1/1980 की पत्रिका में मंगल शुक्र के नक्षत्र में बैठकर शुक्र को देख रहा है तथा बुध चंद्र के नक्षत्र में है |

30)मल्लिका दुआ 17 जुलाई 1989 की पत्रिका में मंगल शुक्र मंगल बुध तथा शुक्र बुध की युति है |

31)जसपाल भट्टी 3 मार्च 1955 की पत्रिका में बुध शुक्र की युति है तथा बुध चंद्रमा के नक्षत्र में है |

32)अशोक सराफ 4 जून 1947 की पत्रिका में चंद्रमा बुध के नक्षत्र में है तथा मंगल शुक्र की युति है |

 

 आप हमारी इस पोस्ट को https://youtu.be/fuQ0WVXZDgs पर भी देख सकते हैं |

 

 

अग्नि कोण रसोईघर और संतानहीनता

जीवन में तीन आवश्यकताएँ महत्त्वपूर्ण होती हैं रोटी,कपड़ा और मकान,आवासीय मकान में सबसे मुख्य घर होता है रसोईघर, इसी दिशा में अग्नि अर्थात ऊर्जा का वास होता है, इसी ऊर्जा के सहारे हम अपनी जीवन यात्रा मृत्युपर्यन्त तय करते है, अत: इस स्थान का महत्त्व कितना है आप समझ सकते है । वास्तु में कहा जाता है कि व्यक्ति के स्वास्थ्य एवं धन-सम्पदा दोनो को रसोईघर प्रभावित करता है, अतः वास्तु शास्त्र के अनुसार ही रसोईघर बनाना चाहिए ।

कई बार ऐसा देखा गया है कि घर में रसोईघर गृहिणी के अनुरूप बना हुआ है फिर भी रसोईघर में खाना बनाकर खुशी नही होती है या खाना बनाने के बाद उसमें कोई बरकत नहीं होती,उसका मुख्य कारण रसोईघर का वास्तु सम्मत नहीं होना अर्थात उसमे वास्तुदोष का होना,ऐसे में कुछ उपाय कर आप उसके दोष दूर कर सकते हैं ।

रसोईघर आग्नेय अर्थात दक्षिण-पूर्व दिशा (SE) में ही होना चाहिए, इस दिशा का स्वामी अग्नि है तथा इस दिशा का स्वामी ग्रह शुक्र होता है, आग्नेय कोण में अग्नि का वास होने से रसोईघर तथा सभी अग्नि कार्य के लिए इस दिशा को निर्धारित किया गया है, यदि आपका किचन इस स्थान पर है तो सकारत्मक ऊर्जा का प्रवाह घर के सभी सदस्यों को मिलता है ।

दिशा का विकल्प :- वैसे तो इस दिशा का स्थान कोई अन्य दिशा नहीं ले सकता फिर भी यदि आप किसी कारण से आग्नेय कोण / दिशा में रसोई नही बना सकते तो विकल्प के रूप में आप वायव्य दिशा का चुनाव कर सकते हैं ।

उत्तर दिशा :- उत्तर दिशा रसोई घर के लिए अशुभ है, इस स्थान का रसोईघर आर्थिक नुकसान देता है इसका मुख्य कारण है कि उत्तर दिशा धन का स्वामी कुबेर का स्थान है यहाँ रसोईघर होने से अग्नि धन को जलाने में समर्थ होती है इस कारण यहाँ रसोई घर नहीं बनवाना चाहिए ।

वायव्य कोण :- उत्तर पश्चिम N-W दिशा को विकल्प के रूप में रसोई बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है परन्तु ऐसे मे अग्नि भय बना रह सकता है, अत: सतर्क रहने की जरूरत है ।

पश्चिम दिशा :- पश्चिम दिशा W में रसोईघर होने से आए दिन अकारण घर में क्लेश होती रहती है, इसके साथ ही संतान पक्ष से भी परेशानी आती है ।

नैऋत्य कोण :- इस दिशा में रसोईघर बहुत ही अशुभ फल देता है, नैऋत्य कोण में रसोईघर बनवाने से आर्थिक हानि तथा घर में छोटी-छोटी समस्या बढ़ जाती है,यही नहीं घर के कोई एक सदस्य या गृहिणी शारीरिक और मानसिक रोग के शिकार भी हो सकते है, जिस कारण गृह क्लेश और दुर्घटना की सम्भावना भी बढ़ जाती है ।

दक्षिण दिशा :- दक्षिण दिशा South में रसोई घर बनाने से आर्थिक नुकसान हो सकता है, मन में हमेशा बेचैनी बनी रहेगी, कोई भी काम देर से होगा, मानसिक रूप से हमेशा परेशान रह सकते है ।

आग्नेय कोण :- दक्षिण-पूर्व दिशा यानी आग्नेय कोण SE में रसोई घर बनाना सबसे अच्छा माना गया है, इस स्थान में रसोई होने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है, घर के सदस्य स्वस्थ जीवन व्यतीत करते है ।

पूर्व दिशा :-पूर्व दिशा East में किचन होना बहुत अच्छा नहीं है फिर भी विकल्प के रूप में इस दिशा में रसोई घर बनाया जा सकता है, इस दिशा में रसोई होने से पारिवारिक सदस्यों के मध्य स्वभाव में रूखापन आ जाता है, वही एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी बढ़ जाता है । वंश वृद्धि में भी समस्या आती है ।

अग्नि कोण से जुड़ी है संतान हीनता

घर के प्लाट का अग्नि कोण बढ़ा हुआ है, खासकर दक्षिण साइड से तो वंश आगे नहीं बढ़ेगा, खासकर लड़का पैदा नहीं होगा । अगर पहले से लड़का है और आपने बाद में मकान ले लिया है तो वह कहने में नहीं होगा आदतें बिगड़ जाएगी । अगर आपके अग्नि कोण मैं दोष है तो यह पक्की बात है कि आपके रसोई घर में भी वास्तु दोष जरूर होगा जो गृहणी के सेहत और शरीर पर सीधा असर करेगा ।

उपाय- प्लाट में सीधी रेखा खींच कर एक कोने से दूसरे कोने तक, जो अग्नि कोण में जगह बचती है उसे खाली छोड़ दे और जहां से सीधी रेखा बने, वहीं से निर्माण कार्य शुरू करें |

बची खाली जगह पर केले, आंवले, कटहल, अनार का पेड़ या इस तरह के पौधे लगाएं, दोष कम हो जाएगा । अगर यह सब संभव नहीं है तो इस कोने में शुक्र यंत्र लक्ष्मी यंत्र और मंगल यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करके यंत्र स्थापित करें, दोष प्रभावहीन हो जाएगा । यह तीनों यंत्र अग्नि कोण के किसी भी दोष के लिए कारगर हैं, अग्नि कोण में कोई भी दोष हो तो इन यंत्रों की स्थापना करें,असर तुरंत दिखेगा । इससे कारोबार और धन का स्रोत अच्छा हो जाएगा ।

अग्नि कोण में अगर बेडरूम हो तो ज्यादातर पति पत्नी के विचार नहीं मिलते । इसका उपाय एक ही यह है कि अपने बेड को दक्षिण की दीवार पर लगाएं और जब सोए तो आपका सर दक्षिण की तरफ हो । ध्यान रखे कभी भी अग्नि कोण में भूल कर भी पानी की टंकी जल का स्रोत तथा टोयलेट ना बनाए यह सदा दुखद फल देती है ।